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कवि शिवा "अधूरा"
जिंदगी के हसीन लम्हें कुछ जीने चली हूं मैं, बागबान के आंगन की कली खिलने चली हूं मैं, अभी ना बांधों मेरे पांव में जिम्मेदारी के घुंगरू, कि मुक्त गगन के इन्द्रधनुष में रंग भरने चली हूं मैं । शिवा अधूरा बेटी के लिए
meri kalam
एक कोमल पुष्प- सी मैं इस दुनिया में आऊंगी , आपके आंगन कि रंगोली बनकर और चिड़िया बनकर उड़ जाऊंगी । हां बटी हु मैं इतना कसुर ज़रूर है , आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ? दुनिया में आती हु लेकिन , थोड़ा ड़र भी लगता है मुझे । दुनिया में आते ही , सबकि नजरें मुझ पर लग जाती है क्या यही चीज मानवता दिखलाती है ? लड़के होते ही लोगों के आ जाता गुरुर है , आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ? मैं इस दुनिया में आऊंगी , और लोगों को बतलाऊंगी । क्या बेटी होना पाप है ? क्या बेटी होना श्राप है ? आज कि बेटी हु मैं , यह मेरा गुरूर है , आने दो मुझे इस दुनिया में मेरा क्या कसुर है ? पृदयूमन सिंह चौहान एक बेटी के लिए अनमोल कविता by - pradyuman Singh chauhan
Nilesh Gadhavi
Beautiful Heart दो चीजें हमेशा नसीब वालो को मिलती हैं 1)मोहब्बत ओर 2)बेटी बेटी के लिए तो लव भेजो
Ravindra Singh
'मेरी बेटी के लिए लोरी' कौनसी तुझको लोहरी सुनाऊँ, बेटी कैसे तेरी नींद बुलाऊं। सो गया सूरज, सो गए कागा, सोने बादल अपने घर है भागा। छाया अँधियारा है, नहीं आँखों को अभी उजाला प्यारा है। क्यूँ बेचैन है तू, नहीं बेचैनी तेरी समझ पाऊं। कौनसी तुझको लोहरी सुनाऊँ, बेटी कैसे तेरी नींद बुलाऊं। क्या मैं कान्हा को बुलाकर लाऊं, कर बिनती उनसे मधुर बांसुरी बजबाऊं। या फिर भोले के तुझे दर्शन कराऊँ, डमरु की डम डम तुझे सुनबाऊं। कौनसी तुझको लोहरी सुनाऊँ, बेटी कैसे तेरी नींद बुलाऊं। ©Ravindra Singh मेरी बेटी के लिए लोरी #SunSet