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Ravi Shankar Kumar Akela
मन मस्तिष्क की उस क्षमता को कहते हैं जो मनुष्य को चिंतन शक्ति, स्मरण-शक्ति, निर्णय शक्ति, बुद्धि, भाव, इंद्रियाग्राह्यता, एकाग्रता, व्यवहार, परिज्ञान (अंतर्दृष्टि), इत्यादि में सक्षम बनाती है। सामान्य भाषा में मन शरीर का वह हिस्सा या प्रक्रिया है जो किसी ज्ञातव्य को ग्रहण करने, सोचने और समझने का कार्य करता है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #TereHaathMein मन मस्तिष्क की उस क्षमता को कहते हैं जो मनुष्य को चिंतन शक्ति, स्मरण-शक्ति, निर्णय शक्ति, बुद्धि, भाव, इंद्रियाग्राह्यता, एका
Gourav (iamkumargourav)
पिताजी ने कभी नहीं सिखाया छल करना शायद वे स्वयं छले गए हों...इस कारण या फिर इस कारण कि यदि मैं सीख लेता छलने का गुर तो और छल कर बैठता किसी से तो उनके नाम पर कलंक लग जाता परंतु मुझे दुख इस बात का है.... छले जाने का अनुभव यदि उनके पास था तो वे साझा कर सकते थे मुझसे शायद मैं इससे सीख लेता और कभी छला न जाता.... मुझे याद है एक बार पिताजी ने कहा था "कुछ ज्ञानबोध समय के गर्भ में छिपे हैं" आज इस पंक्ति का मर्म ज्ञातव्य हो रहा है ©iamkumargourav ©Gourav (iamkumargourav) पिताजी ने कभी नहीं सिखाया छल करना शायद वे स्वयं छले गए हों...इस कारण या फिर इस कारण कि यदि मैं सीख लेता छलने का गुर तो और छल कर बैठता किसी स
ekrajhu
अन्य 5 पुरुस्कार 101₹ 👇👇👇 ©ekrajhu #महा_प्रतियोगिता नियम :- 1:-प्रतिभागियों द्वारा स्वयं रचित रचनाओं का पाठ.! 2:- पढ़ने की कला एवं प्रस्तुति के आधर पर अंक..! 3:- सिर्फ एक रचन
Krishnadasi Sanatani
al the best ©sunayana jasmine सभी को टीम बज्म-ए-राज का नमस्कार🙏❤️ नए साल 2022 में बज्म-ए-राज लाया है महा प्रतियोगिता जिसमें आप कविता, ग़ज़ल, गीत, शेरों शायरी प्रस्तुत कर
Jyoti Duklan
अगर इस प्रतियोगिता में आप हिस्सा लेना चाहते हैं तो नीचे दिए गये लिंक पर संपर्क करे या राजू भाई से संपर्क करे.... धन्यवाद ❤🙏 ©Jyoti Duklan सभी को टीम बज्म-ए-राज का नमस्कार🙏❤️ नए साल 2022 में बज्म-ए-राज लाया है महा प्रतियोगिता जिसमें आप कविता, ग़ज़ल, गीत, शेरों शायरी प्रस्तुत कर
Ravendra
rekha jain
ध्यातव्य कथन खूबसूरत होते हैं वो रिश्ते जिनमें "मैं" नहीं "हम" की भावना होती है। डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद ©rekha jain #ध्यातव्य कथन
Pnkj Dixit
🚩 ॐ 🚩 इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नर: । देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।। बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में करके समय के अनुरूप बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए ।। वन्दे वेद ॐ 🚩 कृण्वन्तो विश्वमार्यम्🚩 हरि ॐ🚩 ©Pnkj Dixit 🚩 ॐ 🚩 इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नर: । देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।। बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश
Shravan Goud
।।सूक्तिसिन्धु।। मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि। एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु ॥ हे महादेवी | मेरे समान कोई पातकी नहीं और तुम्हारे समान कोई पापहारिणी नहीं ऐसा जानकर जो उचित परे वो कीजिये । चैत्र नवरात्र एवम हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं, माता रानी हम सब पर कृपा दृष्टि बनाए रखना जय माता रानी की 🙏🙏 ।।सूक्तिसिन्धु।। मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि । एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु ॥ O Goddess! There is no one as Falle