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Parasram Arora
एक मासूम सां नन्हा परिंदा भी नए शिशु क़ो जन्म देने के लिये सबसे पहले किसी हरे भरे वृक्ष की सबसे ऊंची और छायादार शाख का चयन करता है जहाँ वो अपने संभावित शिशु क़ो जन्म देने से पहले एक सुखद आरामदेह घोंसले का निर्माण कर ...सके . और ये सब उसके सुखद भविष्य केलिए उसके प्रबंधन का हिस्सा है लेकिन हम अव्यवस्था वाले परिंदे की सोच की न तो सराहना करते है न उनका हम अनुगमन ही करते है ©Parasram Arora प्रबंधन....
vishnu prabhakar singh
जागो भारत जागो 'अवधारणा' हमारी निती राजनिती अच्छे बुरे की निजता से परे बेखौप,तल्ख आरोप के व्याख्यान पर हमसे चौकन्ना कोई हो कैसे हमारा स्पष्ट पारदर्शी इतिहास धुसरित है स्वार्थ से जहाँ यतन से ढूँढा था हमने विकृत भाँप लिया था ठप पडी इच्छा-शक्ती तब इसके उत्तथान के लिये बने बेखौप बिसरायी संवैधानिक बाधा विकास किया विकृत का केंद्रित की क्षेत्रियता प्रतिष्ठित की मानसिकता झेला अनुशासन हीनता का पश्याताप परंपरा तोडा परिवार जोडा सार्वजनिकता में सुलभ हुये भय के माहामंडन में बैर लिया धौस से हमारा शोषन हुआ वाणिज्यिक धन को तरसते रहे राष्ट्रपति मनोनित संस्था के हाशिये पर लम्बा संघर्ष किया आसान नहीं रहा जरा सोचो, अहिंसा के पूजारियो और संवैधानिक पीठ की कर्मण्यता कल्याणकारी रुप और सुदृढ विधि-व्यवस्था का खुला मंच दिमाग खराब ! तब हमने आविष्कार किया अशिक्षित समाज के लिये भ्रम धर्म और जात में खोये को धन अधुरा-सच का मूल मंत्र भोकाल का नेपथ्य तंत्र हम बोल-बोल कर अनशुने रहे ऊठती ऊंगलियो को अप्रमाण बताया अछूत का विषपाण किया फसते ही चले गये तब ये विरादरी बनी त्रुव का पत्त्ता जहां असुरक्षित लाभ बढा रहे है,और हमें मिल रहा है असंवेदनशीलों का बहुमत! #अवधारणा
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
मुसीबत में सरल और शांत, धनप्राप्त होने पर ईमानदार , सत्ता में आने पर विनम्र, सहज रहें और क्रोध में शांत रहें, इसे ही तो कहते हैं - "'जीवन प्रबंधन'" ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). जीवन प्रबंधन ।
Parasram Arora
क्यों न करे हम साँसो का श्रेश्टम प्रबंधन जबकि एक एक सांस हमारी अर्थपूर्ण बन सकती हैँ जैसे कहीं सहज रूप मे बैठ कर साँसों क़े सुखद विनियोजन से अद्भुत आनंदका अनुभव पाया जा सकता हैँ सांन्स लेने कामतलव केवल किसी तरह से सांस लेना या छोड़ना ही नहींहै जबकि हम सांस क़े प्रति मूर्छित बने रहते हैँ और अपना ध्यान दिमाग़ मे चल रही बेकार की चीजों मे झोंक देते हैँ तभी तो रह जाती हैँ उपेक्षित हमसे . ये सृष्टि और उसके रचियता की अनुपम कृतियाँ साँसो का प्रबंधन.......
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी सृष्टि के श्रंगार और निर्माण की अद्भुत कला थी नारी नर की पौरुषता को,निखारती थी नारी जननी सभ्यताओं की पाठशाला संस्कृति की थी परिस्थितियों से संघर्ष कर शिवाजी और महाराणा प्रताप बनाती नारी आज गमो में घुटकर लाचार दिखती नारी घरों से बहार निकलकर,आजादी की दुहाई देती नारी टूट रहे परिवार परवरिश से,उदण्डता पनप रही है मापदंडों पर दोहरी भूमिका, बेचारी नारी दो पाटो में चक्की की तरह पिस रही है बाजार बाद की अवधारणाओं में, नारी की कीमत अक रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #lonely बाजारवाद की अवधारणा में,नारी की कीमत अक रही है #lonely