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NG India
सब चोलों में चेतन बहता, पिंड के नवों ही द्वारे । वह जीतेगा नर चोले जो , दसवाँ द्वार सम्हाले ।।टेर।। नौ द्वारों में ज्यादा बरते, स्वामी दूरी धारे । दसवें दर से गैल गई है, स्वामी के दरबारे (1) शब्द की धारा देगा स्वामी, सूरत को आधारे । सतगुरू छवि में दर्शन देकर, कर देगा भव पारे (2) ऐसा मौका कलियुग आया, सतगुरू जग अवतारे । राधास्वामी द्याल ने उनको भेजा, भव से करने पारे (3) *राधास्वामी* राधास्वामी प्रीति बानी 5-115 वह जीतेगा नर चोले जो !
Ditikraj.arvind
ताज़ सजा लो तुम माथे पे! सियासतो के चोले पहनो..! हाथ में ले लो तुम तलवारें! हम ले लेते हैं "कलम"!किनारे..! इंकलाब के वो नारे! चलो करें हम ख़िलाफ़त से दो-दो हाथ तुम्हारे..! देश मे लगाओ लोकतंत्र की मीनारें..! ©Ditikraj"दुष्यंत"...! ताज़ सजा लो तुम माथे पे! सियासतो के चोले पहनो..! हाथ में ले लो तुम तलवारें! हम ले लेते हैं "कलम"!किनारे..! इंकलाब के वो नारे! चलो करें हम ख़ि
Rajnesh kumar Rajnesh kumar
राधा स्वामी जी ©Rajnesh kumar Rajnesh kumar राधा स्वामी सतसग बयाश भजन सिमरण करो जी गुरू बिना मुक्ति नहीं हम जेसे बच्चे को स्कूल भजते है इसीलिए रूहानी गुरू भी चहिऐ वो भी पुरा गुरू
Ravi Kumar Panchwal
Ravi Kumar Panchwal
कर्म हूँ मैं मुझे फल की फ़िक्र नहीं, सेवक धरती माँ का गलियों का ज़िक्र नहीं. माना के दौर है कपूतों का, माना भविष्य उज्ज्वल अँगूठों का, माना बलवान झुंड झूठों का, सच हूँ मैं मुझे कल की फ़िक्र नहीं. कर्म हूँ मैं मुझे फल की फ़िक्र नहीं. अधर्मियों के जाल में घुमशुदा धर्म है, शर्म की ख़ाल में छिपे बेशर्म हैं, शराफ़त के चोले पर दाग़े कुकर्म है, जल हूँ मैं मुझे मल की फ़िक्र नहीं. कर्म हूँ मैं मुझे फल की फ़िक्र नहीं. रविकुमार कर्म हूँ मैं मुझे फल की फ़िक्र नहीं, सेवक धरती माँ का गलियों का ज़िक्र नहीं. माना के दौर है कपूतों का, माना भविष्य उज्ज्वल अँगूठों का, माना ब
Rajni Bala Singh (muskuharat)
भूलता नहीं है दिल है कि तुम्हारी हंसी को भूलता ही नहीं जब भी हूं अकेले तो तुम्हारे होने का एहसास भूलता नहीं न जाने कहां तुम गुम हो गए आंधियों की चपेट में कहां बह गए सोचती हूं काश कुछ खास हो जाए तुम्हारा बस दीदार हो जाए कर दूं यह फनहा जिंदगी अब तुम्हारे नाम खत्म कर दूं यह रोज-रोज की जद्दोजहद बिन तुम्हारे जीने की अपने साथ करूं क्या हर लम्हा तुम्हारी मोहब्बत का भूलता नहीं कुछ पन्नों में दफ़न बातों का सिलसिला मेरा साथ छोड़ता नहीं मत करो देर कहीं मैं ओझल ना हो जाऊं कहीं तुम्हारी यादों के चोले में दफन ना हो जाऊं ©_muskurahat_ भूलता नहीं है #raj #poet #nojotopoem दिल है कि तुम्हारी हंसी को भूलता ही नहीं जब भी हूं अकेले तो तुम्हारे होने का एहसास भूलता नहीं न जाने
Mansi Tiwari Tiwari
मेरा वतन है मेरे वतन है सब करते है, हम हिन्दुस्तानी है कहकर गुमान करते है, बड़े-बड़े देशभक्त है यहां सब मानसी एक दिन की भक्ति दिखा सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करते है, फोटो अपलोड करते है बड़े-बड़े संदेश देते है, बड़े-बड़े सन्देशों मे ही अपना देशप्रेम दिखा खुद को खुद ही शाबाशी देकर वाह-वाह करते है, देखो तो आज का युवा आजादी के चोले को कैसे पहने है पहने कैसे भी हो पर डीपी में तिरंगा लगा कर रखते है, भगत,आजाद,सुखदेव रानी की गाथा सब के होंठो पर है होंठो पर ही है पर उनके जैसे यहां कोई नहीं मिलते है, गाँधी, जवाहर जैसे शानदार के व्यक्तित्व पर कोई नहीं पर हाँ सलमान रनवीर का डायलॉग सब जुबान पर रखते हैं, मेरा वतन है मेरे वतन है सब करते है, हम हिन्दुस्तानी है कहकर गुमान करते है, बड़े-बड़े देशभक्त है यहां सब मानसी एक दिन की भक्ति दिखा सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करते है... ©Mansi Tiwari Tiwari मेरा वतन है मेरे वतन है सब करते है, हम हिन्दुस्तानी है कहकर गुमान करते है, बड़े-बड़े देशभक्त है यहां सब मानसी एक दिन की भक्ति दिखा सोशल मीड
Divyanshu Pathak
आद्या! लोग कहेंगे आदमी श्रेष्ठ है प्राणियों में और बन जाता है जानवर अगले जन्मों में। जानवर जीता है सदा मर्यादा में और बनता है आदमी वही नए चोले में। देखना है चारों ओर
निखिल कुमार अंजान
सड़कों पर रोज बलात्कार होते हैं हवस भरी निगाहों का शिकार होते हैं राम के भेष मे रावण का किरदार होते हैं निगाहों मे सिर्फ अंगों के उभार होते हैं न बहन का ख्याल आता है न बेटी का माँ की उम्र की भी क्यों न हो बस देह का नशा छा जाता है छूने का भरसक प्रयास होता है थोड़ा सोच तो भाई कहीं न कहीं तेरी बहन बेटी माँ के साथ भी एेसा होता है तेरे जैसे और भी होगें जिनका भी यही प्रयास होता है अरे छोड़ न ले ले मजे तेरा कौन सा कुछ खोता है वो तो सिर्फ भोगने के लिए है इसलिए तो उसका का जन्म होता है सार्वजनिक वाहनों मे जब तू जबरदस्ती टच होता है सोचना तेरे घर से भी किसी का शोषण होता है पर तेरा क्या जाता है तुझे तो बढ़ा मजा आता है जब मजे लेने खातिर तू किसी से सट जाता है सामने तेरी बहन खड़ी हो कोई उसे सताता हो चेहरे पर क्या भाव होगें वो देखना चाहता हूँ भूखे भेडिए से भी बदतर हो गया जो किरदार उसको वापस इंसान के चोले मे समेटना चाहता हूँ आज #अंजान बन फिर सब भूलना चाहता हूँ......... #अंजान..... सड़कों पर रोज बलात्कार होते हैं हवस भरी निगाहों का शिकार होते हैं राम के भेष मे रावण का किरदार होते हैं निगाहों मे सिर्फ अंगों के उभार होते
RituRaj Gupta
मौत कि जंजीरों को चूम कर, शान से कुर्बान हुए, क्या वो हिन्दू, क्या मुसलमां, सब देश पर बलिदान हुए, देश के आज़ादी कि क़ीमत, ख़ून बहा कर मिली, शान से खून को सींच कर, धरती के गुलज़ार हुए, क्या वो हिन्दू, क्या मुसलमां, सब देश पर बलिदान हुए, गांधी कि इस धरती पर, अहिंसा ने सबको जोड़ा है, अहिंसा कि राह चलते सब जान से बेजान हुए, क्या वो हिन्दू, क्या मुसलमां, सब देश पर बलिदान हुए, भगत सिंह कि फांसी हो या हो सुभाष कि कुर्बानी, इंकलाब के बुलंद हौंसलो से, ये वीरभक्त महान हुए, क्या वो हिन्दू, क्या मुसलमां, सब देश पर बलिदान हुए, सन सत्तावन कि धार ने, जब अंग्रेजों को तोड़ा था, उस आजादी कि लौ ने, गली गली मशाल तैयार हुए, क्या वो हिन्दू, क्या मुसलमां, सब देश पर बलिदान हुए, जब चोले को रंग सजाकर, बलिदानों ने ओढ़ा था, उन बलिदानों कि कहानी ने, इंकलाब तैयार किए, क्या वो हिन्दू, क्या मुसलमां, सब देश पर बलिदान हुए !! समस्त देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 😊♥️🙏 पेश है देशभक्ति पर एक कविता :: मौत कि जंजीरों को चूम कर, शान से कुर्बान हुए