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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
prashant Singh rajput
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Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
"प्यास" (collab with me) सुखी सांसे रूखी हवा रूठी धरती की हो आस हरी । गरज जा बादल बरस जा बादल बुझा दे अब तो "प्यास" मेरी ।। "प्यास" ना समंदर की चाहत ना महलों की आस तेरी । सदियों से प्यासा हूँ दो घूंट की "प्यास" मेरी ।। थोड़ी मोहब्बत थोड़ी बरकत
Sangeeta Patidar
"सूखी साँसें, रूखी हवा, फ़िर भी मेरी आस ज़िंदा, न बरसे, न गरजे ये बादल, फ़िर भी मेरी प्यास ज़िंदा।।" "प्यास" ना समंदर की चाहत ना महलों की आस तेरी । सदियों से प्यासा हूँ दो घूंट की "प्यास" मेरी ।। थोड़ी मोहब्बत थोड़ी बरकत
lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
rupali yadav
स्त्री ढूंढ लेती है पुरुषों के बनाए बंधन में भी स्वतंत्रता। खोज लेती है उसके अपशब्दों में भी प्रेम। ढाल लेती है खुद को उनके बनाए खांचे में। त्याग देती है कई छोटी छोटी इच्छाएें पुरुषों के अभिमान के आगे। भूल जाती है खुद को उनकी खुशियों और अभिलाषाों के खातिर। देखती है अपने प्रेमी में अपना जीवनसाथी। परन्तु जब उसी साथी द्वारा लगाए जाते हैं उस पर कई आरोप, टटोला जाता है उसके भूत को !! नापा जाता है उसे कई पैमानों पर !! खुद पर उठाये सवालों के जवाब वो तब तक देती है, जब तक उसका ह्रदय रुआँसा ना हो जाए। आँखें गिरते नीर को प्रकट होने से रोक न पाए। और फिर साध लेती है एक लम्बी चुप्पी।। बिना किसी शिकायत बिना किसी नाराज़गी के। इस आशा से की उसका साथी उसे समझेगा कभी। ताउम्र यूंही करती है इंतज़ार पुरुष के समझदार बनने का। स्त्री ढूंढ लेती है पुरुषों के बनाए बंधन में भी स्वतंत्रता। खोज लेती है उसके अपशब्दों में भी प्रेम। ढाल लेती है खुद को उनके बनाए खांचे मे
Drg
चाँद से मेरा नाता कुछ अनोखा सा लगता है, शब्दों में ना हो बयाँ, ऐसा हमदर्द वो मेरा बनता है तारों से लड़कर वो जब मुझसे मिलने आता है खबर मेरे महबूब की वो चुपके से सुनाता है (अनुशीर्षक में पढ़ें) चाँद से मेरा नाता कुछ अनोखा सा लगता है, शब्दों में ना हो बयाँ, ऐसा हमदर्द वो मेरा बनता है तारों से लड़कर वो जब मुझसे मिलने आता है
Drg
देखो, आज वो दिन आ ही गया ना। हम दूर हो ही गए। मैं तुम्हारे लिए बहुत ख़ुश हूँ। पर कहीं ना कहीं ग़म का तिनका मन को उदास किए है। हमारे आख़िरी अलविदा से पहले, एक मुलाक़ात रह गयी। अरे! रुको तो .. शिकायत नहीं कर रही! बस, थोड़ा अफ़सोस है। एक अधूरा क़िस्सा रह गया हमारी कहानी में। (शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) देखो, आज वो दिन आ ही गया ना। हम दूर हो ही गए। मैं तुम्हारे लिए बहुत ख़ुश हूँ। पर कहीं ना कहीं ग़म का तिनका मन को उदास किए है। हमारे आख़िरी अ
Drg
ख़ुदा की नवाज़िश और किस्मत की लकीरों में अनबन ज़रूर थी, पर हमारा 'इतना सा' भी 'साथ' होना, उन 'सात फेरों' से भी ज़्यादा 'अनमोल' था। (कैप्शन में पढ़े) जाने पहचाने अजनबी हम हँसी मज़ाक में न जाने क्या कुछ कह देते थे एक दूसरे से। हमारी दोस्ती भी तो थी ऐसी! हाँ!! 'बेस्ट फ्रेंड्स' से तो कुछ ज़्या