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SK Poetic
विकासवाद (Evolutionary thought) की धारणा है कि समय के साथ जीवों में क्रमिक-परिवर्तन होते हैं। इस सिद्धान्त के विकास का लम्बा इतिहास है। १८वीं शती तक पश्चिमी जीववैज्ञानिक चिन्तन में यह विश्वास जड़ जमाये था कि प्रत्येक जीव में कुछ विलक्षण गुण हैं जो बदले नहीं जा सकते। इसे इशेंसियलिज्म (essentialism) कहा जाता है। पुनर्जागरण काल में यह धारणा बदलने लगी। १९वीं शती के आरम्भ में लैमार्क ने अपना विकासवाद का सिद्धान्त दिया जो क्रम-विकास (evolution) से सम्बन्धित प्रथम पूर्णत: निर्मित वैज्ञानिक सिद्धान्त था। सर जे . डब्ल्यू डासन कहते हैं कि ' विज्ञान को बन्दर और मनुष्य के बीच की आकृति का कुछ भी पता नहीं है । मनुष्य की प्राचीनतम अस्थियाँ भी वर्तमान मनुष्य जैसी ही हैं । इनसे उस विकास का कुछ पता नहीं लगता , जो इस मनुष्य शरीर के पहले हुआ था । ' ©S Talks with Shubham Kumar विकासवाद का इतिहास #Night
Santosh Verma
पावलाव ई कुत्ता तोहार, ले लियो नोबेल पुरस्कार। एक रशियन ने....एक रशियन ने, दिया एस अनुबंधन का सार , ले लियो नोबेल पुरस्कार।। अनुबंधन क्लासिकल में आया, अनुक्रिया अनुकूलित में आया,, संबद्ध प्रतिवर्त में आया, सम्बन्ध प्रत्यावर्तन में आया,, शास्त्रीय अनुबंधन में...शास्त्रीय अनुबंधन में, नाचे डमरू पे बंदर हमार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। अनुकूलन चिरसम्मत को देखा, अनुबंधन प्रतिवादी देखा,, सीखते मंद बालकों को देखा, देख बिजूका...देख बिजूका , पक्षी गयो भाग पार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। जोड़, घटाना, गुणा भाग सिखाए, स्वच्छता, सफाई आदत अच्छी सिखाए, ज्ञान समय पाबंदी का कराए, बढ़ गयो बड़ों का सम्मान हजार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। पावलाव ई कुत्ता तोहार, ले लियो नोबेल पुरस्कार।। writer(संतोष वर्मा) आजमगढ़ वाले खुद की ज़ुबानी ©Santosh Verma पावलाव का सिद्धांत(मनोविज्ञान) #hills
Ek villain
उत्तर प्रदेश के एमएलसी चुनाव में भाजपा ने यह सिद्ध कर दिया कि लोग पार्टी को सिर्फ इसलिए चुन रहे हैं कि मैं सिर्फ विकासवाद और राष्ट्रवाद के झंडे पर काम कर रही है सबसे बड़ा कारण है कि एमएलसी चुनाव में उन्होंने 36 में 33 सीट जीतकर इतिहास रच दिया यह सब पीएम मोदी और सीएम योगी की नीतियों की वजह से संभव हुआ है पिछले महीने में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा जीत का परचम लहराया था चुनावी राज्यों के परिणामों के बाद इतना तय हो गया कि मतदाताओं ने जातिवाद और परिवार को भी तलाश दिल देते हुए सिर्फ राष्ट्रवाद और विकासवाद को ही प्राथमिकता के तौर पर लिया है आज के समय में मतदाता भी काफी जागरूक हो गया है ©Ek villain #विकासवाद के रास्ते प्रदेश #baisakhi
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
psychology cal ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust शिक्षा मनोविज्ञान VEDANT GURUKULAM EDUCATIONAL PSYCHOLOGICAL WORLD 1. मनोविज्ञान के जनक. = अरस्तू 2. मनोविज्ञान के जनक= विलियम जेम्स 3. प्रय
Ek villain
पांच राज्यों के परिणामों के बाद इतना तो तय हो गया है कि अब मतदाताओं में जातिवाद परिवार को तिलांजलि दे दी है अब पहले वह वाला भारत नहीं रह गया जो जातियों में बैठकर त्रिशंकु सरकार बनाने को मजबूर कर दिया जाता था लेकिन इसे नहीं भारत में ऐसा कुछ नहीं है आज लोग अगर किसी पार्टी को वोट देने का विचार बनाते हैं तो सिर्फ विकास के नाम पर वोटिंग करना चाहते हैं यह सब से बड़ा कारण है चार राज्यों में भाजपा की सरकार एक अच्छी खासी बहुमत से बन गई है जिनकी शायद ही कोई कल्पना करता होगा 4 राज्यों के मतदाताओं ने विकास के नाम पर भाजपा को वोट दिया जो नए भारत के लिए शुभ संकेत है क्योंकि जब तक देश में जाति और धर्म पर लड़ते रहेंगे तब तक कदापि देश का विकास नहीं किया जा सकता इस चुनाव को दूसरा सबसे बड़ा पहलू यह है मतदाताओं ने उन लोगों को नकार दिया जो दल बदलने की माहिर हो गए हैं मतदाताओं ने ऐसे लोगों को सिरे से नकार दिया है यह न होना भी यही चाहिए कि जब कोई राजनेता पार्टी को छोड़कर किसी अन्य पार्टी में आता है तो कम से कम 5 वर्ष के लिए उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध कर देना चाहिए ©Ek villain #अब सिर्फ विकासवाद को वोट #adventure
manoj kumar jha"Manu"
अपने जीवन में कुछ नियम(सिद्धान्त) होने ही चाहिए। जिसके जीवन में कुछ शुभ संकल्प या नियम नहीं हैं, वह पशु से भी अधम हैं। - परम पूज्य डोंगरे जी महाराज #सिद्धांत बनाएं
dhalta bachpan
जीवन में आपके सिद्धांत ही,आपकी पहचान है । बुद्ध शरणम् धर्म शरणम संघ शरणम गच्छामि। ©dhalta bachpan #God सिद्धांत