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शिखर सिंह

तंग सब जंग से, क्या मिला जंग में, हम खुश जंग में, तुम दुखी जंग से, तन्हा हुए जंग में, रिश्ते भंग जंग से, लाल रंग जंग में, आँख नम जंग से, बरब

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तंग सब जंग से, क्या मिला जंग में,
हम खुश जंग में, तुम दुखी जंग से,
तन्हा हुए जंग में, रिश्ते भंग जंग से,
लाल रंग जंग में, आँख नम जंग से,
बरबाद सब जंग में, बेतार सब जंग से,
अंग भंग जंग में, कुशाग्र तंग जंग से,
तन घायल जंग में, मन घायल जंग से,
लाभ क्या जंग में, सब लुप्त जंग से,
ओझल हुए जंग में, सम्पदा नष्ट जंग से,
काल सब जंग में, विनाश सब जंग से,
तुम खुश जंग में, हम दुखी जंग से,
तंग सब जंग से, क्या मिला जंग में।

-शिखर सिंह तंग सब जंग से, क्या मिला जंग में,
हम खुश जंग में, तुम दुखी जंग से,
तन्हा हुए जंग में, रिश्ते भंग जंग से,
लाल रंग जंग में, आँख नम जंग से,
बरब

Åshwanî Tiwari

कर दिया है मैंने एलान-ए-जंग #कविता

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कर दिया है एलान-ए-जंग खुद से ,
पाकर रहूंगा अपनी मंजिल 
 अब एक क्या हजारों मुश्किलें भी ,आ जाएं मेरे मार्ग में
 हूं जो अब मैं तैयार ,उनसे भी जंग करने को

 कर दिया है मैंने ,एलान-ए-जंग 
अपने मोबाइल से ,अपने सोशल मीडिया अकाउंट से,
 यूट्यूब से, फेसबुक से, व्हाट्सएप से, इंस्टा से,

 हूँ जो मैं अब तैयार जंग  करने को 
अपनी मक्कारीओं से ,अपने आलसी पन से ,
अपनी नादानियां से, अपनी मुश्किलों से ,

लड़ूंगा मैं अब अपने  भविष्य के लिए ,खुद से खुद के लिए 
अब ना ज्यादा सोचूँगा, ना ज्यादा घबराऊंँगा 
बस अपनी मंजिल की ओर ,धीरे-धीरे बढ़ता जाऊंगा कर दिया है मैंने एलान-ए-जंग

imVeerSah

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parvinder singh

कह दिया करते था हम हर बात को दिल खोल के जैसे जैसे बड़े हुआ जीमेदरिया ने चुप रहना सिख दिया

©parvinder singh #जिन्दगी #जंग  #वक़्त #रंग  #तकदीर

Ravi Ranjan

एक जंग कोरोना के संग

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एक जंग कोरोना के संग

ये जो कोरोना की मार है
हुई पूरी दुनिया लाचार है
इसकी न कोई दवा है, न इलाज़ है
बस सुरक्षा ही उपचार है
तो सफाई रख, साबुन से हाथ मल
तभी तू लड़ने को तैयार है
सभी दहशत में हैं...
कि अब क्या होगा...
सब ठीक होगा... बस एक शर्त है
कि हम सबको ठहरना होगा
तो ठहरो अपने घरों में
न निकलो यूँ बाज़ारों में
निकलो जब बहुत जरूरी हो
पर ध्यान रहे... आवश्यक दूरी हो
क्यूँ भागम-भाग मचाये हो
क्या मौत लेने आए हो...
सरकार कह रही है... रुको
तो मान भी लो न भाई
अपनी इस आपा-धापी से तुम
क्यों कर रहे हो जगहँसाई
माना कि जेब खाली है
भूखी तेरी घरवाली है
पर कौन यहाँ सुख-चैन से है
सबकी यही बदहाली है
बाहर जो राक्षस खड़ा है
उसने किसको छोड़ा है
आम तो आम है... देख
अब राजा को भी घेरा है
इसलिए अब बातें मान ले
न जाऊँगा बाहर यह ठान ले
यूँ चिंता ना कर...
तेरा राजा तेरे साथ है
हम जीतेंगे यह जंग भी
बस कुछ दिनों की बात है एक जंग कोरोना के संग

Satish Kumar Jayaswal

#Holi2019 #FourthQuote #4th रंग भरी जंग चली  गलियों में तंग चली  रंग-रंग के अंग-अंग  करती हुड़दंग चली 

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रंग भरी जंग चली 
गलियों में तंग चली 
रंग-रंग के अंग-अंग 
करती हुड़दंग चली 

Read full poem in caption #holi2019
#fourthquote
#4th
रंग भरी जंग चली 
गलियों में तंग चली 
रंग-रंग के अंग-अंग 
करती हुड़दंग चली 

Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)

तेरा भी खून रंग लाने लगा

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पेड़ पर फूल आ जाने से,उनका स्वभाव नहीं बदलता,उसी तरह मनुष्य में भी,परिवार के खून का असर पाया जाता है,कड़वा है मगर सत्य तेरा भी खून रंग लाने लगा

JAYDEV MISHRA

#कोरोना से जंग जयदेव मिश्र के संग ...

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राग

# रंग और संग.. #शायरी #nojotophoto

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 # रंग और संग..

जगदीश निराला

रंग में भंग

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सर्द रातें और चाय  कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक मेला लगता है रामगढ़ में.यही वो ऐतिहासिक 
भन्डदेवरा मंदिर यानी शिल्प कला काअकूत ख़जाना लिए पौराणिक
शिवमंदिर है.जोघने जंगल के मध्य स्थिति है. जिसे देखने काफी संख्या में देशी विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा ही रहता है।
हम भी रामगढ़ की दृश्यावली को देख अभीभूत  थे.भन्डदेवरा को देख इसीलिए तो महान इतिहासकार ने लिखा कि जैसे विश्व की सारी कलाकृति
यहीं सिमट कर रह गई हो।कई देशी विदेशी जोड़े मंदिर के विभिन्न एगंलो से फोटोशूट कर रहै थे।
 पुरातत्व अवशेष बता रहे थे कि ये नवी शताब्दी का तांत्रिक क्रियाओं का साधना केन्द्र रहा था.जिसे मलयवर्मा नामक राजा ने जिर्णोद्धार करवाया था.
जिसके बाद वर्त्तमान सरकार ने कुछ राशी बिखरी संम्पदा को यथा स्थान स्थापित करने की घौषणा तो की पर कार्य अभीतक भी न हो पाया।
साहित्यकार कवि कलाकार भी एकत्रित थे इस मीटिंग में.
रात घिर सी आई थी. लकडिय़ों इक्कठी कर अलाव जलाया गया था.
भोजनकर सभी केम्पफायर में शामिल थे. कंजर बालाओं का अद्भूत चकरी नृत्य मनलुभावन था.तो विदेशी एक जोड़े ने हार्मोनियम तबले पर हनुमान चालीसा गाकर मंत्रमुंग्ध कर दिया. अब महेन्द्र कौशिक ने भजन मीरा हो गई मगन सुनाया तो विपिन बीच संगीत में खो गए हम.पश्चात मांगीलाल राणावत ने  भी चदरिया झीणी रे झीणी के सुरों में पूरर्णिमां की चांदनी मैं चांदी घोल दी वही मांगरोल की मशहूर मांड़ गायिका विमला सारस्वत ने निराला नखराल़ा म्हारा केसरिया भरतार .छेड़ा .गीतकार निराला ने जवाब में सुर छैड़े .रुप की रूपाल़ी म्हारी केसर की कल़ी .सासरिये ले चाला आओ चालो तो सणीं ।संगीत सातवें आसमान पर जादू बिखेर रहा था.सभी को चाय की तलब लगी थी।
गौशाला में चाय बनाई जा रही थी।एकाएक हल्ला मचा शेर आ गया शेर सभी सहम से गये.हडबडाहट में चाय का भगौना औंधा हो किसी दिवाली की बची आतिशबाजी चला दी.शेर दहाड़ा दौड़ता केम्पफायर की और लपका सभी लोगों कलाकारों ने जलती लकडिया उठा ली थी.तरक़ीब कामयाब रही शेर दहाड़ते हुए जंगल में दाखिल हो गया कार्यक्रम समापन की घौषणा की गई. हम सभी चाय की तलब लिए गाडियों मेंं बैठ वापस मांगरोल आ गए।घटना जब भी याद आती कलेजा मुंह को आ जाता है।

जगदीश निराला मांगरोल रंग में भंग
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