Find the Latest Status about वैधव्य पर कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वैधव्य पर कविता.
Arora PR
उद्यान तो एक ही हैं लेकिन उसकी तीन... झाड़ियों पर अलग अळग उत्पादन हैं पहली झाड़ी पर केवल कांटे उगे हैं. लेकिन गुलाब नहीं ऊगा हैं ..... दूसरी झाडी पर सिर्फ गुलाब उगे हैं.. और काँटों की उपस्तिथि नहीं है इन दोनों झाड़ियों के कांटे और गुलाब वैधव्य का दुख भोग रहे है क्योकि दोनों एक दूसरे के अभाव मे उग आये है. केकिन वहा एक इसरी झाडी भी है जिस पर गुलाब और कांटे दोनों साथ साथ उगे है ळगता है इस झाड़ी के गुलान और कांटे दोनों जैसे अमर सुहाग और सुहागन का सुख भोग रहे है ©Arora PR वैधव्य vs सुहागन
जिंदगी का जादू
छाया से दूर हुआ तो आंचल का मूल्य मैं जाना जब तपी ये दिल की धरती बादल का मूल्य मैं जाना वो छाया वो बदली बस एक जगह मिलती है सब मिलता दूर शहर में बस मां ही नहीं मिलती है पावस रजनी में जुगनू भट्ट के जैसे जंगल में पूछे राम जी वोन से कैसे हैं सब महल में वन में ना कोई दुख है पुण्य ज्योति जलती है देव मुनि सब मिलते बस मां ही नहीं मिलती है @गौतम माँ पर कविता