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Anokhi
हिंदी दिवस - 14 सितंबर हिंदी शोभे बिंदी से.....! हिन्दुस्तानी शोभे हिंदी से.....! आभा अनोखी # हिंदी दिवस # हिंदी की बिंदी...
Pankaj
Dil Shayari इन दिनों की बातें दिल ही जाने, अंजान बने ओ जाने ना, एक दिल ने कहा तुम जुर्म कर रहे, पर जुर्म कोई ओ माने ना, ©Pankaj हिंदी इन दिलो,की बातें
roshan
आना है तॊ आ जाना है तो जा.... घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना मुझे शोभा देगा क्या? पानी का नही नाम साब्जी को नही दाम बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे? कुवा सुख गया है नदी नाला रुख गया है बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा.... बेजान सहै पत्थर पर बिना कुछ चडाये बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे? भावनिक मै बहोत हू दिल मे तुम्हेहीं रखता हू पानी बचाते बचाते बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा..... ....रोशन देसाई.... 12/02/20 इन हिंदी
Mohan Sardarshahari
राजभाषा है हिंदी राजकाज इसमें होता है कम राष्ट्रभाषा है हिंदी पूरे राष्ट्र में बोली यह जाती नहीं सांस्कृतिक सूत्र है हिंदी पर आर्थिक आधारित हो गई संस्कृति पूरे देश में फिर भी जीवित है हिंदी क्योंकि हमारी आत्मा है यह एक दिन का उत्सव नहीं है हिंदी हिंदुस्तान की प्रतीक है यह पढ लो कितने ही शास्त्र पर विश्व बंधुत्व केवल पढाती है हिंदी हिमालय सी ऊंची तो गंगा सी मधुर और रेगिस्तान जैसी सहनशील है हिंदी लिखते होंगे अंग्रेजी बोलते होंगे आंचलिक फिर भी हिंदुस्तान के माथे की बिंदी है हिंदी।। ©Mohan Sardarshahari हिंदी है माथे की बिंदी
RAVINANDAN Tiwari
माँ जैसी सरल है हिंदी, मिलने मिलाने का हुनर है हमारी हिंदी में। सोलहो श्रृंगार का रहस्य छिपा जैसे बिंदी में।। #Hindidiwas हिंदी माथे की बिंदी
RAVINANDAN Tiwari
हिंदी दिवस माँ मेरी समझती जो भाषा हम कहते उसे मातृभाषा गाती जिसमें लोरी सोहर मानें हम जिसको धरोहर प्रकट करे मन की आशा तत्क्षण जो निकले भाषा माँ मेरी जो समझती भाषा हम कहते उसे मातृभाषा #Hindidiwas हिंदी माथे की बिंदी
Jyoti Mahajan
हिंद देश की हिंदी तुम रहती सब के दिलों में तुम संस्कृत से उद्गम हुआ तुम्हारा व्याकरण शास्त्र ने और निखारा विश्व स्तर पर तुम्हारी पहचान तुम से ही भारत का मान वैज्ञानिक लिपि का सर पर ताज शब्दकोश से भरा भंडार भविष्य की भाषा कहलाती तुम साहित्य की गरिमा बढ़ाती तुम अपनत्व का बोध कराती तुम जन-जन के हृदय में समाती तुम एकता के सूत्र में बांधती तुम कितने ही कृत्य संवारती तुम रसखान, सूरदास, प्रेमचंद, निराला इनकी रचनाओं की जान हो तुम मीरा की भक्ति है तुमसे सुभद्रा की राष्ट्रीय चेतना तुमसे महादेवी की प्रचलित रचनाओं का सबसे सुंदर आधार हो तुम मीठी हो ,प्यारी हो, हो करणप्रिया दोहा ,मुक्तक ,चौपाई ,सोरठा साहित्यिक विशेषताओं से भरी हो तुम लेखनी में मेरी पहचान हो तुम ह्रदय से नमन है मेरा तुमको इसको दिल से स्वीकारना तुम इसको दिल से स्वीकारना तुम। ©Jyoti Mahajan हिंद देश की हिंदी #IFPWriting
BANDHETIYA OFFICIAL
रेलवे की बोगी में शहीदों को सम्मान प्रदान करने की स्थिति में प्रस्तुत जीवनी- गद्यांश का अंतिम वाक्य हिन्दी भाषा के साथ -साथ बलिदानी की भी गरिमा को धूमिल करता है, गौर फरमाने की बात है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #हिंदी और हिंद की बात।