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Pathik Adhana
मैं एक मासूम बच्ची थी, मेरी आयु भी कच्ची थी, क्यों जलाया मेरा बचपन, मैं ऐसे ही तो अच्छी थी। मैं तेरी बेटी सयानी थी, तेरी हर बात मानी थी, मुझे क्यों दी सज़ा तूने, मैंने करी क्या हानि थी। मेरा वो बेढंग शर्माना, तेरी हर बात पर हंसना, तुझे क्यों रास ना आया, कभी मुझको तू समझाना। मैं पूछूँगी हर एक कारण, मुझे करना है निवारण, मुझे लड़ना होगा जग से, अभी ज़िंदा हैं कई रावण। बालिका वधु!!!
✍️ हरीश पटेल "हर"
विधा - सजल संतप्त दिलों की वेदना का जानकार चाहिए धरती यहाँ उजड़ी हुई सृजनकार चाहिए कुछ न कुछ तो भ्रष्ट कर पापी यहाँ सब हो रहे गढे नव चरित्र नर में वो शिल्पकार चाहिए गंगा , यमुना मैली है बैठे थैली भरकर ले दुष्टों का खबर कोई साहूकार चाहिए उच्च सिंहासन बैठे पाखंडी साधू बनकर "पर्दाफाश हो जल्दी" ऐसी पुकार चाहिए साहित्य सृजन कर देश जागरण के हेतु "हर" करे कलम कटार निर्भीक कलमकार चाहिए ,,,,,,, 🖋️ हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन ( थानखम्हरिया) बेमेतरा #चाहिये
Parasram Arora
परफेक्ट वर होता हीं नही और. न परफेक्ट वधु होती हैँ...... एक बार शादी हो जाय तो.... और कोई किसी के लिये नही बना हैँ..... और मानलो कोई तुम्हारे लिये बना भी हो तो छे अरब लोगो में इस धरती पर उसे ढूंढ़ना इतना मुश्किल होगा कि पूरी जिंदगी तुम ढूँढ़ते ही रह जाओगे.... और ज़ब तुम इसे ढूंढ लोगे.. जीवन तुम्हारे हाथ से निकल चुका होगा..... एक महिला इसलिए अविवाहित रही कि उसे एक परफेक्ट पति की दरकार थीं... ज़ब उसकी महिला मित्र ने उससे पूछा "क्या तुम्हे एक भी अपने लिये परफेक्ट आदमी मिला? " वाह बोली"एक मिला लेकिन वह भी परफेक्ट पत्नी क़ो ढूंढ रहा था " ( ओशो के प्रवचन का अंश ) ©Parasram Arora परफेक्ट वर परफेक्ट वधु #Moon
Abeer Saifi
मुझको बांटे ना कभी ऐसी जगह चाहिये मुझे मक्का भी नहीं ना मथुरा चाहिये कैसे कह दूँ कि मुझे वो ना चाहिये के भगवान नहीं मुझको ना ख़ुदा चाहिये मुझे मिल जाये या रब तू और क्या चाहिये जन्नत भी नहीं मुझको ना दुनिया चाहिये तेरी राहों में मुझे वो सिलसिला चाहिये दर्द भी ना हो मुझे नाहीं दवा चाहिये चलने को सहज एक रास्ता चाहिये तन्हा भी नहीं मुझको ना कारवां चाहिये ...... चाहिये 💛
Abeer Saifi
मुझको बांटे ना कभी ऐसी जगह चाहिये मुझे मक्का भी नहीं ना मथुरा चाहिये कैसे कह दूँ कि मुझे वो ना चाहिये के भगवान नहीं मुझको ना ख़ुदा चाहिये मुझे मिल जाये या रब तू और क्या चाहिये जन्नत भी नहीं मुझको ना दुनिया चाहिये तेरी राहों में मुझे वो सिलसिला चाहिये दर्द भी ना हो मुझे नाहीं दवा चाहिये चलने को सहज एक रास्ता चाहिये तन्हा भी नहीं मुझको ना कारवां चाहिये ...... चाहिये 💛
Shilpa
मुजे मुहोबत में इनाम चाहिये तेरे साथ अपना नाम चाहिये सजा रहे तूं मांग में सिंदूर बन के आगोश तेरी उम्र तमाम चहिये 2019#shilpapandya