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Roushan R

धातु का Experiment #Diwali

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Pratibha Sharma

#जयभोलेनाथ...gujraat ke badodra me स्वर्ण धातु ke shiv ji#

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#CTK -Funny 0r Die

भाव:- धातु (metal) वेल्डिंग कर जोड़ी जा सकती है, मांस-पेशियों को स्टीच (टाँका) दिया जा सकता है, हड्डी को प्लास्टर किया जा सकता है बस एक पत्थर #sarcasm #ctk

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इश्क़ का अंजाम --------------


हाँ दिल पत्थर है मेरा
तभी जो टूटा फिर जुड़ा नहीं

☘️🍀☘️ भाव:- धातु (metal) वेल्डिंग कर जोड़ी जा सकती है, मांस-पेशियों को स्टीच (टाँका) दिया जा सकता है, हड्डी को प्लास्टर किया जा सकता है बस एक पत्थर

Kailash Kumar

🌺फूलों में गुलाब 🌹 🥂नशे मे शराब 👏प्रोग्राम में ताली मजाक में साली धातु मे सोना दु:ख में रोना😭😭 प्यार में घम और ♥️आपके दिल में है हम #कविता #nojotophoto

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 🌺फूलों में गुलाब 🌹
🥂नशे मे शराब 
👏प्रोग्राम में ताली 
मजाक में साली
धातु मे सोना 
दु:ख में रोना😭😭  
प्यार में घम और 
♥️आपके दिल में है हम

Ravi Shankar Kumar Akela

#TereHaathMein इस शब्द की व्युत्पत्ति 'पा' धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है, 'रक्षा करना' तथा पालन करना।, अत: पिता का कार्य है अपने परिवार #समाज

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Atul Sharma

*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“10/11/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 *#“कठोर धातु”* *#“लोहा”* #chathpuja #“समस्याएं” #“जीवन” #“शांत #“सीख” #“लोहे #“स्थिर #“बलशाली”

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*📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘 *“10/11/2021”*📝
✨ *“बुधवार”*🌟

“संसार” के सबसे “कठोर धातु” में से एक है “लोहा”,
“लोहे” से हम “अस्त्र-शस्त्र” प्राप्त कर सकते है,
“अनेक वस्तुएं” प्राप्त कर सकते है,
अब इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए,
इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए 
किसका उपयोग किया जाता है ?
“लोहे” का ही...ये बात हम सभी जानते है 
कि “लोहे” से ही “लोहे को काटा” जाता है,
इसके आगे एक बहुत बड़ा “प्रश्न” आ जाता है,
जो बहुत बड़ी “सीख” दे जाता है,ऐसा क्यों होता है ?
 कि हम “लोहे” से ही “प्रहार” कर रहे है “लोहे” पर 
किन्तु जिस “लोहे से प्रहार” कर रहे है 
उस “लोहे का आकार” नहीं बदल रहा,
जिस पर “प्रहार” कर रहे है 
उस “लोहे का आकार” बदल रहा है, 
इसमें “अंतर” क्या है...इसमें अंतर है “तापमान” का,जिस “लोहे” को हमें बढ़ाना है और “काटना” है उस “लोहे को गर्म” किया जाता है और जिस “लोहे” से हमें “प्रहार” करना है 
उस “लोहे को ठंडा” रखा जाता है,
अर्थात “ठंडा” लोहा “गर्म” लोहे को काटता है,अब देखिए हमारे “जीवन” में भी “समस्याएं” भी आती है हमें इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि हमें हमारे मन को “शांत” रखना है यदि हम “क्रोध” और “ईष्र्या” की “अग्नि” में जलते रहें,“द्वेष की अग्नि” में जलते है तो हम भी उस “लोहे की भांति” हो जाएंगे जिसका “तापमान” कई अधिक है,तब कोई भी आके हमें “क्षति” पहुंचा सकता है,याद रखिए जिसकी सबसे अधिक “स्थिर बुद्धि” है,जो सबसे “शांत व्यक्ति” है वो सबसे अधिक “बलशाली” है...
*“अतुल शर्मा”🖋️📝*

©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 
📘 *“10/11/2021”*📝
✨ *“बुधवार”*🌟

*#“कठोर धातु”*

*#“लोहा”*

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#Relationship दोहा दीपक जैसा ही सुनो , देना सदा प्रकाश । शशि जैसे ही तुम कभी , करना नही निराश ।।१ दीपों का त्यौहार है , सुन दीपों का मान । #कविता

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दोहा

दीपक जैसा ही सुनो , देना सदा प्रकाश ।
शशि जैसे ही तुम कभी , करना नही निराश ।।१

दीपों का त्यौहार है , सुन दीपों का मान ।
दीपक जिनके हाथ में , राहें हो आसान ।।२

दीपक तो दीपक रहे , मिट्टी या हो धातु ।
जिसको जग है पूजता, कहके लक्ष्मी मातु ।।३

मिट्टी हो या धातु के , देते दीप प्रकाश ।
भटके राही को नहीं , करते कभी निराश ।।४

घर से पहले मन करो ,तुम सब अपना साफ ।
वरना लक्ष्मी माँ कभी , नही करेगीं माफ ।।५

पहले मन को स्वच्छ कर , जग कर लेना बाद ।
खुद में इतने पाप है , कर ले उनको याद ।।६

२०/१०/२०२२     -      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Relationship दोहा

दीपक जैसा ही सुनो , देना सदा प्रकाश ।
शशि जैसे ही तुम कभी , करना नही निराश ।।१

दीपों का त्यौहार है , सुन दीपों का मान ।

VAniya writer *

#Bhakti #bhakt #Devotional भक्ति शब्द की व्युत्पत्ति 'भज्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ 'सेवा करना' या 'भजना' है, अर्थात् श्रद्धा और प्रेमप #OctoberCreator

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Poetry with Avdhesh Kanojia

चाह ----- अभी तो पिघली धातु सा हूँ है बारी आकार में ढलने की। अभी तो जुगनू सा हूँ मैं है चाह सूर्य सा बनने की।। देखे हैं कुछ स्वप्न जो मैंने #कविता

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चाह
....... चाह
-----
अभी तो पिघली धातु सा हूँ
है बारी आकार में ढलने की।
अभी तो जुगनू सा हूँ मैं
है चाह सूर्य सा बनने की।।

देखे हैं कुछ स्वप्न जो मैंने

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द

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Maa  MY FIRST poetry on MOM
HOPE YOU LIKE 

माँ क्या है?

माँ नूर है,हूर है 
माँ बेटे का गुरूर है।
माँ दीप है,रूप है,धूप है।
माँ नदी है,रती है सती है।
माँ मन है,धून है, जूनून है।
माँ दूर है,पास है,एहसास है।
माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है।
माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है।
माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है।
माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है।
माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है।
माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है।
माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है।
माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है।
माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है।
माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है।
                ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है?

माँ नूर है,हूर है 
माँ बेटे का गुरूर है।
माँ दीप है,रूप है,धूप है।
माँ नदी है,रती है सती है।
माँ मन है,धून है, जूनून है।
माँ द
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