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Mohan Somalkar
पंढरीची वारी॥ वाटे मज करु॥ हाती ध्वज धरु॥ विठ्ठलाचा॥१॥ चंद्रभागे तिरी ॥ स्नान चला करु॥ पहाट पहरु ॥ नाम घेऊ॥२॥ कर कटा वरी॥ पांडुरंग उभा॥ दर्शनाची मुभा ॥ सकलांना॥३॥ किर्ती रुपे ऊरु॥ ऐकुया कीर्तन ॥ आनंदले मन॥ विठुपायी॥४॥ नाम त्याचे स्मरु॥ पाहुनिया स्वरुप ॥ डोळ्यात ते रुप ॥ सदा भरु॥५॥ ●॰जय हरी विठ्ठल ॰● मोहन सोमलकर नागपुर ©Mohan Somalkar #रुप
जगदीश निराला
चेहरा है या चाँद खिला है, रुप चौवदस कीच के बीच जब कंज खिले. दौड़ै भ्रमर गुंजार करे। जब रुप मिले भले नीचन मेंं भी. सुर जायके वांको वरण करे। पुराणों के अनुसार असुर जाती की कन्या लक्ष्मी को. देवाधिदेव श्री विष्णु ने इसीलिए वरण कर उदाहरण प्रस्तुत किया कि सौन्दर्य कहीं भी मिल सकता है वो अपनाने योग्य है। । जगदीश निराला मांगरोल रुप चौवदस
Sulabh Mishra
हे रूप सुंदरी कहां से हो और क्या शुभ नाम तुम्हारा है स्वर्ग लोक से लगती हो यह अनुमान हमारा है देखने वाला देखता होगा रूप तेरा मनमोहक सा जिस पर राधा नाचे थी उस मुरली के सम्मोहन सा है छटा बिखेर रहा सौंदर्य जिसका द्वितीय नहीं संभव गर एक बार सोचा जाए तुम जैसा मिलना ना संभव रूप तेरा ऐसा मानो एक हुस्न की रानी आई है लगता है प्रेम की वर्षा की वह नई कहानी लाई है उस प्रेम के मादकता विशेष की गरिमा की अनुकंपा है कुछ हुआ नहीं है अभी प्रिये उस बात की मुझको शंका है दूर तलक की सोच ने मुझको किस मंजिल पर घेरा है आगे बढ़ने की सोच नहीं बस चारों तरफ अंधेरा हैै मैं प्रेम की माला का मोती वह उस माला का धागा है यदि रहा इसी स्थिति में तो हृदय बड़ा अभागा है रुप सौंदर्य
Deep Shikha
रंग और रूप रंग और रूप कि धूप में , जल रहा ये जहान है एक रंग रुप कि आग से हीं तो बन रहा ये जग विरान है #रंग#रुप
Nitin Agarwal (Nick)
हम से ज़िन्दगी हैँ, ज़िन्दगी से हम नहीं !! ©सच्ची बातें, अच्छी बातें ज़िन्दगी का रुप !!
Nitin Agarwal (Nick)
"ए मंजिल के, सफर के राही, जी ले अपनी ज़िन्दगी अपनी शर्तों पर, मिला हैँ यह जन्म तुझे तेरा, कुछ कर गुजरने के लिए, रास्तों मे मिलेंगे तुझे कुछ लोग, उन कंकड़ और चिकनी मिट्टी की तरह, जो खेचेगे तुझे अपनी ओर, तेरी मंजिल के रास्तों से, लेकिन तेरा आत्मविश्वास ही लेगा, तेरे मुकदर का फैसला, तुझे जाना हैँ उस जगह, जहाँ तुझे कोई ना देखता हो, या उस जगह जहाँ, तुझे देख सके हर कोई वहां"!!!!!! (नितिन अग्रवाल ) समय का रुप !!!