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YOUTUBER RAJNISH SRIVASTAVA
अर्श
Sweety Mamta
#तमन्ना तमन्नाओ का झूमर चाहे बड़ा हो या छोटा। सजावट बन जाने पर खूबसूरत ही लगता हैं।
Anamika
ज्यादा श्यानपटी् न करना.. बातों का नफा़ नुकसान सब समझती हूं बनियों की शान है मुझमें, तराज़ू में हिसाब बराबर रखती हूं... #बनियों #तराज़ू #हिसाब_किताब #नफा_नुकसान कृपया कोई इसको personal मत लिजियेगा,कभी कभी कुछ लोगों को चुप कराना जरूरी हो जाता है #yqbaniya #yqhi
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Manjeet Sharma 'Meera'
सुरमई साड़ी पहनकर धरती पर उतरी है रात तारों जड़ी पहनकर चोली झूम-झूमकर चलती रात माथे पर चंदा का झूमर गालों पर झूमर की आभा किरणों की लाली से जैसे मांग सिंदूर सजाती रात सप्त ऋषि का हार गले में ध्रुव का हीरा नथनी में सोने के गहनों से लदकर सज-धजकर निकली है रात अंधियारे मेले में घूम कर आ बैठी है मेरे आंगन चंदा से मिलकर खुश होती सूरत से शर्माती रात मेरा हाथ पकड़ कर मुझको ले जाती है नदी किनारे सप्त ऋषि का हार व झूमर सब गहने दिखलाती रात एक कहानी रोज सुनाती कभी हंसाती कभी मनाती अपनी बाहों में समेटकर रोज सुलाने आती रात पवन लोरियां गाती जाती रात मुझे सहलाती जाती मां बन बैठी रहे सिरहाने सारी रात न जाती रात खिड़की पर देती जब दस्तक हौले-हौले सहर सलोनी फिर आने का वादा करके बादल में छुप जाती रात। *** #"रात" सुरमई साड़ी पहनकर धरती पर उतरी है रात तारों जड़ी पहनकर चोली झूम-झूमकर चलती रात माथे पर चंदा का झूमर