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Kamal Solanki Barwani
खुश था में तेरे साथ भी मगर ज्यादा खुश हूं तेरे जाने के बाद भी #NojotoQuote कुश
Ajay Bishwas
माँ जीवन में उत्सव की कहानी है माँ सूखे होंठों की ख़ातिर पानी है # माँ की महिमा
Maa Brahmani Devi
लोभ ,मोह अधर्म में लिप्त हैं, सब जन इस संसार के । वो मुक्त होगा इन कष्टों से , जो जाए शरण महाकाल के । महाकाल की महिमा
Bhreegupati Chaturvedy
अद्भुत तत्वों से बना यह जग,अदभुद इसकी माया है अनगिनत प्राणियों का वास यहां पर, सहस्त्रो रूप समाया है!!!! विधाता की रचना में देखो एक ऐसा यहॉ पर वस्तु बना इसके लघु आकार में अनगिनत गुणो का जाल घना!!!! व्रत धारी को भोजन देता ऊर्जा का ज्वालामुख है दुबले खाकर मोटे होते इसके अंदर ऐसा सुख है!!!! हर सब्जियों में यह भ्राता युधिष्ठिर, हर परिस्थिति का समाधान करें जब बचा ना हो रसोई में कोई शस्त्र ,तो मनुष्य इसका संधान करें!!! प्रेम तत्व इसमें इतना हर किसी को अपना बनाता है जो मनुष्य आलू खाता है हर तत्व इसमें पाता है!!!!! त्वचा को सुदृढ़ करें यह, हड्डियों का विधाता है जो मनुष्य को इसको खाता है ,वह इसका ही हो जाता है!!!!!! #gif आलू की महिमा
Bhakti Kalptaru
वाताभ्रविभ्रममिदं वसुधाधिपत्यं आपातमात्रमधुरा विषयोपभोगाः। प्राणास्तृणाग्रजलविन्दुसमा नराणां धर्मः सदा सुहृदहो न विरोधनीयः॥ अर्थ:- इस सम्पूर्ण पृथ्वी का आधिपत्य भी हवा में उड़ने वाले बादल के समान (क्षणभंगुर) है, यह धन-सम्पदा, पद-प्रतिष्ठा सदा बनी रहे ही रहेगी- ऐसा समझना केवल भ्रान्तिमात्र है। इन्द्रियों के विषय-भोग केवल आरम्भ में ही अर्थात् केवल भोगकाल में ही मधुर लगते हैं, उनका अन्त अत्यन्त दुःखदायी है। प्राण तिनके के नोक पर अटके हैं हुए जल की बूंद के समान हैं, किस क्षण निकल जाएँ कोई भरोसा नहीं। एकमात्र धर्माचरण-सत्कर्मानुष्ठान ही ऐसा है, जो मनुष्यों का सनातन एवं सच्चा मित्र है, अतः उसका कभी विरोध ( तिरस्कार) नहीं करना चाहिये, अपितु अत्यन्त प्रयत्नपूर्वक दानधर्मादि सत्कर्मानुष्ठान के अनुपालन में सतत संलग्न रहना चाहिये। दान की महिमा
J P Lodhi.
नदियों की महिमा नदी गौरवशाली संस्कृति का बड़ा हिस्सा, वेद ग्रंथों में वर्णित मिलता इनका किस्सा। सभ्य सभ्यता में नदियों को पूजा जाता है, मानवता का नदियों से जीवन का नाता है। भूलें गए हम नदियों की महान संस्कृति को, प्रदूषण कर बदला पावन सी प्रकृति को। मां सी पावन निश्छल ममता मयी नदियां, जीवों की सेवा करते बीत गई कई सदियां। अमृत सा पावन जल बहता रहता प्रतिपल, प्यास बुझाकर के मन को कर देता शीतल। धारा पे नदियों से फैला सौंदर्य हरियाली है, नदियों के बिना धरती बंजर बन जानी है। भाग्यवान है वे मानव जो बसे नदी किनारे, बीत जाता जीवन सुखमय इन्हीं के सहारे। फिरसे नदियों की महिमा का गुणगान करे, वक्त आ गया अब ना इनका अपमान करे। हम संकल्प लेकर नदियों का उत्थान करें, प्रदूषण से मुक्त कर खुद पर उपकार करे। #नदियों की महिमा
Deepak Vaishnav
"रोटी के साथ घी" और "नाम के साथ जी" लगाने से स्वाद और सम्मान दोनों ही बड़ जाते हैं। deepak vaishnav संस्कारों की महिमा