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Neha Pant Nupur

चौखट पर बने ऐपण, माथे पर बंधनवार
ओ ईजा, ओ बुबू की करते पुकार
स्टील का गिलास, चाय उसमे डबडबान
भयंकर धूप सेंक कर भी थोड़ी और सेंक लें 
बल हर पहाड़ी में इतनी जान















भट्ट, गहद, नीबू, चौलाई सुनते ही टपक जाए लार
कुछ ऐसी ही खुशबू है जिस माटी की
वो उत्तराखंड है जग में महान ।।


#Uttrakhand #ProudPahadi

©Neha Pant Nupur #उत्तराखंड #proudpahadi 
#Nostalgia 

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, मातृभूमि मेरी पितृभूमि
ओ भूमि तेरी जय जयकारा
म्यारो हिमाला ।।
(गिर दा)❤️

#उत्तराखंड #proudpahadi #Nostalgia उत्तराखंड मेरी मातृभूमि, मातृभूमि मेरी पितृभूमि ओ भूमि तेरी जय जयकारा म्यारो हिमाला ।। (गिर दा)❤️ #uttrakhand

58 Love

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Manju Lodha

मेरी मातृभूमि, मेरा राजस्थान, वीर योद्धा, ऋषि, मुनि, संत की मातृभूमि,
यहां के कण-कण में वीरता की महक, दरों-दीवार में स्वामीभक्ति की मिसाल,
किले-दुर्ग, महल, मंदिर और रेगिस्तान, बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान । 
वीर प्रसूता इस पावन भूमि पर, स्वराज्य सूर्य महाराणा प्रताप का प्रण,
हल्दीघाटी का रण और चेतक का बलिदान, अदम्य साहसी राणा सांगा और उनकी तलवार,
अस्सी घाव खाकर भी जो करे दुश्मनों का संहार, बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान।

सुनकर कविवर चंदवरदाई की प्रेरक वाणी,  पृथ्वीराज ने हार को जीत में बदलने को ठानी,
शब्दभेदी बाण से, भेद दिया दुष्ट गोरी का सीना, कटा सिर रण में वीर जुंझार का, फिर भी धड़ लड़ता रहा
जबतक खत्म न हुआ शत्रु, वह का संहार करता रहा। जयमाल राठौड़, 
रायमलोत कल्ला की अद्भूत वीरता,
अमर सिंह और जैतसिंह चुण्डावत की आन-बान-शान, 
राजकुमारी रत्नावती और वीर बाला चम्पा का त्याग
रानी पदमनी और उनकी सखियों का जौहर, रतन सिंह चूङावत को हाड़ा रानी का उपहार,
कर्णावती की वह राखी और भामाशाह का दान बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान।

भक्त शिरोमणि करमा बाई की भक्ति, योगन राजकुमारी मीरा का कृष्णभक्ति,
स्वामिभक्त पन्नाधाई का कर्तव्य-पूर्ति, वीरांगना रानी बाघेली का बलिदान,
यहां के कण-कण में वीरता की महक, बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान । 
राजाओं-महाराजाओं की यह भूमि महल-हवेलियों, बुर्ज की यह भूमि
धुमर-कलबेलिया की भूमि हस्तकलाओं-कविताओं की भूमि
इसके रग-रग में कलाओं का भंड़ार
बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान । 

सुखी है मेरी भूमि, पर उपजाऊ है,
देवलोक भी तरसे यहां जन्म पाने को, मरूस्थल कहते है इसको पर,
देखो, चारों ओर उल्लास का मरूधान है, गुलाबी नगरी इसकी राजधानी तो ,
रंग-बिरंगा इसके तीज-त्योहार है। परिधान राजसी, लोगों के दिल ठाठसी
खान-पान में रईसी, वीरता इसकी पहचान है।
बलिदान एवं शौर्य का धनी मेरा राजस्थान है । 

जय-जय राजस्थान, जय जय मारवाड़

©Manju Lodha मेरी मातृभूमि, मेरा राजस्थान,

मेरी मातृभूमि, मेरा राजस्थान, #कविता

5 Love

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Geeta khati

  उत्तराखंड मेरी मातृभूमि

उत्तराखंड मेरी मातृभूमि #Poetry

27 Views

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Jagdish Kushwaha

हर साल 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के प्रणेता अमरीकी सिनेटर गेलार्ड नेलसन हैं। गेलार्ड नेलसन ने, सबसे पहले, अमरीकी औद्योगिक विकास के कारण हो रहे पर्यावरणीय दुष्परिणामों पर अमरीका का ध्यान आकर्षित किया था। 

इसके लिये उन्होंने अमरीकी समाज को संगठित किया, विरोध प्रदर्शन एवं जनआन्दोलनों के लिये प्लेटफार्म उपलब्ध कराया। वे लोग जो सान्टा बारबरा तेल रिसाव, प्रदूषण फैलाती फैक्ट्रियों और पावर प्लांटों, अनुपचारित सीवर, नगरीय कचरे तथा खदानों से निकले बेकार मलबे के जहरीले ढ़ेर, कीटनाशकों, जैवविविधता की हानि तथा विलुप्त होती प्रजातियों के लिये अरसे से संघर्ष कर रहे थे, उन सब के लिये यह जीवनदायी हवा के झोंके के समान था।

वे सब उपर्युक्त अभियान से जुड़े। देखते-देखते पर्यावरण चेतना का स्वस्फूर्त अभियान पूरे अमरीका में फैल गया। दो करोड़ से अधिक लोग आन्दोलन से जुड़े। ग़ौरतलब है, सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 192 से अधिक देशों के 10 करोड़ से अधिक लोग मनाते हैं। प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन, पर्यावरण-प्रेमी और सरकार इसमें भागीदारी करती हैं।

बहुत से लोग पर्यावरणीय चेतना से जुड़े पृथ्वी दिवस को अमरीका की देन मानते हैं। ग़ौरतलब है कि अमरीकी सिनेटर गेलार्ड नेलसन के प्रयासों के बहुत साल पहले महात्मा गाँधी ने भारतवासियों से आधुनिक तकनीकों का अन्धानुकरण करने के विरुद्ध सचेत किया था। गाँधीजी मानते थे कि पृथ्वी, वायु, जल तथा भूमि हमारे पूर्वजों से मिली सम्पत्ति नहीं है। वे हमारे बच्चों तथा आगामी पीढ़ियों की धरोहरें हैं। हम उनके ट्रस्टी भर हैं। हमें वे जैसी मिली हैं उन्हें उसी रूप में भावी पीढ़ी को सौंपना होगा।

गाँधी जी का यह भी मानना था कि पृथ्वी लोगों की आवश्यकता की पूर्ति के लिये पर्याप्त है किन्तु लालच की पूर्ति के लिये नहीं। गाँधी जी का मानना था कि विकास के त्रुटिपूर्ण ढाँचे को अपनाने से असन्तुलित विकास पनपता है। यदि असन्तुलित विकास को अपनाया गया तो धरती के समूचे प्राकृतिक संसाधन नष्ट हो जाएँगे। वह जीवन के समाप्त होने तथा महाप्रलय का दिन होगा।

गाँधीजी ने बरसों पहले भारत को विकास के त्रुटिपूर्ण ढाँचे को अपनाने के विरुद्ध सचेत किया था। उनका सोचना था कि औद्योगिकीकरण सम्पूर्ण मानव जाति के लिये अभिशाप है। इसे अपनाने से लाखों लोग बेरोजगार होंगे। प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होगी। बड़े उद्योगपति कभी भी लाखों बेरोजगार लोगों को काम नहीं दे सकते। गाँधी जी मानते थे कि औद्योगिकीकरण का मुख्य उद्देश्य अपने मालिकों के लिये धन कमाना है।
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आधुनिक विकास के कारण होने वाली पर्यावरणीय हानि की कई बार क्षतिपूर्ति सम्भव नहीं होगी। उनका उपरोक्त कथन उस दौर में सामने आया था जब सम्पूर्ण वैज्ञानिक जगत, सरकारें तथा समाज पर्यावरण के धरती पर पड़ने वाले सम्भावित कुप्रभावों से पूरी तरह अनजान था। वे मानते थे कि गरीबी और प्रदूषण का गहरा सम्बन्ध है। वे एक दूसरे के पोषक हैं। गरीबी हटाने के लिये प्रदूषण मुक्त समाज और देश गढ़ना होगा।

गाँधी जी का उक्त कथन पृथ्वी दिवस पर न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वह विकास की मौजूदा परिभाषा को संस्कारित कर लालच, अपराध, शोषण जैसी अनेक बुराईओं से मुक्त कर संसाधनों के असीमित दोहन और अन्तहीन लालच पर रोक लगाने की सीख देता है। वह पूरी दुनिया तथा पृथ्वी दिवस मनाने वालों के लिये लाइट हाउस की तरह है।

पृथ्वी दिवस की कल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं जिसमें दुनिया भर का हवा का पानी प्रदूषण मुक्त होगा। समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा। नदियाँ अस्मिता बहाली के लिये मोहताज नहीं होगी। धरती रहने के काबिल होगी। मिट्टी, बीमारियाँ नहीं वरन सोना उगलेगी। सारी दुनिया के समाज के लिये पृथ्वी दिवस रस्म अदायगी का नहीं अपितु उपलब्धियों का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने तथा आने वाली पीढ़ियों के लिये सुजलाम सुफलाम शस्य श्यामलाम धरती सौंपने का दस्तावेज़ होगा। 

🧡🧡 जगदीश कुशवाहा भोपाल🧡🧡 #alone   हमारी मातृभूमि के लिए एक छोटा सा निबंध😃😃😃

#alone हमारी मातृभूमि के लिए एक छोटा सा निबंध😃😃😃 #विचार

3 Love

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Shilpi

ह्दय से माने-प्रभु 'श्री राम' को

'त्यौहार'- संस्कृति की विशिष्ट पहचान है।भारत व विदेशों में प्राचिनतम 
समय से चलती आ रही मानवीय संस्कृति व परंपरा का परिचायक है-'त्यौहार'।
हिंदु धर्म व समाज में अनेकों पूजनीय देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य मात्र से नहीं,अपितु पीढ़ियों से चलती आ रही मान्यताओं,श्रद्धा-भक्ती,ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था को मानव जीवन से जोड़ने वाले सभी त्यौहार उस पुल के समान हैं,जिनके ढ़हने मात्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती।स्पष्ट रूप से यह कहे कि-
"त्यौहार मानव समाज की आधारभूत शीला है।"
परंतु वैश्विक महामारी के इस दौर में इस माह तक आने वाले सभी त्यौंहारो को निकटता से देखने समझने का व मनोरंजन और आस्था से संबंधित होने वाली सभी क्रियाकलापों को स्थगित किया जा चुका है,और किया जाएगा।परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि श्रद्धा-भक्ति के ढांचे को किसी भी प्रकार से तोड़ने का प्रयास भारत सरकार अथवा किसी भी विशिष्ट जन समूह द्वारा किया जा रहा है।केवल प्राणी मात्र को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कुछ समय के लिए हमें शारीरिक क्रियाकलापों को रोकना है,ताकि भविष्य में मानवीय आस्था व संस्कृति को बचाया जा सके।
यहां विचार करने योग्य बात यह है कि मानवीय आस्था केवल शारीरिक क्रियाकलापों से जुडी है?आस्था व श्रद्धा भक्ति 'ह्दय' से निकलने वाली वह सकारात्मक शक्ति है,जो संपूर्ण जगत को ईश्वर से जोडती है।केवल मन ही ईश्वर का दर्पण होता है।मानव नेत्र में वह शक्ति नहीं,जो मन रूपी नेत्र में है।ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ती के फलस्वरूप जो मधुर ध्वनि मानव मन सुन सकता है,उसे सुनने का साहस कर्ण कैसे करेगा?कान तो दिखावा मात्र है।शारीरीक अंग केवल सांसारिक वस्तुओं को आकर्षित करती है,परंतु मन केवल और केवल इश्वर को।
आज संपूर्ण भारत का ह्रदय अयोध्या में अटका पडा है,जहां श्री राम के आगमन के लिए ढेरों तैयारियां चल रही।परंतु सभी देशवासियों को यह स्मरण रखने की आवश्यकता है कि अयोध्या का स्थल इतना तो विशाल नहीं कि संपूर्ण जगत वहां समा जाए,परंतु मन ऐसा अनंत विशाल क्षेत्र है जहां
संपूर्ण जगत के प्रभु श्री राम समा जाए।
अत: श्री राम की भक्ति मन से हो।केवल शारीरीक क्रियाकलाप से नहीं। #एक निबंध....मेरे द्वारा लिखी गई।

#एक निबंध....मेरे द्वारा लिखी गई।

59 Love

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somnath gawade

शालेय जीवनात
"मी मुख्यमंत्री झालो तर"..
हा निबंध नसता तर
आज हा सत्तासंघर्ष
उद्भवलाच नसता. #निबंध
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YOGESH SINGH

निबंध

निबंध #कविता

68 Views

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Vikash Kumar Kaimuri

मातृभूमि को मेरा नमन

#Kathakaar

मातृभूमि को मेरा नमन #Kathakaar

116 Views

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BRAHM PRAKASH

समझ सका ना मूल्य प्रेम का
नफरत की तलवार  उठा ली।
          क्षत-विक्षत    कर मातृभूमि के
             गौरव को रक्तरंजित कर डाली।
इससे बढ़कर हे  मनुज तेरा
और     पतन   क्या   होगा?
              मानवता     की   गौरव  का
              और    हनन    क्या    होगा? मातृभूमि

मातृभूमि #poem

16 Love

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RK SHUKLA

Kashmir मातृभूमि

जहा शैल पर रुधिर बीर का गिरा हुआ है
उसी जगह पर गाथा हम लिख जाएंगे
एक सूत्र में पूरा भारत लिए पुरोए
जगह जगह मां का आंचल लहराएंगे
PRK मातृभूमि

मातृभूमि #कविता

6 Love

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Sanju

हमे हमारी भारत मां से मिला इतना दुलार💓💖 है
सच कहूं तो दोस्तो उसके आंचल की  
छाया से छोटा ये संसार🗺️ है। मातृभूमि

मातृभूमि #कविता

35 Love

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वीरेन्द्र सिंह ' वीर '

मातृभूमि को छोड़कर दूर जाने वाले ।
  अपने वतन में भी हैं पेट भर निवाले।।
 देश की आब ओ हवा ने तुझे पाला है
  ज़रूरत में क्यों हो रहा गैरों के हवाले।


             वीरेन्द्र सिंह 'वीर' मातृभूमि

मातृभूमि

12 Love

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Archana Bharti

सात रंगों का संगम यहाँ, 
सात सुरों का मिलन यहाँ, 
धरती है यह स्वर्ग हमारी, 
हम सब की मातृभूमि यहाँ।

©Archana Bharti #मातृभूमि
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Vikash Arya

गांन नहीं सुर-ताल नहीं में फिर भी गांना चाहता हूं।
बेशक तेल चुके दीपक का भल्ले जले बाती की रस्सी।
में अंतिम कण रक्त का तन से ये दिप जलाना चाहता हूं।
इस मातृभूमि की बलीवेदी शिश चढ़ाना चाहता हूं।।
गांन नहीं सुर-ताल नहीं में फिर भी गांना चाहता हूं ।

©Vikash Arya
  #मातृभूमि
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हेयर स्टाइल by mv

#diwali पर निबंध#

#Diwali पर निबंध# #मीम

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अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

मातृभूमि

#soultouching

मातृभूमि #soultouching

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Yashpal singh gusain badal'

जब-जब पड़ती है संकट में ,

प्रिय      जननी       हमारी ।

तब-तब करते  मुसीबतों  से ,

लड़ने       की          तैयारी ।


सज्जन हैं सज्जनता जब तक,

अहिंसक हैं न्याय है जब तक ,

दुश्मन के  लिए  काल  समान ,

दुश्मन एक  बचता है तब तक।


हर  धर्म-जातियों  से  चुने  हुए ,

हम  देश   के   सच्चे  वीर   हैं ।

हैं   दूर-दूर   लेकिन   संकट  में ,

एक    तरकस   के    तीर    हैं ।


जब भी  हमको   निर्बल   जान,

कोई   हमें     मिटाने      आया ।

दी   करारी     शिकस्त   उसको ,

उसे  धृष्टता का  पाठ  सिखाया ।


दुनियां  को  सदा      ही   हमने ,

शांति -प्रेम   का  मार्ग   दिखाया,

सदा   सत्य   पर   रहे    अडिग,

और  निर्बल   को   गले लगाया ।


हम इसके कण -कण के खातिर ,

जान   पे    जान     लगा     देंगे ,

पा    जाएंगे    वीर    मृत्यु    पर,

सर     को     नहीं       झुकायेंगे ।


रचना- यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh badal मातृभूमि

#Flower

मातृभूमि #Flower #कविता

23 Love

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Ajeetsingh

 जय मातृभूमि

जय मातृभूमि #nojotophoto

3 Love

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..SHANTANU DAMOR..

अपनी मातृभूमी का आदर किया करो
इसी में हम बड़े होते है, यहीं जिदगी जिते हैं 
आखरी क्षणों में ,जब हमें सब घर से निकाल देते हैं  
तब इसी को मां समझकर गोद में सो जातें हैं

©Shantnu Damor #मातृभूमि......

#MothersDay
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Dinesh Soni

जय मातृभूमि जय मातृभूमि

जय मातृभूमि

4 Love

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Sanny rao

जान कर भी कोई अंजान बन जाए      ,                                   मिले ऐसे जैसे मेहमान बन जाए,                                       गया था गली मे उसके जुबा ए इशक  लेकर, ,                                                           लेकिन पता चला वो किसी और की जान बन गई

©Sanny rao
  मेरा दर्द ,मेरी याद ,तेरी कहानी, मेरा फरियाद

मेरा दर्द ,मेरी याद ,तेरी कहानी, मेरा फरियाद #लव

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Jatin Patel

अर्ज़ियाँ मेरी, मनमर्जियां तेरी..
इश्क़ मेरा,खुदगर्जियाँ तेरी.. अर्ज़ियाँ मेरी.. मनमर्जियां तेरी..!!
इश्क़ मेरा.. खुदगर्जियाँ तेरी....!!!

अर्ज़ियाँ मेरी.. मनमर्जियां तेरी..!! इश्क़ मेरा.. खुदगर्जियाँ तेरी....!!!

4 Love

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Mayank Jaiswal

मेरे अल्फाज मेरा दर्द मेरी आवाज

मेरे अल्फाज मेरा दर्द मेरी आवाज

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Amit Singh

#KargilVijayDiwas जब जब मातृभूमि पर मंडराएगा ख़तरा
बहा देंगे अपने बदन का एक एक कतरा
जय हिन्द #मातृभूमि #लव
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vishal raj

चाह नहीं, मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव,
पर हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर,
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक

©vishal raj #मातृभूमि 

#BooksBestFriends
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Mayank Jaiswal

मेरा दर्द  मेरी आवाज मेरे अल्फाज

मेरा दर्द मेरी आवाज मेरे अल्फाज

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Bishnu kumar Jha

फूल पर निबंध #Essay

फूल पर निबंध #Essay #जानकारी

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