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Rupam Rajbhar
फिर बैठ गई मैं उसके यादों में उसे याद करने को क्या मै ही केवल याद करती हूं कि तुम भी याद किया करते हो। #ThinkingBack #nozotoyade क्या मै ही याद किया करती हूं
Abhishek Pal
यार गलती मेरी हैं, तु सुना दियो| मैं तुझे मना लुंगा, तु मान जायो| रुठा क्यो करती हैं।
Vickram
शौक सिर्फ खुश रहने का था केवल,, अच्छा हुआ ज्यादा महेंगे शौक ही नहीं थे,, आजकल वजह भी ढूंढते हैं लोग खुशी की आंखिर ये इतना खुश दिखते ही क्यों है,, ©Vickram #standout क्या क्या करते हैं लोग,,
Akhilesh Meena
धरती गगन हवा पवन ये सब प्रकृति के फूल हैं, इनके एहसास ही गुलों की खुशबू और गुलशन का उसूल हैं… धरती क्या कहती हैं...
Gurwinder Manjeet Singh Faridkot
लगकर सीने से बिछड़ते जाते है लोग, खुद मुरझाने से पहले टूट जातें है फूल, परछाई अंधेरे में भी साथ ही रहती है , अंधेरों में हम हैं कौन ?भूल जातें है लोग। ©Gurwinder Manjeet Singh Faridkot लोग क्या करते हैं
Bharat Bhushan pathak
कैसे?इस पर विस्तारित चर्चा बाद में होगी,सबसे पहले तो छोटा सा संस्मरण संबंधित विषयवस्तु पर प्रस्तुत है:- हुआ यों कि एक बार बचपन मैं जब साइकिल चलाना सीख रहा था,तो अपने उस शरारती मित्र के कारण जो मुझे साइकिल सिखा रहा था के कारण मैं गिर गया।गिरने का कारण स्पष्ट था कि उसने कहा कि भाई तू आगे देख और पैडल मारने की कोशिश कर,पर किसे पता था कि बंधु ने 'एकला चलो रे' बताने की ठान रखी थी और हुआ भी बिल्कुल वैसा ही ,एकला चलो का नारा बुलन्द करने वाले श्रीमान भारत भूषण जी क्षण भर में वसुंधरा का आलिंगन करते पाए गए और वसुंधरा ने भी स्नेह की बरसात करते हुए कुछ अधिक ही प्रेम कर दिया जिसके फलस्वरूप श्रीमान जी की पेन्ट ये दूरियाँ ये फासले अब नहीं गाते हुए पीछे और आगे फट चुकी थी,कमाल का नक्शा बनाते हुए फटी थी वो,उस जमाने में उसे छुपाते हुए किसी तरह घर वो पहुँचे और पेन्ट बदली पर आज ऐसा कुछ हो जाए तो लोग कहेंगे क्या बात है वाह बिल्कुल ट्रैण्डींग लूक! ©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-२
Bharat Bhushan pathak
आज जब मेरी एक विद्यार्थी ने विद्यालय में यह बताया कि एक नामचीन अभिनेता जिनका नाम लेना जरूरी मैं समझता नहीं महिलाओं के परिधान में घूमते नज़र आ रहे हैं तो मैं दंग रह गया और सोचने पर विवश हो गया कि कितना विकास हमने वाकई कर लिया है। अब वो दिन भी दूर नहीं कि आज के लोग मरने से पहले भी विशेष अॉर्डर करते नज़र आएंगे कि मेरे मरने के बाद मैं थ्री पीस में हूँ,या स्पायरल होल वाली जींस हो इसका विशेष ख्याल रखा जाय। साथ ही अन्तिम विदाई देने वाले साथी भी इस बात पर विचार करते नज़र आएंगे कि उसने मरते वक्त ये पहना था तो मैं ये पहनूँ! बात अटपटी है मगर यथार्थ का दर्शन निहित है कि क्या आज के पोशाकें और उनके प्रति ऐसी पागलपन व विपरीत पोशाकों का सनकीपन विचारनीय नहीं है। कृपया अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी रखें भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏 ©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-५
अनामिका पाण्डेय
ये वादियां क्या कहतीं हैं मालूम नहीं पर हां इनके किसी कोने में दर्ज है, मौजूदगी तुम्हारी तुम्हारा एहसास बिखरते जज्बातों को सहारा दे जाते हो हां तुम बहुत याद आते हो अब भी आती हैं इन वादियों से मुझे खुशबुएं तुम्हारी आँखे छलक उठती हैं जाने क्यों इन्हें अब भी लगता है तुम आओगे मेरे हौसलों की उड़ान बनकर सुन रहे हो न ये भी मेरी ही तरह तुम्हारी राहें तकती हैं ©Anamika Pandey #ये वादियां क्या कहती हैं