Nojoto: Largest Storytelling Platform

New छबीली छबीली छबीली Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about छबीली छबीली छबीली from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, छबीली छबीली छबीली.

Related Stories

    PopularLatestVideo

vishnu prabhakar singh

लो आ गयी संवर कर छबीली धूप.. सुप्रभात 😄🙏🌻.. #धूपकासफ़र #सुनो #सूरजकापैग़ाम #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #उजाले #yqmorningthought

read more
धूप एक दिन झिझक गया
बादल के पीछे ठिठक गया
मनभर कर गीला हुआ धूप
बादल संग रंगीला हुआ धूप
छटा बिखर गई  आसमानी
लजाय धूप रेनबो की रवानी 
लो आ गयी संवर कर छबीली धूप.. 

सुप्रभात 😄🙏🌻..

#धूपकासफ़र 
#सुनो 
#सूरजकापैग़ाम

Kiran Bala

थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली आई झाँसी में बन वो दुल #HindiPoem #kavishala #nojotohindi #kalakaksh #hindinama #TST #kiranbala #Lakshmibai

read more
झाँसी की रानी  थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल्हन नवेली
 थी खेली वक्त ने भी आँख- मिचौली 
हुई विधवा,रह गई निसंतान अकेली
तब धूर्त डल्हौजी ने चाल एक खेली
लैप्स की आड़ में, झाँसी थी ले ली
 दत्तक पुत्र को ले संग-साथ छबीली
नाना ,ताँत्या, के संग  बना के टोली
बन रण-चण्डी, रक्त की खेली होली
घबराए फिरंगी,फौज वापस थी ले ली
थे धूर्त फिरंगी चाल फिर वापिस खेली
घेरा रानी को तब जब वो थी अकेली
कर वार पर वार बच निकली छबीली
पर दुष्टों ने घोड़े की जान थी ले ली
ले नया घोड़ा वो बढ़ चली अकेली
था नाला सामने जिद घोड़े ने कर ली
घिर चुकी थी अब वो मनु फुर्तीली 
हारी नहीं, अन्त तक लड़ी अलबेली 
घबराए ह्यूरोज ने कटार पीछे से फेंकी
मरते हुए भी प्राण उसके वो ले गई 
है धन्य धरा आज भी तुमसे छबीली
अमिट रहेगी,सदैव यश-गाथा तेरी थी एक नार अलबेली,चतुर सलोनी
था नाम मनु पर सब कहते छ्बीली
ढाल,तलवार, कटार संग वो खेली
निडर, साहसी वीरांगना थी फुर्तीली
आई झाँसी में बन वो दुल

Yashpal singh gusain badal'

प्रिया मन  की आँखोँ मेँ अक्ष तुम्हारा मुस्काता है । मेरे अधरोँ पर नाम तेरा ही क्यों आता है । तू चंचल तेरे चितवन प्यार #कविता #creativeminds

read more
प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यारे,
अल्हड़,शोख, मोहक,कजरारे ।

क्योँ   जाने   सपनोँ   मेँ   मेरे,
अक्ष तुम्हारा ही क्योँ आता है ।

यौवन  की मधुमास छबीली ,
तू महफिल की,शाम नशीली ।

तेरा सुन्दर  रूप  सलौना ,
मेरे मन को क्योँ भाता है ।

काले-काले   केश    घनेरे ,
चाँद को ज्योँ हो बादल घेरे ।

ऐसी मोहक छटा अनूठी ,
मेरे  मन को सरसाता है ।

ले0 यशपाल सिँह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' प्रिया
मन     की    आँखोँ    मेँ
अक्ष तुम्हारा मुस्काता है ।

मेरे अधरोँ पर नाम तेरा
ही    क्यों   आता   है ।

तू  चंचल  तेरे  चितवन   प्यार

कवि राहुल पाल 🔵

"पनिहारन " लेखक - कवि राहुल पाल दिनांक -७ जून २०२१ **************** इक नार नवेली,छैल छबीली चली इठलाती पनघट पर , कर में कंगना ,कमर करधनी, न #कविता #nojotohindi #nojotowriters #nojotonews #KRP #Paniharan

read more
......................

©कवि राहुल पाल "पनिहारन "
लेखक - कवि राहुल पाल 
दिनांक -७ जून २०२१ 
****************
इक नार नवेली,छैल छबीली चली इठलाती पनघट पर ,
कर में कंगना ,कमर करधनी, न

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-24 अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी कथाकार की पहली दृष्टि अ #प्रेरक

read more
पेज-24
अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी  कथाकार की पहली दृष्टि अचानक "बिजली" पर पड़ी.. ! बिजली.. ! कौन बिजली..?  वही जो ताऊ जी के साथ सुधा के घर आ धमकी...! गांव की छोरी..छैल छबीली...आँगन में मुख चमका रही है..!अपने घर से श्रृंगार पेटी लाई है.. श्रृंगार पेटी.. एक टिन चादर की छोटी सी संदूक..! संदूक में ताला..!  ताले के अन्दर बोरोप्लस, सरसों का तेल, मुरदाशंख, बड़ी कंधी, ककई, पॉन्ड्स पाउडर, मोंगरा इत्र की शीशी...! छोटा सा आईना..! मटमैले रंग की घाघरा चोली में केशरिया दुप्पटा कमर में कसा हुआ... दाहिने हाथ में गुदना गुदा... " कजरी मेरी मइया ".. बाएं हाथ में बिजली... !
नैलपॉलिस कत्थाई रंग लग रहा है ...  मुख में बोरोप्लस लिपा पुता सा दिखता है.. दो चोटी लाल फीते में कान के ऊपर दो गोले बनाये हुये...बालों में मन भर सरसों का तेल चुपड़ा हुआ कानों के पास से बूंद बूंद रिस रहा है... सामने बालकनी में हमारी पुष्पा जी अपने दांतों की परवरिश में लगी बड़े गौर से बिजली का श्रृंगार देख रही हैं.. तभी इतने में जे.एल.फेमिली पुष्पा जी के घर से गुजरते हुये मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं..पुष्पा जी बालकनी में मुखमंजन करते हुये तीनों को बड़े गौर से देखती हुई और..तभी उनका ब्रश दांतों की पकड़ से छूटकर नीचे गिर जाता है.. और अचानक पुष्पा जी के ज्ञान चक्षु जाग्रत होते ही...
आगे पेज-25

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
पेज-24
अगले दिन सुबह का सूरज उगने को है... पंछियों का कलरव कोई सुखद ख़बर आने का संकेत दे रहा है तभी  कथाकार की पहली दृष्टि अ

Ravi Panday

जय भवानी⚔🔱🚩🔱⚔ वो खिलौनों से खेलने की उम्र में हथियारों से खेला करती थी। राजा रानी के किस्से सुनने की वजह राष्ट्रप्रेम के किस्से सुनती थी।दुश #Quotes #India #Inspiration #poem #Shayari #gwalior #idol #pandayji #mypoets #queenofjhansi

read more
 जय भवानी⚔🔱🚩🔱⚔
वो खिलौनों से खेलने की उम्र में हथियारों से खेला करती थी। राजा रानी के किस्से सुनने की वजह राष्ट्रप्रेम के किस्से सुनती थी।दुश

Insprational Qoute

विषय:-#हुस्न की जादूगरी(राधा कृष्ण संवाद) 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 कृष्ण:- बोलो ये हुस्न की जादूगरी है या नजरों का फेर राधे, जब से पाया है तेरा साथ #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkहुस्नकीजादूगरी #Nishakamwal

read more
✍️निशा कमवाल विषय:-#हुस्न की जादूगरी(राधा कृष्ण संवाद)
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
कृष्ण:-
बोलो ये हुस्न की जादूगरी है  या नजरों का  फेर राधे,
जब से पाया है तेरा साथ

Insprational Qoute

रचना:-05 विधा-संवाद विषय:-(राधा कृष्ण संवाद) 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 कृष्ण:- बोलो ये हुस्न की जादूगरी है या नजरों का फेर राधे, जब से पाया है तेरा #कोराकागज #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #collabwithकोराकागज #kknishakamwal

read more
..... रचना:-05
विधा-संवाद
विषय:-(राधा कृष्ण संवाद)
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
कृष्ण:-
बोलो ये हुस्न की जादूगरी है  या नजरों का  फेर राधे,
जब से पाया है तेरा

Priya Kumari Niharika

# मैं स्त्री हूं मैं स्त्री हूँ साधु कहे ईश्वर की माया,पुरुषों के लिए काया समाज के लिए निर्बल निर्भर,तांत्रिक कहते छाया माँ पिता को बोझ #Quote #me #maa #कविता #nojotohindi #treanding

read more
मैं स्त्री हूँ 

साधु कहे ईश्वर की माया,पुरुषों के लिए काया 
समाज के लिए निर्बल निर्भर,तांत्रिक कहते छाया

माँ पिता को बोझ लगू, भाई कहे मुझे छोरी,
फिल्मों में किरदार भी मेरा, छैल छबीली गोरी,

सामंतों की रूचि मैं,जनगणना की सूची हूँ 
जिस घर में बालक की आशा, उनके लिए अरुचि हूँ 

पति है स्वामी, मैं हूँ दासी, ससुराल के लिए दहेज की राशि,
स्वाभिमान और सम्मान के खातिर, रहती हूँ हर क्षण मैं प्यासी,

संविधान में लिंग की समता,साहित्य के लिए विमर्श हूँ मैं ,
पड़ोसी के लिए कैलेंडर का, बढ़ता जाता वर्ष हूँ मैं,

 माता-पिता कहे मैं हूँ परायी, सास ससुर कहे बाहरवाली
 बेटी बहू बहन और माता, रिश्ते सारे लगते जाली

 समाज कहे प्रतीक हूं मैं, त्याग सेवा लज्जा की 
 आभूषण कहते है मुझसे, प्रतीक हूं केवल सज्जा की 

 स्त्री कहती है की मैं, परंपराओ की रक्षक हूं
 पितृसत्ता कहती मुझसे, केवल उनकी भक्षक  हूँ

 विद्रोह करू तो बेशर्म,असंस्कारी, चुपचाप सहूँ तो दुःख दे भारी
 व्रत उपवास हमारे हिस्से, पुरुष बना मंदिर का पुजारी

 देवदासी प्रथा ने मुझको, इतना ज्यादा झकझोरा है
 भक्ति के ही कफन में मुझको, लाश बना कर छोड़ा है

 बोली मेरी भी लगती है, बेची जाती हूं बाजारों में
 सांसे घुटती रहती हर क्षण, जिंदा रहती हूं नारों में

 अनमोल चीज व्यापार की हूं, शायद कोई उपहार भी हूं
 है दीन हीन दशा तो क्या, मैं जिन्दा कारोबार भी हूँ

 मत मेरा मेरा न होता, छत मेरा मेरा न होता
 मिला नहीं गर कोई समर्थन, पथ मेरा मेरा न होता

 खुद के लिए मैं स्वयं समाजिक, धारणाओं की बंधक हूं
 सब कुछ अनदेखा कर सहती, मैं तो सचमुच ही अंधक हूं

©Priya Kumari Niharika # मैं स्त्री हूं
मैं स्त्री हूँ 

साधु कहे ईश्वर की माया,पुरुषों के लिए काया 
समाज के लिए निर्बल निर्भर,तांत्रिक कहते छाया

माँ पिता को बोझ

Jangid Damodar

झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी

read more
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

 चमक उठी सन् सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

 कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

 वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

  #NojotoQuote झांसी की रानी -सुभद्रा कुमारी चौहान 

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile