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Parasram Arora
कितने सुखी दिखते हैँ ये हरे भरे वृक्ष क्योंकि इन्हे न कोइ कविता लिखनी हैँ न इन्हे समय गंवाना हैँ इन कविताओं को सुनने मे इन्हे इस बात मे भी कोइ दिलचस्पी नहीं हैँ कि वे कोयल की तरह अपने कंठमे वैसी मिठास ही भर ले उन्हें तो हर समय एक ही ख्वाहिश रहती हैँ कि कब कोइ पंछी आकर उसकी डॉली पर घोंसला बनाये और वहा ताज़े चूजों को जन्माये ताकि उनकी चहचहाट से अपने ह्रदय को गुदगुदा सके चहचहाट और गुदगुदाहट........
نمیش
किताबों मैं सजी है कुदरत की लहर गुलों सी महक और तैर की चहर तैर bird चहर चहचहाना
Vikas Kumar Chourasia
"दिली परिंदे की दिल से चहचहाट" जिनके रिश्ते ताउम्र आपसी मदभेद में उलझते थे कभी अब गुनहगार उसे बना दिया राजनीति का ये खेल, रिश्तों में भी होता है आवाज़ गूँज रही थी घर में सबके हँसी ठहाके की वो अपने घर में ही तन्हा रह गया अलग थलग करने का ये खेल, रिश्तों में भी होता है गैर उसे बनाके सब एक होते चले गये पक्षपात का ये खेल, रिश्तों में भी होता है 🍁विकास कुमार🍁 "दिली परिंदे की दिल से चहचहाट"
manish patel ... मन...
मासूम ये चहचहाहट, हमारी फिजाओं से रूठी है,, धोखा देकर कैद करने वाली, हमारी अदाओं से ये रूठी है ,, ना जाने क्यों इसकी तड़प को हम एक खेल समझ बैठे है ,, देखो ना गोर से, मायूस सी इनकी आंखो में,, हालात से नहीं, ये हमारे गुनाहों से रूठी है . ... मन... रूठी हुई मासूम चहचहाहट, #feeling
MANJEET SINGH THAKRAL
सुबह हो रही है। चिड़िया चहचहा रही है .... लेकिन कौन है जो 7 साल लंबी अंधेरी रात को और लंबा खींचना चाहता है। चहचहाती चिड़िया से कौन डर गया है ? ©MANJEET SINGH THAKRAL सुबह हो रही है। चिड़िया चहचहा रही है .... लेकिन कौन है जो 7 साल लंबी अंधेरी रात को और लंबा खींचना चाहता है। चहचहाती चिड़िया से कौन डर गया ह
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी उड़ान मेरी जमीन से आसमान तक आसान है पँखो की बदौलत,हर दौलत मेरे पास है चाहूँ बादलो से काजल चुरा लाऊ धरती के सीने से,दो बूँद जल उठा लाऊँ हर नजारों का नूर मेरे पास है प्रकृति के हर बदलाव का होता पहला एहसास है में भले मूक प्राणी हूँ मगर चहचहाना मेरा,मस्ती में शुमार है उजड़ते घोसले आँधी तुफानो में कई बार ना मुआवजे ना रहम की कही दरकार है में खुद ही उठती खुद ही सम्हलती में खुद ही अपनी कारीगरी से जीवंत करती अपने अरमानो की सरकार है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #badal चहचहाना मेरी मस्ती में शुमार है #badal
tushar parashar
Nadeem
बेटी ऐसे ही उग आती है बेटियाँ अनवांछित पौधे की तरह. उस घर मे जहाँ बेटे बरगद के पेड़ की तरह पाले जा रहे हो.. इस उम्मीद में की छाया देंगे..! जिसके छाँव तले एक पिता सुकुन से.. आख़िरी सासें ले सके..! बेटियाँ तुलसी बन सकती या फिर धान की फसल.., ये बन सकती है बरगद, और पीपल भी... मगर इनपर उम्र का दोष है। NADEEM ZAFAR @nadeem.zafar_poems भोर की सुनहरी, किरन सी होती हैं बेटियां, आंगन में कोयल सी चहचहाती हैं
Murli Bhagat
मैं कहाँ परिंदो को सुन पाता हूँ, पर ऐसा लगता है कि वो कहते हैं- "हमें उड़ने दो आज़ाद भी रहने दो; बेशक अक़्ल तुम इंसानो में ज़्यादा है हम बेजुबानों से, अपनी तादाद बिल्कुल बढाओ तुम पर हमारी तादाद भी रहने दो"।। आजकल चिड़ियों की चहचहाट को भी तरसते हैं कान हमारे।। #yqdidi #yqbaba #yqquotes #birdswhisper #birds #pollution #cinemagraph
मुरली कुमार
मैं कहाँ परिंदो को सुन पाता हूँ, पर ऐसा लगता है कि वो कहते हैं- "हमें उड़ने दो आज़ाद भी रहने दो; बेशक अक़्ल तुम इंसानो में ज़्यादा है हम बेजुबानों से, अपनी तादाद बिल्कुल बढाओ तुम पर हमारी तादाद भी रहने दो"।। आजकल चिड़ियों की चहचहाट को भी तरसते हैं कान हमारे।। #yqdidi #yqbaba #yqquotes #birdswhisper #birds #pollution #cinemagraph