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Shivam Singh Abhi
" अब नफरत भरी दुनिया की किस्सा ही खतम, अब महाकाल ही अपना और महाकाल के हम" #नफरत भरी दुनिया
Neeraj
वो बेवफा है तो क्या हुआ क्यो कहु बुरा उसको।। जो हुआ सो हुआ खुश रखे खुदा उसको ।। नजर न आयेगी तो तलाश मे रहुगा उसकी।। कही मिलेगी तो पलट न देखुगा उसको।। मेरी नफरत भरी मोहोब्बत
Ramkishor Azad
कसम है उन सनम की तुम्हें ना छोड़ पायेंगे, प्यार है उन्हें हमसे गगन से उसे ये बोल जायेंगे! हम रहे या ना रहे सात जन्मों तक इस दुनिया में, नफरत भरे इंसानों के दिलों में प्यार की रोशनी का माहौल छोड़ जायेंगे!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad नफरत भरी दुनिया में प्यार की रोशनी छोड़ जायेंगे R
Shweta Sharma
कुछ बातों से इतनी नफ़रत होती हैं, की सुनते ही नफ़रत हो जाती है उस पल से जब सुना था। ©Shweta Sharma कुछ नफरत भरी बातें😏😥 #Nojoto #Hate #Nafrat #Quote #quoteoftheday #thought
Anand prakash singh (word slinger)
सदियों से सोई इन आँखों को जगाने आजाओ, गुम है जो मन तेरे बिना, उसे बस बहलाने आजाओ, रंजिसे जो पाल बैठी हो, छोड़ो उन्हें, नफरत भरी इस दुनियां में थोड़ी सी मोहब्बत जताने आजाओ| प्रकाश आनंद सदियों से सोई इन आँखों को जगाने आजाओ, गुम है जो मन तेरे बिना, उसे बस बहलाने आजाओ, रंजिसे जो पाल बैठी हो, छोड़ो उन्हें, नफरत भरी इस दुनिया
Poonam Singh
बच्चे गिली मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस भी आकार में ढालेंगे वो ढल जायेंगे, अगर कोई व्यक्ति बच्चों को नफरत भरी कड़वाहट के सांचे में ढा़ल रहा है, अर्थात वो एक गोला तैयार कर रहा है। #शाहीनबाग #जयहिंद #जय भारत #Desh_ke_liye बच्चे गिली मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जिस भी आकार में ढालेंगे वो ढल जायेंगे, अगर कोई व्यक्ति बच्चों को नफरत भरी कड़वाह
Bydreampost
ना उन तक पहुंचाने का जरिया मिला। ना डूब जाने को कहीं हमें दरिया मिला।। मिली तो बस नफरत भरी निगाहें जमाने की। सारी वजहें जैसे खत्म हो गई हो
साहित्य कुंज
प्यार किसको बांटे ..... नफरत भरी दुनिया में , प्यार किसको बांटे। प्यार से जिससे मिला , वही दौड़कर काटे।। राहों में संभलते चला , मुश्किलों को काटा। वो हर जख्मों पर , घाव दे देकर के देखें।। नफरतें भरी दुनिया में प्यार किसको बांटे.. आशियाना बना कर निगाहें किसको ताके। अब सफ़र किसके साथ चल कर के बांटे।। कुछ लम्हों की यादों में , ग़ुम हो कर देखेे। आहटें ऐसी है , दिल के दरवाजे से झांके।। नफरतें भरी दुनिया में प्यार किसको बांटे.. करवटें बदलती रही , रात भोर को झांके। ख़्वाब हकीकत हो रात उजालों में झांके।। यश बेशुमार चाहतों को , वक्त कैसे समेटे। अकेले - पन की जिंदगी , बार-बार डांटे।। नफरतें भरी दुनिया में प्यार किसको बांटे.. यशवंत राय श्रेष्ठ (दुबौली गोरखपुर) स्वरचित व मौलिक 07/09/2020 प्यार किसको बांटे ..... नफरत भरी दुनिया में , प्यार किसको बांटे। प्यार से जिससे मिला , वही दौड़कर काटे।। राहों में संभलते चला , मुश्किलों क
arun dhuwadiya
उनके लिए रुकावटें तो हादसा हुई। मेरे लिए तो आफ़तें भी तजरुबा हुई। टूटे हुवे किवाड़ के देखे सुराख से। मेरी खुशी सभी के लिए मसअला हुई। हर और देखती मुझे नफरत भरी नजर। अब कौम मेरी झगड़े का भी मुद,दआ हुई। ऐसा न हो कि नामो निशाँ भी न हो तेरा। जो मेरे सब्र की भी अगर इंतिहा हुई। लो आ गई है सड़कों पे करने लगी गदर। जिनसे वफ़ा की आस थी वो बेवफा हुई। यादों कि कैद से किया आजाद मौत ने। अब जाके तेरी बद्दुआ आखिर दुआ हुई। तेरे लिए ये इश्क़ तमाशा हुआ तो क्या? मेरे लिए मोहब्बतें तो बस खुदा हुई। *आशू* वो पीठ पर तेरी खंजर चलाएगे। जानिब से जिनके जिंदगी की इल्तिजा हुई। आशू रतलाम हक़ीक़त ए जिंदगी उनके लिए रुकावटें तो हादसा हुई। मेरे लिए तो आफ़तें भी तजरुबा हुई। टूटे हुवे किवाड़ के देखे सुराख से। मेरी खुशी सभी के लिए मस
R.S. Meena
ऐ इन्सान एे इन्सान, इतना ना किया कर, खुद की जाति पर गुरूर। रखता है तु कदम जहाँ, उसी धरती में से ही है मेरा अंकुर।। लग गया मेरे हाथ उसका, जिसे तु समझता अछूत है, झाँककर देख अपने अंदर, मचा रखी तुने भी लूट है। विधाता मत समझ खुद को, तु नश्वर है और है मजबूर। एे इन्सान, इतना ना किया कर, खुद की जाति पर गुरूर। नोट पर भी तो हाथ लगे होंगे उसके, जिसने छुआ है मुझे, नफरत भरी निगाह तेरी, एक दिन नजरों से गिरा देंगी तुझे। तब मेरा बना हलवा भी ना ला पायेंगा, तेरे चेहरे पर नूर। एे इन्सान, इतना ना किया कर, खुद की जाति पर गुरूर। किसी के छुने से, नहीं बदलता है जहाँ में, पानी का रंग, सोच बनाओ सकारात्मक और बदल लो जीने का ढंग। कर्म से ही बदले है किस्मत, ऊँच-नीच से होती है चकनाचूर। एे इन्सान, इतना ना किया कर, खुद की जाति पर गुरूर। प्रकृति के उपहारों को जाति में बाँटने का ना कर तु दुस्साहस, मत कर अपमान उन हाथों का, वो भी है तुझ से सभ्य मानस। तोड़ कर नियम प्रकृति के, ना रह पाएँ कोई मुझसे दूर। एे इन्सान, इतना ना किया कर, खुद की जाति पर गुरूर। हमारे बीच कुछ ऐसे इन्सान भी है, जिन्होंने पेड़-पौधो को भी जातियों में बाँटने का अशोभनीय कार्य किया है । मूँग की व्यथा, उसी की जुबानी 👇👇👇👇 ऐ