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sachin devidas rao kulkarni

काव्य ध्वनी... #RecallMemory

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Aditya Mandal

#Sound ध्वनी fact #सस्पेंस

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sachin devidas rao kulkarni

काव्य ध्वनी... कविता वाचन - सचिन देविदास कुलकर्णी. #rain

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gudiya

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{¶पारसमणी¶}

लेखक👉#deepshi #Bhadauria आवाज़👉 #पागल #शुभ #संगीत ध्वनी👉 #Music deepshi bhadauria

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Alok Vishwakarma "आर्ष"

यमुना के किनारे उपवन में, आँखें वृन्दा को पुकार रहीं । तितली तृण कुसुम चिरइया को, वृन्दा ही मान निहार रहीं ।। मैं काव्य गीत जो रचता हूँ, तु #dedicated #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #eternal_love #yqlovequotes #vrindasays #alokstates

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यमुना के किनारे उपवन में, आँखें वृन्दा को पुकार रहीं ।
तितली तृण कुसुम चिरइया को, वृन्दा ही मान निहार रहीं ।।

मैं काव्य गीत जो रचता हूँ,
तुम शब्दों में सिल जाती हो ।
मैं श्राव्य भीत जो सजता हूँ,
तुम स्तब्ध हुई खिल जाती हो ।।

होंठों से बोलती नहीं मगर, धुन की लय में मुस्काती हो ।
तुम आत्मसात कर सरगम को, झुकते से नयन शरमाती हो ।।

सुनता ही रहूँ बस तुमको ही,
राधा का श्रवण अब श्याम पिये ।
दिल बुला रहा है आ जाओ,
मधुमय मन की आवाज़ लिये ।। यमुना के किनारे उपवन में,
आँखें वृन्दा को पुकार रहीं ।
तितली तृण कुसुम चिरइया को,
वृन्दा ही मान निहार रहीं ।।

मैं काव्य गीत जो रचता हूँ,
तु

#maxicandragon

#dukh #Parampara #Sabhyata मर गए स्वप्न क्या करूंगा इन परम्पराओं का मर गई आत्माएं क्या करूंगा सभ्यताओं का बन जा खच्चर #Sadharanmanushya

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मर गए स्वप्न 
क्या करूंगा इन परम्पराओं का
मर गई आत्माएं
क्या करूंगा सभ्यताओं का

बन जा खच्चर 
ढो ये दुख और तू साधारणमनुष्य
रख इन वीरानियों को 
तकते रहो तुम सुख दुख
कंधे पे ऱक कर अपना शीश

मैने पलटना देखना कर दिया है बंद
बस हाथ है,  लगे तो थाम लेना खुद
मन करे तो एक बार लगाकर गले
बांट लेना मेरा दुख

मेरा दुख ही मेरा काव्य है
विराम पर स्वर गुंजेंगे
चीखों के गीत छाती के ढोल
आँसुओं से भरी जल तरंग के 
चोटील ध्वनी से सजे मेरे मन को बहलाएंगे

#SadharanManushya

©#maxicandragon #Dukh #Parampara #Sabhyata 

मर गए स्वप्न 
क्या करूंगा इन परम्पराओं का
मर गई आत्माएं
क्या करूंगा सभ्यताओं का

बन जा खच्चर

Somya Baranwal

मेरा मन इस कदर बाबला क्यो होये जा रहा हैं कान्हा कुछ तो खास हैं तेरी इस मुस्कुरहाट में कुछ अंदेखा सा तो हैं तेरी बांसुरी के इस मधुर सी #God #Hindi #hindipoetry #kanha #yqhindi #kanhalove

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O kanha😊 मेरा मन इस कदर बाबला 
क्यो होये जा रहा हैं 
कान्हा कुछ तो खास हैं 
तेरी इस मुस्कुरहाट में 
कुछ अंदेखा सा तो हैं 
तेरी बांसुरी के इस 
मधुर सी

saurabh

जीवन को बदले क्षणभर में , वह मोड़ मनोरम लगता है गर सत्य हृदय में हो तो फिर आनंद कहां कम लगता है.. !! हर भाव प्राण बन जाते हैं हर प्रणय मनोर

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मुझको वृंदा से तुलसी तक 
यह सफर मनोरम लगता है... जीवन को बदले क्षणभर में , वह मोड़ मनोरम लगता है
गर सत्य हृदय में हो तो फिर आनंद कहां कम लगता है.. !! 
हर भाव प्राण बन जाते हैं हर प्रणय मनोर

KISHAN KORRAM

#Umeedहूँ मैं उम्मीदों के आश पर थोड़ा इस ज़मी पर थोड़ा आसमान पर भूगोल ही ऐसा हैं इन उम्मीदों का लग जाता हैं मन टेढ़े-मेढ़े मानचित्र उखेरने कहीं प #कविता

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हूँ मैं उम्मीदों के आश पर
थोड़ा इस ज़मी पर
थोड़ा आसमान पर
भूगोल ही ऐसा हैं
इन उम्मीदों का
लग जाता हैं मन
टेढ़े-मेढ़े मानचित्र उखेरने
कहीं पर पर्वत के
कहीं पर मधुर ध्वनी के
कल-कल करते झरनों के
कहीं पर वादियाँ के
तो कहीं पर पथरिले रास्तों के
परिस्थितियों के अनुकूल 
उम्मीद कहीं डगमगा जाती हैं
तो कहीं उड़ान भरने 
आतुर हो जाती हैं
मेहनत और लगन भी मेरी
उम्मीदों के दरवाजे पर
बैठ कर देख रही होती हैं
हैं कितनी ललक मुझमें
एक उम्मीद मेरे अपनो की
मेरी सफलताओं के लिए
छाप सी बनी हुई हैं
वहीं जिम्मेदारियाँ पूरी कर लू
एक उम्मीद हैं
गिर जाऊँ, टुट जाऊँ तो
सहारा बस उम्मीद हैं

✍️©® By# Kishan_Korram #Umeedहूँ मैं उम्मीदों के आश पर
थोड़ा इस ज़मी पर
थोड़ा आसमान पर
भूगोल ही ऐसा हैं
इन उम्मीदों का
लग जाता हैं मन
टेढ़े-मेढ़े मानचित्र उखेरने
कहीं प
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