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ANIL KUMAR
जो जाना चाहता है जाने दो एक बात याद रखना कभी भी गुलामों की इज्जत नहीं होती ©ANIL KUMAR गुलामों की इज्जत
गौरव दीक्षित(लव)
_🙋♂🚩आजकल एक कविता वायरल हो रही है, *देश का हिन्दू सोया है*_ _इस कविता को मैंने इस प्रकार लिखा है :-_ *🚩वीर शिवाजी की शमशीरें,* *जयसिंह ने ही रोकी थीं ।* *🚩पृथ्वीराज की पीठ में बरछी,* *जयचंदों नें भोंकी थी ।* *🚩हल्दीघाटी में बहा लहू,* *शर्मिंदा करता पानी को ।* *राणा प्रताप सिर काट काट,* *करता था भेंट भवानी को* *राणा रण में उन्मत्त हुआ* *अकबर की ओर चला चढ़ के* *अकबर के प्राण बचाने को* *तब मान सिंह आया बढ़ के* *इक राजपूत के कारण ही* *तब वंश मुगलिया जिंदा था *इक हिन्दू की गद्दारी से* *चित्तौड़ हुआ शर्मिंदा था ।* *जब रणभेरी थी दक्खिन में* *और मृत्यु फिरे मतवाली सी* *और वीर शिवा की तलवारें* *भरती थीं खप्पर काली सी* *किस म्लेच्छ में रहा जोर* *जो छत्रपती को झुका पाया* *ये जयसिंह का ही रहा द्रोह* *जो वीर शिवा को पकड़ लाया* *गैरों को हम क्योंकर कोसें,* *अपने ही विष बोते हैं* *कुत्तों की गद्दारी से,* *मृगराज पराजित होते हैं* *बापू जी के मौन से हमने भगत सिंह को खोया है,* *धीरे हॉर्न बजा रे पगले,* *देश का हिन्दू सोया है ।* 🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉 देश का हिन्दू सोया है
Azeem Khan
इक कहानी में लिक्खे जायेंगे । क्या क्या हैरानी में लिक्खे जायेंगे ख़ुद को गुलामों में लिखेंगे और । तुमको रानी में लिक्खे जायेंगे । azeem khan #ख़ुद को गुलामों # azeem khan
ABi Aman
जब से मिले हो तुम, तुम में ही जीने लगा! तुझ में खुद को पाता, खुद को तुम में ही पाता! ये नज़र तेरी तलाश करती, हर आहत में तू लगता! तू खो ना जाये कही, ये ऑंखें इस लिए सोई नहीं! ©ABi Aman सोया नहीं
Lawyer Bhati
उड़ना है परिंदों की तरह ...बुझना है दीपक की तरह..रहना है लोगों की आँखों में आंसू की तरह...अरमाँ दिल के है कुछ इस तरह कि अब किसी के पास नहीं रहना है गुलामों की तरह...अब बहना है हवाओं की तरह...अब जलना है आग की तरह... अब जीना है मुसाफ़िर की तरह...कि नहीं रहना गुलामों की तरह... Lawyer Bhati कि नहीं रहना अब गुलामों की तरह #solotraveller
Aditya Narayan Singh
तुम्हारे हंसी और खामोशी के बीच में एक छोटा सा समय अंतराल है, उसमें एक कहानी की रचना करता हूं मैं। और उस कहानी में चांद तारे तोड़ने और तुम्हारे लिए दुनिया से लड़ जाने जैसी छोटी-मोटी घटनाएं नहीं होती। उस कहानी में दीवारों की पपड़ियां के उधड़ जाने से एक जानी पहचानी तस्वीर बन जाती है, उस कहानी में भावनाओं का सूखा पड़ जाता है, किरदार खुद को सुदूर किसी दिशा के विरान मरुस्थल में उगे नागफनी को निहारता हुआ उससे अपनी तुलना करता है। और इसी छोटे समय अंतराल में मेरी चेतना जगा देती है मेरे अंदर सो रहे एक प्रेमी को। सोया हुआ प्रेमी