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Nishant Jha
नारी तेरी यही कहानी, दिल में ममता आंखों में पानी, कहीं निर्भया है तू, कहीं बस भोग की वस्तु, आन-मान और मर्यादा सब तुम पर ही लादा जाता, मौक्का मिलते ही यहां, कौन नहीं दुशासन बन जाता, चकलों पर बैठे कुछ ज्ञानी, जो कहते पर्दे में रह तू नारी ।। मित्र सखा तू जननी,तू ही तो है पालन करणी, जिसकी गोदी में खेले विधाता, आज उसी को नोचा जाता ।। हैदराबाद (तेलेंगना) की डॉक्टर प्रियंका रेड्डी की निर्मम हत्या ने बता दिया कि इस अंजाम तक पहुंची लड़कियों की एक ही गलती थी कि वो गलत देश में
Nishant Jha
नारी तेरी यही कहानी, दिल में ममता आंखों में पानी, कहीं निर्भया है तू, कहीं बस भोग की वस्तु, आन-मान और मर्यादा सब तुम पर ही लादा जाता, मौक्का मिलते ही यहां, कौन नहीं दुशासन बन जाता, चकलों पर बैठे कुछ ज्ञानी, जो कहते पर्दे में रह तू नारी ।। मित्र सखा तू जननी,तू ही तो है पालन करणी, जिसकी गोदी में खेले विधाता, आज उसी को नोचा जाता ।। हैदराबाद (तेलेंगना) की डॉक्टर प्रियंका रेड्डी की निर्मम हत्या ने बता दिया कि इस अंजाम तक पहुंची लड़कियों की एक ही गलती थी कि वो गलत देश में
entertainment intertenment&intertenment
खता उसकी रात का निकलना.. या उसकी पोशाक हो गई! अरे शर्म करो दरिंदों.. सारी इंसानियत तेरी ख़ाक हो गई! #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdada #yqhindi #yqshayari #yqpoetry सॉरी डॉक्टर! तुम एक बेहतर दुनिया, एक बेहतर देश डिजर्व करती थी! H
Abhimanyu Dwivedi
*अन्तःकरण मे सत्संग बसा है धवलज्योति का ओज सजा है मृदुल हुई हर गीत कि धारा .. सृष्टि ने खुद संगीत रचा है नाद साज बन अतरंग रमा है कोमल मधुर तान हर अंग बजा है गरिमा ने खुद तोड़ी सीमा .. हर सीमा में मदहोशी का अब रंग चढ़ा है रोम रोम में पावन होश जगा है हर होश में बस चैतन्य बसा है ** ©Abhimanyu Dwivedi प्रज्ञा
Amit Singhal "Aseemit"
Sea water हमसे होते हैं गलत कार्य और पाप, जब हमारी प्रज्ञा हो जाती है भ्रष्ट। छोड़ देते हैं ईश्वर के मंत्रों का जाप, हम देने लगते हैं दूसरों को कष्ट। ©Amit Singhal "Aseemit" #प्रज्ञा
Parasram Arora
ज्ञान अहंकार बढ़ाने वाला तत्व है जबकि प्रज्ञा आस्था क़े ज्यादा निकट है क्योंकि प्रज्ञा अंतरंग ज्ञान है l वो ज्ञान ज्ञान नहीं रह जाता ज़ब. वो इतना अहंकारी हो जाय क़ि रो भी न सके इतना गंभीर ही जाए क़ि वो हँस भी न सके और वो ज्ञान इतना स्वार्थी हो जाय क़ि अपने सिवाय किसी और का अनुसरण ही न कर सके ©Parasram Arora #ज्ञान बनाम प्रज्ञा
Pramod mahar
एक हवा छू के गयी अभी अभी चांदनी पिघल गयी अभी अभी एक तारा बिखरा अभी अभी एक लम्हा थम सा गया अभी अभी ये मुझे क्या हो गया, ये कहां मैं खो गया था अभी पर अब नहीं, अब नहीं, अब नहीं। ....Junooniyat.... ....Pramod Mahar.... अभी अभी अभी अभी ..##Junoooniyat##..