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Dr Upama Singh

जीवन में बहुत जगह मैंने यात्रा की हूं बचपन में उत्तराखंड से जो शुरुआत की अभी तक मैंने हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थ #yqdidi #restzone #collabwithrestzone #yqrz #rzwotm #rimjhim_thoughts #rztask120

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 जीवन में बहुत जगह मैंने यात्रा की हूं बचपन में उत्तराखंड  से जो शुरुआत की अभी तक मैंने हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थ

Priya Kumari Niharika

शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है, मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है दाव सियासी खेल में #story #Quote #me #Flower #poem #कविता #Twowords

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शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं
वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है,
 मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है
दाव सियासी खेल में हम तो, तैर के गंगा पार है।
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
नागार्जुन की रचना हम, रेणु की हुंकार हैं।
 दिनकर के राष्ट्रप्रेम हम, विद्यापति के श्रृंगार हैं
अष्टवक्र और अश्वघोष के ज्ञान का भंडार है
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
नालंदा के गौरव हैं, विक्रमशिला के आधार हैं
पाणिनि का व्याकरण है, बुद्ध के हम संस्कार हैं
मधुबनी की चित्रकला, अविचल पर्वत मंधार हैं
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं 
गणित और साहित्य में बबुआ, सबसे हम होशियार हैं
रिक्शा खींच के दिए कलेक्टर, अनपढ़ न गवार हैं
धोनी का क्रिकेट मैच है, रतन टाटा का व्यापार है
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं 
लिट्टी चोखा के क्या कहने, बड़ा लजीज अचार हैं
ठेकुआ, पूड़ी लौंगलता और खाजे का बाजार है
सभी धर्म को शरण दिया है,सब आपन परिवार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार है
 बिंदुसार की सल्तनत हम, गांधी के गुहार हैं
 चंद्रगुप्त के महाशोर्य हम, अशोक के अधिकार हैं
महावीर का ज्ञान धर्म, और मिथिला के हम द्वार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
 सर्वप्रथम गणतंत्र बने हम, बेनीपुरी की दहाड़ हैं
जुर्म किये जो इस माटी में, दिया उसे तिहाड़ है
बजरंगी के भक्त है बबुआ, कुंवर कि हम तलवार हैं 
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
 बिस्मिल्लाह के सुर हैं हम, मगध के हम आकार हैं 
आर्यभट्ट के अविष्कार हम, राजेंद्र के विचार हैं
छठ, दशहरा, रामनवमी के हर्ष के हम त्यौहार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
गया, राजगीर, पावापुरी, शेरशाह के दरबार हैं
मोक्ष ज्ञान की गया है नगरी, जनक के हम दुलार हैं
शत्रु का बुखार कहो या सिंह के हम प्रहार हैं
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं

©Priya Kumari   Niharika शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं

वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है,
 मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है
दाव सियासी खेल में

उमा जोशी

जाण्याची का झाली घाई तुला राजसा आज
काय फायदा करून मी हा शृंगाराचा साज
थांब जरासा अजून नाही रात्र संपली राया
सुगंध पसरत अजून आहे बघ हा अत्तर फाया

खेळे वारा बटांसंगती लपाछपीचा खेळ
नजरेत नजर रोखून पहावे अशीच ही वेळ
बोटांनी संवाद साधता तनु थरारून जाई
लाज वाटते मला राजसा मिठीत अलगद घेई

ओठांवरती ओठ ठेवुनी टिपून मध तो घेऊ
स्वप्नांमधल्या वाटांवरती धुंद होउनी जाऊ
काजळभरल्या डोळ्यांमध्ये पहा प्रेम तू माझे
छेडित तारा श्वासांमधुनी अपुल्या वीणा वाजे

शुक्राची बघ दिसे चांदणी पूर्व दिशेला आता
अलगद चुंबन भाळावरती देई जाता जाता
डोळ्यांपुढूनि निघून जा वळूनही ना बघता
समजुत घाले मनाचीच मन नयनी अश्रू गळता

पुन्हा भेट व्हायची कशी अन केव्हा ठाउक नाही
देत दिलासा मनास काही वाट तुझी मी पाही
फिरून नाही परतुन आला साजण माझा दारी
कर्तव्याच्या रणांगणावर कामी आली स्वारी

दुःख उराशी जपून ठेविन तुझ्या स्मृतींना जपता
तुझे नाव ओठांवर येइल सदैव उठता बसता
नको सोबती आता कुठल्या संसाराचा घाट
जन्मोजन्मी तुझीच वेड्या पाहिन मी रे वाट
-- १९/१२/२०२२ २३:३५

©उमा जोशी #लवंगलता #८_८_८_४

उमा जोशी

संध्यासमयी येता आठव जीव खुळा तो होई
जाता नाही याद जात ती डोळा पाणी येई
तुझी आठवण छळे मनाला कातर संध्याकाळी
आणिक सोबत तुझ्या राजसा मागे मागे नेई

त्यावेळेची ओढ आठवुन मोहरून मी जाते
स्पर्श तुझा मग मनास होतो गाली लाली चढते
फरफट होते माझी तेथे आठवणींच्या गावा
तरी खुळी मी मनापासुनी प्रेमगीत ते गाते

सोबत नेसी आणिक जासी तिथे सोडुनी मजला
केला आहे सांग ना मला असा गुन्हा मी कसला
किती वाट मी अजून पाहू किती आसवे गाळू
ये ना परतुन अखेरचा हा माझा उत्सव सजला

तुला एकदा बघेन भरुनी डोळे थकले माझे
डोळ्यांमध्ये अजूनही रे तुझीच प्रतिमा साजे
अंती व्हावी भेट आपुली असे एवढी इच्छा
कधीपासुनी पैलतिरी बघ मृत्यूघंटा वाजे

येणे नाही परतुन आता निरोप हा शेवटला
जाते निघून मनात आता संशय नाही कसला
तेवढीच ती संगत होती लिहिली सखया भाळी
पाहशील तू आठवणीतच तुझिया आता मजला

--- उमा जोशी २८/०४/२०२१

©उमाच्या मनातलं #गोदातीर्थ #आठवण #लवंगलता

Er.Shivampandit

उ "कैडबरी -सिल्क " बोलेगी,
हम लवंगलता " पे अड़े रहेंगे😍

©Shivam Tiwari #कैडबरी_सिल्क 
#लवंगलता
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#Thought

कवि मनीष

जब-जब ज़ुल्म अपनी सीमा लांगता है, तब-तब इन्सानियत की रक्षा के ख़ातिर एक मसीहा आता है क्रिसमस त्यौहार की अनेकों शुभकामनाएँ । है राम,ईसा,पै #nojotophoto #कविमनीष

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 जब-जब ज़ुल्म अपनी सीमा लांगता है,
तब-तब इन्सानियत की रक्षा के ख़ातिर एक मसीहा आता है 

क्रिसमस त्यौहार की अनेकों शुभकामनाएँ ।

है राम,ईसा,पै

Sarita Prashant Gokhale

गझल लवंगलता 8 8 8 4 अन्यायाचे वार झेलणे सोपे नसते काही कणखर बाणा उरी ठेवणे सोपे नसते काही दोष आपुले झाकत कुठवर जाशी दारोदारी #मराठीशायरी

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