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New राधा-कृष्ण उत्तर प्रदेश Quotes, Status, Photo, Video

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Priti Meharwal

मैंने पूछा तकलीफ से तू बड़ी या सांवरा
उसने मुस्कुरा कर कहा...
....मैं...
मेरे रहते ही तुझे सांवरा मिला ।।

©Priti Meharwal #राधे #राधा #कृष्ण #प्रेम #प्यार

Priti Meharwal

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Raone

राधा कृष्ण प्रेम #कविता

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राधा-कृष्ण प्रेम 

मुझसे अच्छी तो बंशी तेरी, रहती हरपल पास ।

कभी हाँथ से उसको तुम छूते, कभी होती होंठ निकस ।।

कान्हा राजकुमार तू, मैं जोगनियाँ तेरे नाम की ।

मैं पागल सी हो गई, ना रही किसी काम की ।।

राधे-कृष्ण तो नाम हीं, होता सच्चा संग ।

इक आँसू इक आँख है, सुख-दुख में रहते संग ।।

बरसाने राधा ढूँढ रही, कहाँ हो मेरे मीत ।

होरी आयी तुम भी आओ, कहाँ गये मनमीत ।।

निश्छल मन मेरा तड़प रहा, दरस दिखा नन्दलाल ।

मोर मुकुट बंशी सहित, देख रूप हो लूँ निहाल ।।

वन-वन भटकूं, दर-दर भटकूं, भटकूं यमुना तीर ।

दरस दिखा गोपाल मेरे, अंखियन बहते नीर ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-4) राधा कृष्ण प्रेम

Bijender Singh

कृष्ण-राधा प्रेम

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मेरे प्यार चाँद
हमने प्यार में कितनी बाधा देखी 
फिर भी हमने हरदम 
श्री कृष्ण के संग राधा देखी ||
|| बिजेन्द्र सिंह || कृष्ण-राधा प्रेम

Raone

राधा कृष्ण प्रेम #कविता

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राधा-कृष्ण प्रेम 

रास तूने है बहुत रचाया, फ़िर क्यूँ ना मुझको अपनाया ।

तेरे प्रेम में बाँवरी हो गयी, बन छलिया क्यूँ दिल ये दुखाया ।।

रोते हृदय से गुहार लगाऊँ, अश्रु भर नैनों से रोऊँ ।

बरसाने की गलियों में, मैं राधा-कान्हा को खोजूं ।।

बिछड़े जब से तुम हे सांवरे, मैं राधा सुध बुध सब खोई ।

तुम पगले हो क्या जानोगे, मेरे दुख का ओर ना छोर कोई ।।

जैसे बिन पानी मछली है तड़पे, मैं राधा वैसी तड़पी हूँ ।

कभी बरसाने कभी वृन्दावन, मैं कान्हा-कान्हा जपती हूँ ।।

तूने प्रेम बहुत है दिया रे, दिया मुझे सम्मान ।

लेकिन खुद को ना दिये, चले गये निज धाम ।।

सत्य कहूँ तो सुन हे कान्हा, तू निकला बड़का बड़बोला ।

कहता है तू हीं राधिका मेरी, मैं तेरे ब्रजमंडल का ग्वाला ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-2) राधा कृष्ण प्रेम

Raone

राधा कृष्ण प्रेम #कविता

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राधा-कृष्ण प्रेम 

मैं राधा रे जिऊँ मरूं पर तुझको मेरी फ़िकर नहीं ।

तू द्वारिकाधीश हुआ, तुझको है मेरी पीर नहीं ।।

कहने को हरदम तू कहता, हे राधे मैं तेरा साथी हूँ ।

नाम जोड़ के चला गया, देख तेरे बिन मैं आधी हूँ ।।

कैसे हूँ मैं दंश झेलती, कान्हा क्या तू जानेगा ।

कैसे तेरे विरह में जीती, जाने कब सुधि तू लेगा ।।

अरे निश्छल मन मेरा तड़प रहा, दरस दिखा नन्दलाल ।

माया, मोह तेरी आज भी है, आ पूछ ले मेरा हाल ।।

वन-वन भटकूं, दर-दर भटकूं, भटकूं यमुना तीर ।

आजा कान्हा दरस दिखा, राज़ीवनयन झरते नीर ।।

अरे पर्वत जैसी पीर है मेरी, है हृदय मेरा गम्भीर ।

आजा मेरे पास रे कान्हा, ओ मेरे मनमीत ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी 

(भाग-3) राधा कृष्ण प्रेम
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