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Parasram Arora
एक लंबी यात्रा क़े लिए अंततः मैं उस जगह पहुंचा हूँ......... जहां दुनिया का सबसे बड़ाजनतन्त्र 'विकासवाद ' काजहाज लंगर डाले प्रतिक्षा क़र रहा है उन जैसे लोगों क़े लिए जो गरीबी रेखा मेपले बड़े हुए जो पचास रूपये रोज पर गुजर करने क़े लिए राज़ी हुए है जिन्हे" समाजवाद " की दवा पोलियो की घूँट. क़े साथ पिलाई जारही है और इनक़े सुंदर भविष्य जे लिए भावनात्मक धार्मिक आयोजन ... भी किये जा रहे है. इसके बावजूद मंहगाई बेरोजगारी बेईमानी और हिंसक आंदोंलनो क़े दंश उनके जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहे है ©Parasram Arora जनतन्त्र......
Parasram Arora
कितना मज़बूत हुआ हैं हमारा जनतन्त्र ये देखनेके लीए आईये चलते हैं भृष्टाचार की तंग गलियों में जहाँ खोजा जा रहा हैं अपने ही रूदन का स्त्रोत जहाँ रह रहा हैं एक तपाए हुए तन और सताये हुए मन वाला.. फटेहाल एक पूरा तबका ज़ो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता हुआ अपनी ऊर्जा का क्षरण करने के लीए विवश हुआ हैं l ©Parasram Arora जनतन्त्र....
ankit saraswat
जनम जनम का साथ, हम निभाऐंगे इसी वादे के साथ जिंदगी में आये थे, और बस एक साल में ही, अब वो वादा किसी और को था, और अब वो किसी और की अमानत थे।। #अंकित सारस्वत # #साथ जन्म जन्म का
✍️NOOR ✍️
जनम जनम का साथ, जन्म जन्म का साथ था फिर तू बदला कैसे।। मेरा दिल तोड़कर किसी और का खरीदा कैसे। तेरे मेरे गिर्द तो एक दायरा था कसमों का। अरे बेवफा तू ओ दायरा तोड़के निकला कैसे। जन्म जन्म का साथ था फिर तू बदला कैसे।। जन्म जन्म का साथ।।।
Rajesh rajak
तुम भूखे रह कर,बेदना बिरह की सहकर, मेरी पायल,मेरी चूड़ी,रहे अमर, मांग में इक लंबी सिंदूर की रेखा खींचकर, ईश्वर से प्रार्थना करती हो मेरी दीर्घायु की, करती हो हमेशा मांग सिर्फ मेरे लिए, मन वचन प्राण वायु की हे प्रिय,ये मोहब्बत नहीं शक है तुम्हारा, तुझे मैंने सिर्फ एक बार में मांग लिया था खुदा से ये कह कर ,,तुझे देना ही पड़ेगा हक है हमारा। शंकित मन मत करो,जन्म जन्म का साथ है हमारा तुम्हारा। जन्म जन्म का साथ हमारा
Parasram Arora
एक हरयाले वृक्ष को अगर ठूठो को जन्म देना हो........ तो जरूरी है वो अपने बीजो को बीहड़ो मे विचरने के लिए प्रेरित करे....... जहाँ उन्हें बेबसी क़ि खाद मिलती रहेगी पेट भरने के लिए ओर प्यास लगने पर पानी के लिए ता उम्र आकाश क़ि तरफ एकटक देखते रहना होगा..... या फिर अपने लहू के आंसुओ को पीकर अपनी प्यास बुझानी होंगी ठूठो का जन्म.......
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आज के युग में हर किसी ने अपने चेहरे पर अनगिनत नकाब ओढ़ रखे हैं जो अपने निजी स्वार्थ -जरूरतों के हिसाब से बेपर्दा होते हैं और उस पर कमाल ये की यही शख्स कहते हैं की जमाना बहुत ख़राब है ..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की नख से शिखर तक झूट में लिप्त व्यक्ति के लिए किसी की पीड़ा -दर्द -अहसास --मजबूरी -हालात -गम -तकलीफ कोई मायने नहीं रखते ,मायने रखता है तो फिर एक नया झूठ -नई कहानी -नया बहाना और एक बात ये झूठ की खातिर अपने ईश्वर -रिश्तों तक की बलि चढ़ा देते हैं ..पर ईश्वर का न्याय ... जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में एक ऐसा दौर भी आता है जब इंसान को लगता है की वो अपनी सारी परेशानियों को बेच दे क्यूंकि तब कई तरीकों से मौत सस्ते और किफायती दामों पर मिल रही होती है ..., आखिर में एक ही बात समझ आई की हालात इंसान को वो बना देते हैं जो उसने कभी ख्वाब में भी कल्पना नहीं की होती और जो वो कभी था ही नहीं ,जुर्म का जन्म कुछ व्यक्तियों की इंसानियत से गिरी हुई हरकतों द्वारा होता है ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' जुर्म का जन्म