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Kshatriya Kuldeep Singh
किसी रोज़ छॉंव की तलाश में न नहर पाटो, न तालाब पाटो, बस जीवन के खातिर न वृक्ष काटो। ताल तलैया जल भर लेते, प्यासों की प्यास, स्वयं हर लेते। सुधा सम नीर अमित बांटो, न नहर पाटो, न तालाब पाटो, स्नान करते राम रहीम रमेश, रजनी भी गोते लगाये। क्षय करे जो भी इन्हें, तुम उन सब को डाटो, न नहर पाटो, न तालाब पाटो, नहर का पानी बड़ी दूर तक जाये, गेहूं चना और धान उगाये। फिर गेंहू से सरसों. तालाब पाटो, फल और फूल वृक्ष हमें देते, औषधियों से रोग हर लेते। लाख कुल मुदित हँसे, न नहर पाटो, न तालाब पाटो, स्वच्छ हवा हम इनसे पाते, जीवन जीने योग्य बनाते दूर होवे प्रदूषण जो करे आटो, न नहर पाटो, न तालाब पाटो ©Kshatriya Kuldeep Singh न नहर पाटो, न तालाब पाटो, बस जीवन के खातिर न वृक्ष काटो। ताल तलैया जल भर लेते, प्यासों की
Shahab
व्हाट्सएप ने अपना डाटा फेसबुक के सामने रखने का ऐलान किया तो सब फिक्रमंद और परेशान नजर आने लगे लेकिन बहुत बार हमारे सामने ये ऐलान होता है कि 1 दिन ऐसा भी आएगा कि हमारे जिंदगी का मुकम्मल डाटा सबके सामने रखा जाएगा और उसका हिसाब व किताब होगा लेकिन अफसोस कि कभी भी हमने इस बारे में नहीं सोचा और ना ही कभी फिक्रमंद और परेशान हुए... ©Shahab #डाटा
Anamika
बरसों से है जिसकी खोज, शायद इत्तिफाकन मिल जाये किसी रोज़.. दुनिया गोल है न... #cinemagraph #इत्तिफाकन #खोज #दुनिया #गोल #समय #तूलिका
Sanjeev Singh Sagar
आज का ज्ञान किसी का इंतज़ार मत करो उठो और कर डालो जो करने के लिए तुमने ठाना साग़R कर डालो
Manmohan Dheer
खोल आंखें........ देख कि इक़ नन्ही सी दुनिया भी सजाई है तेरे इंतेज़ार में तमाम रातें जागते बिताई है . बेचैन कर रहे थे हालात इधर के उधर के और बस तुझको देखा कि राहत पाई है . अपने बदन में महसूस किया है पूरे महीनों में तू मुस्कुराता है ये देख क़ायनात मुस्कुराई है . मेरे हिस्से की तमाम खुशियां तेरे नाम हुई इंसा अच्छा है तेरा बाप वफ़ाएँ निभाई हैं . तेरी खुश आमद की घड़ी आई है अब वापिस जां में जां आई है . खोल आंखें
ekhwaab
क्यू खिची है तुमने ,इन मजहब की लकीरो को, जब बन्ध कर अए है हम सब, एक ही डोर से। इंसानियत का डोर ,इसे तुम कच्चा धागा न समझना राम वही है,रहीम,ईसु भी है, नानक नाम भी एक है। फिर क्यू बन्ते हो, अलग नाव के अलग खेवैया, जब रोटी देने वाला भी एक है। #मत बाटो