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एक इबादत
मत भरो अपने उर भीतर हलाहल तुम मेरे विरूद्ध, अमिय का निरन्तर प्रवाह हूँ मैं कल्मष का कोई प्रतीक तो नही...!! अमिय- अमृत कल्मष-पाप
प्रेम और मैं
तु म की र्ति मा न हो, तु म्हा रे य श - कौ श ल की ख्या ति स र्व व्या पी है, स ब तु म्हा रे अ नु कू ल है, स ब तु म्हा रे अ नु या यी है। य था चि त! तु म्हे फि र भी अ प य श का भ य है, औ र य ही भ य तु म्हा रे धी र चि त को क ल्म ष के लि ए प्रे रि त क र ता है। कल्मष के लिए प्रेरित करता है🍃 अपयश - बदनामी, धीर चित - शांत मन, कल्मष - पाप/गलत कार्य
Vedantika
कल्मषों के फेर में उलझे हुए व्यक्तित्व हैं कागज पर उतरे ना जो कैसा कवित्व हैं उतार दो कल्मषों को घोल दो स्याही में फिर अपने जीवन को नया चलचित्र दो प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक
साहस
सदियों से लोग पनाह मांगते आए,दर्द दिया दरमेश है। वादियों में खुलकर मिलते ,शहरों में पाया तो क्लेश है। अश्क गिरते रहे हर लम्हें,रश्क में अब नहीं अड़पेंच है। इश्क़ एक गुनाह है या मिलता सिर्फ कल्मष हड़बेंच है। प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक
Insprational Qoute
मानव व्यवहार में कल्मषों का होना भी तो लाज़मी है, करो कृपा हे आराध्य ईष्ट!अन्तरात्मा में जो भी कमी है, ये धरोहर कब की नष्ट हो जाती,बस तेरी महर से थमी है, रखो आशीष सर्वदा हे माँ शारदा!तुम से ही लगन लगी है। प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक
Writer1
कल्मष भरा तूं भीतर से और रोज गंगा नहाए, मन का मैल जो धो सके , वो नीर कहाॅ॑ से लाए, बिलखता देख भूख से कोई, क्यों ना कापें तेरा ज़रा- ज़रा, क्या इतना तेरा मन स्वार्थ, पाप, छल-कपट से है भरा। प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक
DR. SANJU TRIPATHI
इंसानियत ना बची कलयुगी इंसानों में,चहुं ओर कल्मष ही नजर आता है। भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, दंगा-फसाद और लूट-खसोट का ही बोलबाला है। प्यार के नाम पर होने लगा व्यापार, जिंदगी का यहां ना कोई मोल रहा, ईमान बिकने लगे अब लोगों के कौड़ियों के भाव, नफरत का ही शोर है। प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
जब नाश धर्म का हो जाये, कल्मष मन मस्तिष्क पर छाये, तन को करत सुहावन मनुज, पर मन का मैल देख ना पाये। सुरसा पापिनी मुँह फैलाये, पुण्य धर्म सत्कर्म को ग्रास करे, अब तो उद्धार करो गिरधारी, धरती पर कल्मष बढ़ता जाये। प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक
Prerit Modi सफ़र
कल्मष से भरा हूँ मैं आ गिरधर पार लगा दे मुझे मैं हूँ नहीं लायक इस दुनिया के आ सजा दे मुझे साम दाम दंड भेद सब चालें चल ली हैं ज़िन्दगी के 'सफऱ' में मोह माया में जकड़ा हूँ, मोक्ष की राह दिखा दे मुझे प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक
Mahima Jain
कल्मश भरा हो मन के भीतर, तो उजियारा कहां से कर पाओगे। सौ गंगा स्नान भी कर लो चाहे, फिर भी पाप ना धो पाओगे।। प्रतियोगिता संख्या 23 का शीर्षक है कल्मष जिसका अर्थ होता है मैल पाप गंदगी मवाद गुनाह kalmash, बुराई दोष मर्यादित शब्दों का प्रयोग करें आपक