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Nitish Singh Rajput
लोग कहते हैं piyar करो piyar मिलेगा लेकिन अब तो ये सपना है नीतिस
RAVINANDAN Tiwari
स्वतः मुल्यांकन जो नित्य करे, मन से छटे विकार, सदा प्रसन्न रहे वह, हो सबको वह स्वीकार! दुसरे का मुल्यांकन जो करे,नुक्ताचीनी में दे दिन गुजार, दुःखी रहे वो सदा जो, स्वतः करे न सुधार !! 🌹🙏शुभ प्रभात 🙏🌹 #नीति_कच्ची_सड़क
RAVINANDAN Tiwari
एक तो है यह अपने अधीन, मौन धारण में और एक गुण, नासमझ बैठा सभा बिच निपुण, योग्य बने धारण कर यह आभूषण ! 🌼 🙏सुप्रभात🙏🌼 #नीति_कच्ची_सड़क
RAVINANDAN Tiwari
एक तो है यह अपने अधीन, मौन धारण में और एक गुण, नासमझ बैठा सभा बीच निपुण, योग्य बने धारण कर यह आभूषण ! 🌼 🙏सुप्रभात🙏🌼 ©RAVINANDAN Tiwari #नीति_कच्ची_सड़क
Sankalp Joshi
|| संकल्प नीति || लक्ष्य की सीढ़ी है संकल्प, सत्य की पीढ़ी है संकल्प! राजा की नीति है संकल्प, रंक की स्थिति है संकल्प! प्रेम में विश्वास हैं संकल्प, ईश्वर का एहसास हैं संकल्प इंद्र का मतवार है संकल्प, हर घड़ी बदलाव है संकल्प राम की प्रतिज्ञा है संकल्प, रावण का अहंकार है संकल्प!! विजय संकल्प ,हार संकल्प सत्य का वह साथ है संकल्प.. संकल्प नीति2
Madhav Jha
वैराग्य और भय का संबंध भोगे रोगभयं कुले च्युतिभयं वित्ते नृपालाद्भभयंमौने दैन्यभयं बले रिपुभयं रूपे जरायाभयम् ।शास्त्रे वादिभयं गुणे खलभयं काये कृतान्ताद्भयंसर्वं वस्तु भयान्वितं भुवि नृणां वैराग्यमेवाभयम् ।। ( अर्थ - भोग करने पर रोग का भय, उच्च कुल मे जन्म होने पर बदनामी का भय, अधिक धन होने पर राजा का भय, मौन रहने पर दैन्य का भय, बलशाली होने पर शत्रुओं का भय, रूपवान होने पर वृद्धावस्था का भय, शास्त्र मे पारङ्गत होने पर वाद-विवाद का भय, गुणी होने पर दुर्जनों का भय, अच्छा शरीर होने पर यम का भय रहता है। इस संसार मे सभी वस्तुएँ भय उत्पन्न करने वालीं हैं। केवल वैराग्य से ही लोगों को अभय प्राप्त हो सकता है।) #नीतिशतक #wiseness
रसिक उमेश
जीवन के समस्त दुख का सार है मोह और पिपासा, जीवन मे सुख का आधार है सन्तोष और जिज्ञासा। ©रसिक उमेश #नीतिबचन:- #neerajchopra
Nitish Kumar Bharadwaj
खफा भी रहते हैं और वफा भी करते हैं इस तरह वो अपने प्यार को बयां भी करते हैं जाने कैसी नाराजगी है हमसे कि हमें खोना भी चाहते हैं और पाने की दुआ भी करते हैं #शायरी #नीतिश
Prashant Kumar
धर्म समाज द्वारा निर्मित है।धर्म ने नीतिशास्त्र को जन्म नही दिया है, अपितु इसके विपरीत नीतिशास्त्र ने धर्म को जन्म दिया है।समाज को जीवित रखने के लिए समाज द्वारा निर्धारित नियमों को ही 'नीतिशास्त्र' कहते हैं, और इस नीतिशास्त्र का आधार तर्क है।धर्म का आधार विश्वास है और विश्वास के बंधन से प्रत्येक मनुष्य को बांधकर उससे अपने नियमों का पालन कराना ही समाज के लिए हितकर है। #चित्रलेखा #चाणक्य #नीतिशास्त्र