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गोलघर, बिहार प्रांत की राजधानी पटना में गाँधी मैदान के पश्चिम में स्थित है। 1770 में आई भयंकर सूखे के दौरान लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे। तब के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई थी, ब्रिटिश इंजिनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने अनाज़ के (ब्रिटिश फौज के लिए) भंडारण के लिए इस गोल ढाँचे का निर्माण 20 जनवरी 1784 को शुरु करवाया था। इसका निर्माण कार्य ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को संपन्न हुआ था। इसमें एक साथ 140000 टन अनाज़ रखा जा सकता है।इसका आकार 125 मीटर और ऊँचाई 29 मीटर है। इसमें कोई स्तंभ नहीं है और इसकी दीवारें आधार में 3.6 मीटर मोटी हैं। गोलघर के शिखर पर लगभग तीन मीटर तक ईंट की जगह पत्थरों का प्रयोग किया गया है। गोलघर के शीर्ष पर दो फीट 7 इंच व्यास का छिद्र अनाज डालने के लिये छोड़ा गया था, जिसे बाद में भर दिया गया। 145 सीढियों के सहारे आप इसके उपरी सिरे पर जा सकते हैं जहाँ से शहर का एक बड़ा हिस्सा देखा जा सकता है और गंगा के मनोहारी दृश्य को यहाँ से निहारा जा सकता है। पटना शहर की सबसे अच्छी और मनमोहन दृश्य गोलघर हैं । इसके ऊपर चढ़ने पर मनोहारी गंगा का दृश्य दिखता है राज्य संरक्षित स्मारक गोलघर को 1979 में राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया। लोकप्रिय संस्कृति में गोलघर को 2019 की हिंदी फिल्म इंडियाज मोस्ट वांटेड में दिखाया गया था।[1] स्थापत्य कला स्थापत्य का अदभुत नमुना है गोलघर। इसके निर्माण में कहीं भी स्तंभ नहीं है। गुम्बदाकार आकृति के कारण इसकी तुलना 1627-55 में बने मोहम्मद आदिल शाह के मकबरे से की जाती है। गोलघर के अंदर एक आवाज 27-32 बार प्रतिध्वनित होती है। यह अपने आप में अद्वितीय है। ©S Talks with Shubham Kumar #SunSet गोलघर
Nitish Sagar
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