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Brijesh Dubey

तेरी खूबसूरती की बात करू तो शब्दों की कमी सी लगती है
तू स्वर्ग से उतरी किसी अप्सरा सी लगती है
मोहिनी की पुनर जन्म सी लगती है
तेरी खूबसूरती के आगे बकियो की ये खुबसूरती बडी हल्की सी लगती है। मोहिनी(हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे खूबसूरत औरत)



 Abha Singh (Someone's Queen)👑 Rupali Roy Deepmala Kumari Faguni Verma Sangya Venu

मोहिनी(हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे खूबसूरत औरत) Abha Singh (Someone's Queen)👑 Rupali Roy Deepmala Kumari Faguni Verma Sangya Venu

7 Love

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Divyanshu Pathak

तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती नजारे हम क्या देखें.......
💕🌷🙋💕👧 इस एक पंक्ति में इतना माधुर्य है कि 💕🌷🍫🍫 .....मन की बात कहूँ.....
:
प्यार करने का कौनसा तरीका तृप्त करेगा तुझे...
तेरे लिए कुछ लिख कर सुख पा

इस एक पंक्ति में इतना माधुर्य है कि 💕🌷🍫🍫 .....मन की बात कहूँ..... : प्यार करने का कौनसा तरीका तृप्त करेगा तुझे... तेरे लिए कुछ लिख कर सुख पा #shweta #Priya #komal #indu #Mridula

0 Love

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VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕

तुम हमारे,हम तुम्हारे हो गये 
गीत जैसे शब्द सारे हो गये

खिल गये हैं हम तुम्हारे प्यार से
लग रहे हैं दिन सभी त्यौहार से
तुम हमें हमसे भी प्यारे हो गये
तुम हमारे,हम तुम्हारे हो गये

©VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 इस सीने में धड़कन बनकर, धड़क रहा दिल जब से है
अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है
माना कि हैं हम तो फौजी, धरम जुदा मेरा सब से है
अपनी

इस सीने में धड़कन बनकर, धड़क रहा दिल जब से है अपनी भी हो एक माशूका यही, चाहत मेरी तब से है माना कि हैं हम तो फौजी, धरम जुदा मेरा सब से है अपनी

69 Love

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AK__Alfaaz..

मेरी गली ने,
​जब तेरी आहट सुनी,
​हवाऐं आकर बलईयाँ लेने लगी,
​सूरज की किरणों ने,
​पगडंडियाँ बुहार दीं,
​बादलों ने बरस कर पैर पखारे,
​आसमान ने,
​सितारों के सिक्के भरकर हथेलियों में,
​न्यौछावर कर दी नदियों पे,
​
​​दिल के देवालय में,
​एक मूरत स्थापित हुयी,
​प्रीत की जोगन ने,
​अपनी वत्सलता के ​दुग्ध-दही से,
​समर्पण की शहद-मिश्री से दिवास्नान कराया,
​ #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#तू_जोगन_मै_वैरागी...

मेरी गली ने,
​जब तेरी आहट सुनी,
​हवाऐं आकर बलईयाँ लेने लगी,
​सूरज की किरणों ने,

#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #तू_जोगन_मै_वैरागी... मेरी गली ने, ​जब तेरी आहट सुनी, ​हवाऐं आकर बलईयाँ लेने लगी, ​सूरज की किरणों ने, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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Anil Ray

लोककथा.............✍🏻
इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि इतिहास में महिलाओं का जितना योगदान है उतना ही इतिहास के पन्नों में उनके लिए कम लिखा गया है या यूँ कहे तो लिखा ही नहीं गया क्योंकि ये पुरुष प्रधान समाज है और पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को अपना आदर्श बनाने में हिचकिचाते है। 

खैर ये वीरगाथा है मैवन्द की मलालाई की.....

इतिहास में शायद इस अफगानी बहादुर लड़की के बारे में
 कम लिखा गया है सो हम लिख रहे हैं.......✍🏻

(शेष अनुशीर्षक में पढ़ें 👇🏻)

©Anil Ray
  कहानी है अफ़ग़ानिस्तान की लोक कथाओं में रहती एक बहादुर लड़की की, जिसका नाम था मैवन्द की मलालाई...
कहानी शुरू होती है 1880 के अफ़ग़ान-ब्रिटेन

कहानी है अफ़ग़ानिस्तान की लोक कथाओं में रहती एक बहादुर लड़की की, जिसका नाम था मैवन्द की मलालाई... कहानी शुरू होती है 1880 के अफ़ग़ान-ब्रिटेन #story #पौराणिककथा

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यशवंत कुमार


दो दिल और एक जान पढूँ,  तू गीता पढ़े मैं कुरान पढूँ!
न हिंदू पढूँ, न मुसलमान पढूँ,  इंसान हूँ मैं, इंसान पढूँ!! कुरान, महाभारत में इतने करीब से कुछ ना बताया होगा जितना मै तेरी मुस्कान के बारे में बता सकती हूं , रमायाना में इतना राम नाम ना लिखा होगा , ज

कुरान, महाभारत में इतने करीब से कुछ ना बताया होगा जितना मै तेरी मुस्कान के बारे में बता सकती हूं , रमायाना में इतना राम नाम ना लिखा होगा , ज #StoryTeller #BlackDay #YourQuoteAndMine #yqlovestory #happyvalentineday #alkarajawat

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Abhidev - Arvind Semwal

किसान हक़ का मारा नहीं, 
उसने इस धरा से वसूल करके, 
दुनिया को खिलाया है !
मैं दावे से कहता हूँ यही सच है, 
किसी ने जानकर फायदा 
फिर लहू में अफीम मिलाया है !!

अच्छे दिनों का थम,  सिलसिला रहा है, 
भक्त भक्ति में अब तक तिलमिला रहा है !
ये तो बस एक छोटा सा राज खुलना हुआ, 
यहाँ हर बदलाव इनका जुमला रहा है !

क्या ये तार तार करना खुद को अच्छा रहेगा, 
अपने ही कपड़े उतारना, कहाँ तक चलता रहेगा !
सड़क पर उतरे हो तो हक़ माँगो जमीं माँगो, 
ये द्वंद्व दंगा कब तलक अंदर हमारे पलता रहेगा !!!

बाजार बन गए हम, कठपुतली सा संसद हो गया है, 
सविंधान टोने टोटके जैसा, अपना रस मूल खो गया है !
मुझे दोष खुद मैं ही ज्यादा नजर आने लगे हैं, 
यहाँ कोड़ियो के दाम बिकता मान, इंसान सो गया है !!

साधना की कथाओं में अब इस सदी की व्यथा होगी, 
मैं सोचता हूँ अब क्या हमारी कला क्या प्रथा होगी !!
क्या हमारी आने वाली नस्लों को समझाया जायेगा, 
केसी वसीहतें होंगी हमारी फिर क्या सभ्यता होगी !!

यहाँ कुछ लोगों की जरुरत खत्म होना नहीं चाहती, 
वो भूख आँसू से मिटा सकती है, रोना नहीं चाहती !
आजादी के नाम का नशा बरसो रहा हमपर यहाँ, 
कागजों में कैद होकर वो आजादी फिर खोना नहीं चाहती!!

हक़ बाँटो बराबर, स्वाभिमान की सत्यता मानो, 
ना लड़ो बीहड़ में, निर्माण की प्रत्यक्छता माँगो !
खुद से पूछो तुम, कैसे माँग सकते हो दो रोटी 
जरुरी है अपना स्वाभिमान तुम सभ्यता माँगो !!


मेरे किसानों हाँ तुम अपना हक़ माँगो, 
जमी क्या,  तुम चाहो फलक माँगो !!
इस आग से तुम्हारे अपने ही जलते हैं, 
आँसू और बारिशों का तुम फर्क जानो !


मेरे किसानों हाँ तुम अपना हक़ माँगो !!


#अभीदेव_आभाष

©Abhidev - Arvind Semwal किसान हक़ का मारा नहीं, 
उसने इस धरा से वसूल करके, 
दुनिया को खिलाया है !
मैं दावे से कहता हूँ यही सच है, 
किसी ने जानकर फायदा 
फिर लहू में अ

किसान हक़ का मारा नहीं, उसने इस धरा से वसूल करके, दुनिया को खिलाया है ! मैं दावे से कहता हूँ यही सच है, किसी ने जानकर फायदा फिर लहू में अ #Life_experience #EveningBlush #अभीदेव_आभाष

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Umesh Rathore

          Part. 1
                    एक आदर्श चरित्र  ,
                    मर्यादा के पुरुषोत्तम 
                          श्री राम
                           (👇 अनु शीर्षक👇)
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     हम सभी जानते हैं की राम कहानी क्या है राम जी की जीवनी क्या है,
बचपन से कानों में एक ध्वनि सुनाई दी हरि अनंत हरि कथा अनंता,
अर्थात भगवान की क

हम सभी जानते हैं की राम कहानी क्या है राम जी की जीवनी क्या है, बचपन से कानों में एक ध्वनि सुनाई दी हरि अनंत हरि कथा अनंता, अर्थात भगवान की क #lovequotes #yourquote #yqdidi #yqtales #Bhakti #yourquotebaba

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मीनाक्षी मनहर

 लोकप्रिय लेखिका मीनाक्षी मनहर का नया कहानी संग्रह ‘ मन के मोती’ प्रकाशित हुआ. पुस्तक का मूल्य 150 रू डाक खर्च 20 रू

              क्या कहते

लोकप्रिय लेखिका मीनाक्षी मनहर का नया कहानी संग्रह ‘ मन के मोती’ प्रकाशित हुआ. पुस्तक का मूल्य 150 रू डाक खर्च 20 रू क्या कहते #nojotophoto

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Vikas Sharma Shivaaya'

*आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं....*

कभी आपने किसी के घर -ऑफिस  में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की है ? 
या किसी के घर  -ऑफिस में जाते ही एकदम से सुकून औऱ सकारात्मकता महसूस की है ?
 
जब हम  कुछ ऐसे घरों में जाते हैं   जहां जाते ही तुरंत वापस आने का मन होने लगता है- एक अलग तरह का खोखलापन और नेगेटिविटी उन घरों में महसूस होती है- साफ समझ आता है  कि उन घरों में रोज-रोज की कलह और लड़ाई- झगड़े और चुगली ,निंदा आदि की जाती है-परिवार में  सामंजस्य और प्रेम की कमी है- वहाँ कुछ पलों में ही हमें  अजीब सी बेचैनी होने लगती है और हम  जल्दी ही वहाँ से वापस आ जाता  हैं ...,

*वहीं कुछ घर इतने खिलखिलाते और प्रफुल्लित महसूस होते हैं कि वहाँ घंटों बैठकर भी हमें  वक़्त का पता नहीं चलता ...*

ध्यान रखिये...." आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं- घर की दीवारें युगों तक समेट कर रखती हैं सारी सकारात्मकता और नकारात्मकता भी...,"

*"कोपभवन"  का नाम अक्सर हमारी पुरानी कथा-कहानियों में सुनाई देता है - दरअसल कोपभवन पौराणिक कथाओं में बताया गया घर का वो हिस्सा होता था जहां बैठकर लड़ाई-झगड़े और कलह-विवाद आदि सुलझाए जाते थे- उस वक़्त भी हमारे पुरखे सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अलग-अलग रखने का प्रयास करते थे इसलिए " कोपभवन " जैसी व्यवस्था की जाती थी ताकि सारे घर को नकारात्मक होने से बचाया जाए*
 *इसलिए आप भी कोशिश कीजिए कि आपका घर "कलह-गृह" या "कोपभवन" बनने से बचा रहे...*

घर पर सुंदर तस्वीरें , फूल-पौधे, बगीचे , सुंदर कलात्मक वस्तुएँ आदि आपके घर का श्रृंगार बेशक़ होती हैं... पर आपका घर सांस लेता है आपकी हंसी-ठिठोली से - मस्ती-मज़े से- खिलखिलाहट से और बच्चों की शरारतों से -बुजुर्गों की संतुष्टि से -घर की स्त्रियों के सम्मान से और पुरुषों के सामर्थ्य से , तो इन्हें भी सहेजकर-सजाकर अपने घर की दीवारों को स्वस्थ रखिये।

*" आपका घर सब सुनता है और सब कहता भी है... "*

इसलिए यदि आप अपने घर को सदा दीवाली सा रोशन बनाये रखना चाहते हैं तो ग्रह कलह और , निंदा , विवादों आदि को टालिये...,

*"यदि आपके घर का वातावरण स्वस्थ्य और प्रफुल्लित होगा तो उसमें रहने वाले लोग भी स्वस्थ और प्रफुल्लित रहेंगे...!*

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 813 से 823 नाम 
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल 
812 अनिलः जो इल (प्रेरणा करने वाला) से रहित हैं
813 अमृतांशः अमृत का भोग करने वाले हैं
814 अमृतवपुः जिनका शरीर मरण से रहित है
815 सर्वज्ञः जो सब कुछ जानते हैं
816 सर्वतोमुखः सब ओर नेत्र, शिर और मुख वाले हैं
817 सुलभः केवल समर्पित भक्ति से सुखपूर्वक मिल जाने वाले हैं
818 सुव्रतः जो सुन्दर व्रत(भोजन) करते हैं
819 सिद्धः जिनकी सिद्धि दूसरे के अधीन नहीं है
820 शत्रुजित् देवताओं के शत्रुओं को जीतने वाले हैं
821 शत्रुतापनः देवताओं के शत्रुओं को तपानेवाले हैं
822 न्यग्रोधः जो नीचे की ओर उगते हैं और सबके ऊपर विराजमान हैं
823 उदुम्बरः अम्बर से भी ऊपर हैं
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' *आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं....*

कभी आपने किसी के घर -ऑफिस  में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की ह

*आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं....* कभी आपने किसी के घर -ऑफिस में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की ह #समाज

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N S Yadav GoldMine

प्रति दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक देवी सती के दर्शन के लिए आते है, इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯
{Bolo Ji Radhey Radhey}
रानी सती मंदिर :- N S Yadav..

रानी सती मंदिर की कथा और घूमने की पूरी जानकारी :- 🌹 रानी सती मंदिर राजस्थान राज्य के झुंझुनू में स्थित बहुत ही प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है जहाँ प्रति दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक देवी सती के दर्शन के लिए आते है। रानी सती मंदिर भारत के उन गिने चुने मंदिर में से एक है जो किसी देवी देवता की जगह किसी व्यक्ति विशेष को समर्पित है। यह मंदिर झुंझुनू की पहाड़ियों पर स्थित है जो पूरे शहर का मनोरम दृश्य भी प्रस्तुत करता है जो मंदिर के आकर्षण में चार चाँद लगाने का कार्य करते है।

🌹 हिन्दू पौराणिक कथाओं में ऐसा माना जाता है कि रानी सती ने अपने पति की मृत्यु के बाद आत्मदाह कर लिया था। तब से ही रानी सती राजस्थान के इतिहास में दादी जी के नाम से प्रसिद्ध है। बता दे श्रधालुयों द्वारा रानी सती को नारायणी देवी और दादीजी (दादी) जैसे अन्य नामों से भी पुकारा जाता है।

रानी सती मंदिर का इतिहास :- 🌹 यदि हम रानी सती मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो यह हमे आज से लगभग 400 बर्ष पीछे ले जाता है। मंदिर में मिले प्रमाणों और किवदंतीयों के अनुसार मंदिर की देवता रानी सती है जो एक राजस्थानी महिला रानी थी। रानी सती का वास्तविक नाम नारायणी था जो उनके पैदा होने का पश्चात रखा गया था। माना जाता है कि एक युद्ध के दौरान नारायणी देवी या रानी सती के पति की मौत हो जाती है जिसके बाद रानी सती अपने पति की मौत का प्रतिशोध लेती है और अपने पति के साथ सती हो जाती है। जिसके बाद से लोग नारायणी देवी को आदि शक्ति का रूप भी मानने लगे। इस प्रकार धीरे-धीरे लोगों की नारायणी देवी के प्रति श्रद्धा बढती ही गई और उन्हें रानी सती के रूप में पूजा जाने लगा।

रानी सती मंदिर की वास्तुकला :- 🌹 झुंझुनू वाली रानी सती का मंदिर झुंझुनू की पहाड़ियों पर स्थित एक भव्य मंदिर है जो अपनी वास्तुकला के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मंदिर के अंदर आंतरिक भाग को उत्कृष्ट भित्ति चित्रों और कांच के मोज़ाइक से सजाया गया है जो जगह के पूरे इतिहास को दर्शाता है। बता दे रानी सती मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, सीता मंदिर, ठाकुर जी मंदिर, भगवान गणेश मंदिर और शिव मंदिर भी हैं।साथ ही मुख्य मंदिर में बारह छोटे सती मंदिर भी हैं। भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा परिसर के केंद्र में स्थित है और हरे-भरे बगीचों से घिरी हुई है।

रानी सती की कथा :- 🌹 झुंझुनू वाली रानी सती की कथा कई बर्षो नही बल्कि कई युगों पुरानी मानी जाती है। पौराणिक कथाओं और किवदंतीयों की माने तो रानी सती की कथा महाभारत के समय से शुरू होती है जो अभिमन्यु और उनकी पत्नी उत्तरा से जुड़ी हुई है। महाभारत के भीषण युद्ध में कोरवो द्वारा रचित चक्रव्यूह को तोड़ते हुए जब अभिमन्यु की मृत्यु हुई, तो उत्तरा कौरवों द्वारा विश्वासघात में अभिमन्यु को अपनी जान गंवाते देख उत्तरा शोक में डूब गई और अभिमन्यु के सतह सती होने का निर्णय ले लिया। लेकिन उत्तरा गर्भ से थी और एक बच्चो को जन्म देने वाली थी।

🌹 यह देखकर श्री कृष्ण ने उत्तरा से कहा कि वह अपना जीवन समाप्त करने के विचार को भूल जाए, क्योंकि यह उस महिला के धर्म के खिलाफ है जो अभी एक बच्चे को जन्म देने वाली है। श्री कृष्ण की यह बात सुनकर उत्तरा बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने सती होने के अपने निर्णय को बदल लिया लेकिन उसके बदले उन्होंने ने एक इच्छा जाहिर जिसके अनुसार वह अगले जन्म में अभिमन्यु की पत्नी बनकर सती होना चाहती थी।

🌹 उसके बाद उत्तरा अगले जन्म में राजस्थान के डोकवा गाँव में गुरसमल बिरमेवाल की बेटी के रूप में पैदा हुई थी जिनका नाम नारायणी रखा गया था। जबकि अभिमन्यु का जन्म हिसार में जलीराम जालान के पुत्र के रूप में हुआ था और उनका नाम तंदन जालान रखा गया था। टंडन और नारायणी ने शादी कर ली और शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे। उनके पास एक सुंदर घोड़ा था जिस पर हिसार के राजा के पुत्र की नजर थी जो उसे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता था लेकिन तंदन ने अपना कीमती घोड़ा राजा के बेटे को सौंपने से इनकार कर दिया।

🌹 राजा का बेटा तब घोड़े को जबरदस्ती हासिल करने का फैसला करता है और इस तरह टंडन को द्वंद्वयुद्ध के लिए चुनौती देता है। टंडन बहादुरी से लड़ाई लड़ता है और राजा के बेटे को मार डालता है। तभी राजा क्रोधित हो उठता है और टंडन को धोके से मार देता है। टंडन की वीरगति प्राप्ति को देखकर नारायणी कुछ समय के लिए तो शोक में डूब जाती है लेकिन कुछ समय बाद वीरता और पराक्रम से लड़कर राजा को मार गिराती है और अपने पति की हत्या का प्रतिशोध पूरा कर लेती है। उसके बाद अपने पति के साथ सती होने की इच्छा को सामने रखते हुए तंदन के साथ सती हो गई।

🌹 उसके बाद से ही नारायणी को नारी वीरता और शक्ति की प्रतीक के रूप में पूजा जाना लगा और उन्होंने रानी सती, दादी माँ, झुंझुनू वाली रानी सती जैसे अन्य नामों से पुकारा और पूजा जाने लगा।

रानी सती मंदिर मेला :- 🌹 झुंझुनू के प्रसिद्ध रानी सती मंदिर में हर साल मेले का आयोजन भी किया जाता है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मेला प्रति बर्ष भादो मास की अमावस्या दिन लगता है जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है। मेले के दौरान भक्तों द्वारा नारायणी देवी को चुनरी चढ़ाई जाती है उनका श्रृंगार किया जाता है, साथ ही मंदिर प्रबंधन द्वारा भंडारे भी चलाया जाता है। इस दिन मंदिर में देवी सती की विशेष पूजा भी की जाती है जिसमें भक्तगण अपने परिवार के साथ पहुंचते हैं पूरे विधि-विधान से दादी की पूजा-अर्चना करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे जाएँ :-🌹 जो भी पर्यटक रानी सती मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं और जानना चाहते है की हम रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे जाएँ ? हम उन सभी पर्यटकों को बता दे झुंझुनू राजस्थान राज्य सहित भारत के अन्य सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग और ट्रेन मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जिनसे सफ़र करके कोई भी आसानी से रानी सती मंदिर झुंझुनू आ सकता है।

फ्लाइट से रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे पहुचें :- 🌹 यदि आप फ्लाइट से ट्रेवल करके झुंझुनू घूमने जाने कि सोच रहें हैं, तो हम आपको बता दे झुंझुनू के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टविटी नही है। इसके लिए आपको जयपुर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट लेनी होगी। जयपुर एयरपोर्ट झुंझुनू का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है, जो झुंझुनू से लगभग 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रानी सती मंदिर झुंझुनू ट्रेन से कैसे जाएँ :- 🌹 ट्रेन से ट्रेवल करके रानी सती मंदिर घूमने जाना पर्यटकों द्वारा सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले ऑप्शन हैं, क्योंकि झुंझुनू का अपना रेलवे जंक्शन है, जो रानी सती मंदिर से महज 6.00 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। आप जब भी ट्रेन से यात्रा करके झुंझुनू रेलवे स्टेशन पहुचेगें तो रेलवे स्टेशन के बाहर से ऑटो, टेक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन से आसानी से लगभग 20 मिनिट में रानी सती मंदिर जा सकते है।

सड़क मार्ग से रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे पहुचें :- 🌹 सड़क मार्ग से भी रानी सती मंदिर झुंझुनू की यात्रा करना काफी आसान और सुविधाजनक हैं, क्योंकि झुंझुनू रोड नेटवर्क द्वारा राजस्थान के सभी शहरों से जुड़ा है, साथ ही झुंझुनू के लिए आसपास के सबसे प्रमुख शहरों से बसें से भी चलती है, जिनसे पर्यटक आसानी से झुंझुनू आ सकते है। इनके अलावा आप अपनी पर्सनल कार या एक टेक्सी बुक करके भी यहाँ घूमने आ सकते है।

©N S Yadav GoldMine
  #MainAurChaand प्रति दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक देवी सती के दर्शन के लिए आते है, इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯
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#MainAurChaand प्रति दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक देवी सती के दर्शन के लिए आते है, इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bol #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

{Bolo Ji Radhey Radhey}
मेघनाद वध :- 💠 सुलोचना मेघनाथ की पत्नी व भगवान विष्णु के शेषनाग वासुकी की पुत्री थी। चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के ही अवतार थे इसलिये वे सुलोचना के पिता व मेघनाथ के ससुर लगते थे। सुलोचना को नाग कन्या कहा जाता था व कुछ पुस्तकों के अनुसार उसका नाम प्रमीला भी बताया गया है। युद्धभूमि में जब मेघनाथ लक्ष्मण के हाथो वीरगति को प्राप्त हो गया था तब सुलोचना अपने पति के शरीर के साथ सती हो गयी थी। हालाँकि इस कथा का उल्लेख ना तो वाल्मीकि रचित रामायण व ना ही तुलसीदास रचित रामचरितमानस में मिलता है। कुछ अन्य भाषाओँ मुख्यतया तमिल भाषा की कथाओं में इसका प्रमुखता से उल्लेख मिलता है। 

सुलोचना व मेघनाथ का अंतिम मिलन :-  💠 तीसरी बार युद्ध में जाते समय मेघनाथ को यह ज्ञात हो गया था कि श्रीराम व लक्ष्मण कोई साधारण मानव नही अपितु स्वयं नारायण का रूप है तो वह अपने माता-पिता व सुलोचना से अंतिम बार मिलने आया। वह अपने माता-पिता से मिलकर जाने लगा तब उसने सुलोचना को देखा। सुलोचना से वह इसलिये नही मिलना चाहता था क्योंकि उसे लग रहा था कि कही सुलोचना के आंसू देखकर वह भी भावुक हो जायेगा व युद्ध में कमजोर पड़ जायेगा किंतु जब उसने सुलोचना का मुख देखा तो अचंभित रह गया। सुलोचना के आँख में एक भी आंसू नही था तथा वह अपने पति को गर्व से देख रही थी। हालाँकि उसे भी पता था कि आज उसका अपने पति के साथ अंतिम मिलन है लेकिन एक पतिव्रता व कर्तव्यनिष्ठ नारी होने के कारण उसने अपने पति को युद्ध में जाने से पूर्व उनके कर्तव्य में उनका साथ दिया व अपनी आँख से एक भी आंसू नही गिरने दिया।

मेघनाथ का वध होना :-  💠 जब लक्ष्मण मेघनाथ का वध करने जाने लगे तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि चूँकि सुलोचना एक पतिव्रता नारी है इसलिये मेघनाथ का मस्तक भूमि पर ना गिरे। इसलिये जब लक्ष्मण ने मेघनाथ का मस्तिष्क काटकर धड़ से अलग कर दिया तो उसे श्रीराम के चरणों में रख दिया।

मेघनाथ की भुजा पहुंची सुलोचना के पास :- 💠 भगवान श्रीराम लंका व सुलोचना को यह बता देना चाहते थे कि युद्ध में मेघनाथ वीरगति को प्राप्त हो चुका है। इसी उद्देश्य से उन्होंने मेघनाथ की दाहिनी भुजा को काटकर धनुष-बाण से सुलोचना के पास पहुंचा दिया। जब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा देखी तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ। उसने उस भुजा से युद्ध का सारा वृतांत लिखने को कहा। उसके बाद एक कलम की सहायता से मेघनाथ की भुजा ने युद्ध मे घटित हुई हर घटना का वृतांत सुलोचना को लिखकर बता दिया।

सुलोचना पहुंची रावण के पास :- 💠 इसके बाद सुलोचना अपने पति की भुजा लेकर रावण के पास पहुंची व उनसे अपने पति के साथ सती होने की आज्ञा मांगी। रावण ने उसे यह आज्ञा दे दी किंतु पति के सिर के बिना वह सती नही हो सकती थी। इसलिये उसने रावण से मेघनाथ के धड़ की मांग की किंतु रावण ने शत्रु के सामने याचना करने से मना कर दिया। चूँकि राम एक मर्यादा पुरुषोत्तम पुरुष थे व उनकी सेना में ऐसे अनेक धर्मात्मा थे इसलिये उसने सुलोचना को स्वयं श्रीराम के पास जाकर मेघनाथ का मस्तिष्क लेकर आने की आज्ञा दे दी। सुलोचना लंका नरेश से आज्ञा पाकर श्रीराम की कुटिया की और प्रस्थान कर गयी।

सुलोचना ने माँगा मेघनाथ का सिर :- 
💠 जब सुलोचना भगवान श्रीराम के पास पहुंची तो श्रीराम व उनकी सेना के द्वारा उनका उचित आदर-सम्मान किया गया व श्रीराम ने उनकी प्रशंसा की। सुलोचना ने भगवान को प्रणाम किया व अपने पति का मस्तिष्क माँगा। श्रीराम ने भी बिना देरी किए महाराज सुग्रीव को मेघनाथ का सिर लाने को कहा किंतु सभी के मन में यह आशंका थी कि आखिर सुलोचना को यह सब कैसे ज्ञात हुआ। तब सुलोचना ने मेघनाथ की भुजा के द्वारा उसे सब बता देने की बात बतायी।

सुग्रीव ने किया अनुरोध :- 💠 यह सुनकर मुख्यतया वानर राजा सुग्रीव हतप्रभ थे व उन्होंने सुलोचना से मांग की कि यदि उसके पतिव्रत धर्म में इतनी शक्ति है तो वह इस कटे हुए धड़ को हंसाकर दिखाएँ। यह सुनकर सुलोचना ने उस मस्तिष्क को अपने पतिव्रत धर्म की आज्ञा देकर उसे सबके सामने हंसने को कहा। इतना सुनते ही मेघनाथ का कटा हुआ सिर जोर-जोर से हंसने लगा। सब यह देखकर आश्चर्य में पड़ गये किंतु भगवान श्रीराम सुलोचना के स्वभाव व शक्ति से भलीभांति परिचित थे। उन्होंने उस दिन युद्ध विराम की घोषणा की व लंका की सेना को अपने युवराज का अंतिम संस्कार करने को कहा ताकि सुलोचना के सती होने में किसी प्रकार का रक्तपात ना हो। इसलिये उस दिन कोई युद्ध नही हुआ था।

सुलोचना का सती होना :- 💠 अपने पति का कटा हुआ सिर लेकर सुलोचना लंका आ गयी व समुंद्र किनारे सभी मृत सैनिकों व मेघनाथ की अर्थी सजा गयी। सुलोचना धधकती अग्नि में अपने पति का सिर लेकर बैठ गयी व सभी के सामने सती हो गयी।

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मेघनाद वध :- 💠 सुलोचना मेघनाथ की पत्नी व भगवान विष्णु के शेषनाग वासुकी की पुत्री थी। चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के

#dhundh {Bolo Ji Radhey Radhey} मेघनाद वध :- 💠 सुलोचना मेघनाथ की पत्नी व भगवान विष्णु के शेषनाग वासुकी की पुत्री थी। चूँकि लक्ष्मण शेषनाग के #पौराणिककथा

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

जय गौ माता जय गोपाल

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust #प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी

#प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸
भगवान जगन्नाथ की आँखें :- 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
💠 आपके भी मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर भगवान जगन्नाथ की आँखें इतनी बड़ी व गोल क्यों हैं साथ ही उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा की आँखें भी अत्यधिक बड़ी क्यों हैं। हमनें आज तक जितने भी मंदिर देखे है तथा भगवान की मूर्तियों को देखा हैं सभी में उन्हें मानव शरीर या उनके लिए गए अवतार के अनुसार दिखाया गया हैं लेकिन भगवान जगन्नाथ की ऐसी विचित्र आँखें होने के पीछे क्या रहस्य हैं जबकि वे तो भगवान कृष्ण का ही रूप थे जिनकी आँखें एक दम सामान्य थी। 

विश्वकर्मा जी के द्वारा मूर्तियों का निर्माण :- 💠 दरअसल इसके बारे में कोई प्रमाणिक तथ्य तो नही हैं क्योंकि इसे राजा इन्द्रद्युम्न के आदेश पर महान शिल्पकार विश्वकर्मा जी ने एक बंद कमरे में बनाया था तथा इसे कैसे बनाया गया, क्यों इस प्रकार बनाया गया इसके बारे में कुछ भी लिखित या मौखिक प्रमाण नही मिलता हैं। विश्वकर्मा जी की शर्त थी कि वे एक बंद कमरे में इन मूर्तियों का निर्माण करेंगे तथा इस बीच कोई भी कमरे में ना आने पाए लेकिन जब राजा इंद्रद्युम्न किसी अनहोनी की आशंका के चलते बीच में ही द्वार खोलकर अंदर चले गए तो उन्होंने देखा कि विश्वकर्मा जी वहां से विलुप्त हो चुके थे तथा आधी अधूरी मूर्तियाँ छोड़ गए थे। इसके बाद भगवान जगन्नाथ ने राजा के स्वप्न में आकर उन्हें आदेश दिया था कि वे इन्हीं मूर्तियों को मंदिर में स्थापित करे। तब से लेकर आज तक हम उन्हीं मूर्तियों की पूजा करते है।

बलराम की माँ रोहिणी की कथा :- 💠 फिर भी इसके पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताएँगे। यह बात तब की है जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका में रहने लगे थे तब एक दिन उनसे मिलने वृंदावन निवासी, नंद बाबा, यशोदा माता व रोहिणी माता आई थी। द्वारका व वृंदावनवासियों में यही अंतर था कि द्वारकावासी उन्हें अपना ईश्वर तथा राजा मानते थे जबकि वृंदावनवासी उन्हें अपना प्रेमी मानते थे।

💠 एक दिन रोहिणी माता द्वारका वासियों को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा वृंदावन में की गयी रासलीला, प्रेम प्रसंग इत्यादि की कथा सुना रही थी। चूँकि सुभद्रा भगवान कृष्ण की बहन थी तथा उनके सामने यह बात करना उचित नही था इसलिये माता रोहिणी ने उन्हें द्वार पर जाकर खड़े रहने को कहा। सब वृंदावनवासी तथा द्वारकावासी भगवान कृष्ण की भक्ति तथा उनकी कथाओं में डूबे हुए थे तथा उनकी बहन अकेली द्वार पर उदास खड़ी थी यह देखकर उनके दोनों बड़े भाई बलराम व कृष्ण भी उनके दाएं व बाएं आकर खड़े हो गए।

💠 भगवान कृष्ण के बचपन की कथाएं इतनी ज्यादा मनमोहक तथा मन को आश्चर्यचकित कर देने वाली थी कि सभी द्वारकावासी उनके प्रेम में डूब गए। द्वार पर खड़े तीनों भाई बहन भी इसे छुपके से सुन रहे थे तथा वे इसे सुनकर इतना ज्यादा स्तब्ध रह गए थे कि तीनों की आँखें पूरी खुल गयी थी। आश्चर्य में उनकी आँखें पूरी खुली हुई थी तथा मुहं बड़ा हो गया था।

💠 कहते हैं कि उसी समय स्वयं नारद मुनि भी धरती पर आ गए थे तथा तीनों भाई बहन को इस तरह साथ देखकर व इस रूप में देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि उनके इस रोचक रूप के दर्शन करने का सौभाग्य उनके भक्तों को भी मिलता रहे। इसी कारण इस कथा को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा के रूप से जोड़ा जाता है।

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  #snowfall भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸
भगवान जगन्नाथ की आँखें :-

#snowfall भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :- #पौराणिककथा

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N S Yadav GoldMine

माना जाता हैं, कि भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने से आपके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं जानिए इस मंदिर का इतिहास !! 🎊{Bolo Ji Radhey Radhey}🎊
सोनपुर हरिहरनाथ मंदिर :- 🙏 हरिहरनाथ मंदिर भारत के बिहार राज्य के सोनपुर में गंडक और गंगेश नदी के तट पर स्थित हैं। हरिहरनाथ मंदिर के प्रमुख देवता भगवान हरि विष्णु और भगवान हर शंकर हैं। माना जाता हैं कि हरिहरनाथ मंदिर अपनी तरह का एक मात्र तीर्थ स्थल हैं जहां हरी और हर दोनों एक साथ एक ही शिला पर स्थित है। सोनपुर में स्थित इस मंदिर की महिमा कुछ ऐसी हैं कि भक्त अपने आप ही खिचे चले आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने और भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है। इसी दिन से सोनपुर पशु मेले की शुरुआत होती हैं जोकि पर्यटकों को बहुत अधिक आकर्षित करता है।

🙏 माना जाता हैं कि भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने से आपके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं, और भक्त कभी अपने भगवान के दर से खाली हाथ नही जाते हैं। यदि आप हरिहरनाथ मंदिर के इतिहास और कहानी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –

🙏 सोनपुर में स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर के बारे कई कहानियां सामने आती हैं। माना जाता हैं कि हरिहरनाथ टेम्पल सोनपुर बिहार की स्थापना भगवान राम ने सीता स्वयंबरम के लिए जाते समय मार्ग में की थी। हालाकि इतिहासकार इस पर एक मत नही हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार गज (हाथी) और ग्राह (घड़ियाल) के बीच छिडे युद्ध को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु को धरती पर आना पड़ा और उसी के परिणाम स्वरुप इस मंदिर की स्थापना हुई। 

🙏 बता दें कि गज और ग्राह के बीच हुए युद्ध कि वजह से इस स्थान पर पशुओं को खरीदना शुभ माना जाता हैं। एक अन्य कथा के अनुसार बाणासुर की पुत्री के हरण के समय हुए युद्ध से भी हरिहरनाथ मंदिर का सम्बन्ध सामने आता हैं। भगवान श्री कृष्ण और बाणासुर के बीच हुए इस युद्ध कि जानकारी इतिहास और पौराणिक कथाओं में आज अंकित हैं। इस युद्ध की सबसे ख़ास बता यह थी कि इस युद्ध में भगवान शिव बाणासुर के पक्ष में थे। कहते हैं युद्ध समाप्त होने के पश्चात हरिहरनाथ मंदिर कि स्थापना भगवान ब्रह्म देव ने खुद अपने हाथो से की थी।

हरिहरनाथ मंदिर का इतिहास :- 🙏 हरिहरनाथ मंदिर का इतिहास स्पष्ट नही हैं हालाकि मंदिर से सम्बंधित कहानियों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन हैं। जोकि भगवान राम के समय से सम्बंधित हैं। लेकिन यह भी कहा जाता हैं कि मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करबाया था। वर्तमान समय में स्थित मंदिर की संरचना को राजा राम नारायण ने मुगल शासन काल के दौरान करबाया था।

हरिहरनाथ मंदिर का प्रमुख आकर्षण सोनपुर मेला :- 🙏 हरिहरनाथ मंदिर का इतिहास स्पष्ट नही हैं, हालाकि मंदिर से सम्बंधित कहानियों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन हैं। जोकि भगवान राम के समय से सम्बंधित हैं। लेकिन यह भी कहा जाता हैं, कि मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करबाया था। वर्तमान समय में स्थित मंदिर की संरचना को राजा राम नारायण ने मुगल शासन काल के दौरान करबाया था।🙏

©N S Yadav GoldMine #SunSet माना जाता हैं, कि भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने से आपके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं जानिए इस मंदिर का इतिहास !! 🎊{Bolo Ji Radh

#SunSet माना जाता हैं, कि भगवान हरिहरनाथ के दर्शन करने से आपके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाती हैं जानिए इस मंदिर का इतिहास !! 🎊{Bolo Ji Radh #पौराणिककथा

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Divyanshu Pathak

तुम से बाहर कैसे निकलूं ?.......


 दस वर्ष पहले
किसी writer के शब्द news पेपर से संकलित किये थे।नाम तो नहीं पता पर आज मुझे मेरी नोटबुक मिली आपसे साझा करता हूँ ।
                 ( caption) 👉👇👨 तुम्हारे प्यार करने का कौंनसा तरीका मेरे व्यक्तित्व के एक एक कण को तृप्त कर जाता है परितृप्त कर जाता है तेरे लीये कुछ भी लिख कर पूरा करने का

तुम्हारे प्यार करने का कौंनसा तरीका मेरे व्यक्तित्व के एक एक कण को तृप्त कर जाता है परितृप्त कर जाता है तेरे लीये कुछ भी लिख कर पूरा करने का

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

जय गौ माता जय गोपाल

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust #प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी

#प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी #जानकारी

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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

#प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी

#प्रेमाभक्तिपथ श्रीकृष्ण ने पहली बार इस दिन चराई थी गाय, जानें क्या हुआ था तब कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आज गोपाष्टमी #समाज

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deep Kumar yadav

मुंशी प्रेमचंद की कथाओं से

मुंशी प्रेमचंद की कथाओं से

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Pawan

जय श्रीकृष्ण

©Pawan
  देश मे बाबाओं की कथाओं का दौर

देश मे बाबाओं की कथाओं का दौर #कविता

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Anil Kumar

इतिहास और@@ पौराणिक कथाएं #@@

इतिहास और@@ पौराणिक कथाएं #@@ #पौराणिककथा

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kailash surivanshi

इतिहास और पौराणिक कथाएं

इतिहास और पौराणिक कथाएं #पौराणिककथा

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दिनेश कुशभुवनपुरी

गीत: नेह नीर

गीत आज फिर गा दे कोई।
दिवस पुराने ला दे कोई॥

गुमसुम बैठी हुई कथाएं।
आवारा हो रही हवाएं।
नागफनी की चाहत लेकर।
मरुथल में खोती धाराएं॥

उखड़ी साँस चला दे कोई।
गीत आज फिर गा दे कोई॥

मौसम भी है रूठा-रूठा।
दिखा रहे हैं फूल अँगूठा।
कलियाँ भी मुरझाई बैठीं।
तरुवर दिखते ठूठा-ठूठा॥

फिर से रास रचा दे कोई।
गीत आज फिर गा दे कोई॥

दिनकर बाबा स्वेद बो रहे।
बादल भी निस्तेज हो रहे।
बूँदें उड़ती नील गगन में।
धरती के अरमान सो रहे॥

नेह नीर बरसा दे कोई।
गीत आज फिर गा दे कोई॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #गीत #कथाएं #नेह_नीर #हवाएं #मरुथल
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Ek villain

भारत कथाओं का देश है जहां लोग विश्वास मंतर पुराण और मान्यता खंड समय प्रभाव में अपनी कहानियों के द्वारा पुनर्जीवन पाती रही है कथा सरिता सागर को पहला लिपिबद्ध कथाओं का गलत मिला मारा जाता जिसका माध्यम से पहली बार भारत की जाती समिति संस्कृति लोक व्यवहार धर्म आगमन तथा एकता के बारे में जीवन दर्शन प्राप्त होता है सुबह के तो विद्वान और सिर्फ अनुवादक एक ही राम अर्जुन ने 22 वर्षों से चलकर परंपरा में चल रही आ रही कहानियों को भारत के लोग का तो नाम से संगठन और संपादन किया है भाई आज के अध्ययन की दृष्टि से खोज की जयंती वर्ष में अपने देश के लोगों को जरूर बन जाती है कि इसके माध्यम से हम अपनी सामाजिक चेतना की परिष्कार और उदार की विविधता को मनुष्य के हाथ में समझ पाते हैं रामानुज कहते हैं काव्य की तरह लोक कथा भी अपने बनावटी में सांस्कृतिक समेटे हुए होती है

©Ek villain #नीतिपरक फलअश्रुति से आलोकित लोक कथाएं

#ramadan

#नीतिपरक फलअश्रुति से आलोकित लोक कथाएं #ramadan #Society

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PS T

हाथों की लकीरों में
ढूंढा 
माथे की लकीरों में
ढूंढा
बाबों फकीरों में
ढूंढा
ग्रहों नसीबों में
ढूंढा
कहाँ मिलता...

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 जहाँ मिलता
वहाँ नहीं ढूंढा
ताकत है हाथों में
भुजाओं में
बुद्धि है मस्तिष्क में
कलाओं में
हिम्मत है
पैर में जंघाओं में

जहाँ मिलता वहाँ नहीं ढूंढा ताकत है हाथों में भुजाओं में बुद्धि है मस्तिष्क में कलाओं में हिम्मत है पैर में जंघाओं में #Motivation #Inspiration #yqdidi #yqhindi #pra

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