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Death_Lover

सियासतदानों की सियासत भी बदली जाएगी,
जब "हिंदुस्तान" कुछ वक्त के बाद तेरी तक़दीर बदली जाएगी॥
(क्रांतिकारी)

©Himanshu Tomar #क्रान्तिकारी_विचार #एक_गहराई

#MaharanPratapJayanti
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ADITYA

एक इंसान का अपने बच्चो को मृत्यु की राह पर ले जाने से,
 कहीं ज्यादा दुखद है 
उनको गुलामी की राह पर छोड़ देना 
##क्रान्तिकारी #क्रान्तिकारी
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क्रान्तिकारी रोशन सिंह का सुविचार

#Kathakaar

क्रान्तिकारी रोशन सिंह का सुविचार #Kathakaar

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VARUN 'VIMLA'

भीग बर्षा में
उबलती चाय सी
खिल जाती हो

वरुण " विमला " "महबूब"
 सचिन क्रान्तिकारी Prakhar Kaushal Nilesh Gadhavi jazbati_words Sandhya Jhummi

"महबूब" सचिन क्रान्तिकारी Prakhar Kaushal Nilesh Gadhavi jazbati_words Sandhya Jhummi

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Saurav Das

जब बात प्यार से न बनी तो क्रान्तिकारी पर उतर आये
 
देश से इतना प्रेम कि जान की बाजी लगा आये 

उम्र क्या थी ये न पुछिए इनमें भरपूर था जोश 

अंग्रेजो के रूह कांप उठे नाम सुनकर सुभाष चन्द्र बोस !!

©Saurav Das #क्रान्तिकारी
#देश 
#प्रेम 
#जान 
#उम्र 
#जोश 
#अंग्रेज 
#कांप
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Karan Dixit

 महान क्रान्तिकारी योद्धा भगत सिंह की जयंती पर शत शत नमन

महान क्रान्तिकारी योद्धा भगत सिंह की जयंती पर शत शत नमन #nojotophoto

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Rampravesh Yadav

क्रान्तिकारी कवि पाश ने 23 मार्च 1931 को भगत सिंह की फांसी सच कविता में दर्शाया है #shortvideo

क्रान्तिकारी कवि पाश ने 23 मार्च 1931 को भगत सिंह की फांसी सच कविता में दर्शाया है #shortvideo

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ishant singh

 भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, 1857 की क्रान्ति के महानायक महान क्रान्तिकारी बागी बलिया के निवासी अमर बलिदानी "मंगल पाण्डेय" जी के बलिदान

भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, 1857 की क्रान्ति के महानायक महान क्रान्तिकारी बागी बलिया के निवासी अमर बलिदानी "मंगल पाण्डेय" जी के बलिदान #nojotophoto

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ADITYA

मजदूरों के पास खोने के लिए सिर्फ अपनी  बेढियो के सिवा कुछ नही है ।
 
और जीतने के लिए सारी दुनिया।
 हमारा उद्देश्य जन वर्ग चेतना जाग्रत कर, क्रान्तिकारी शहीदों के लक्ष्य- उद्देश्य शोषण विहीन वर्गविहीन मानववादी मानव समाज की स्थापना करना है .

हमारा उद्देश्य जन वर्ग चेतना जाग्रत कर, क्रान्तिकारी शहीदों के लक्ष्य- उद्देश्य शोषण विहीन वर्गविहीन मानववादी मानव समाज की स्थापना करना है . #विचार

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Rahul Raj

" तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा "
आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक भारत माता के वीर सपूत महान क्रान्तिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि कोटि नमन।
जय हिंद
#NetajiSubhashChandraBose " तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा "
आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक भारत माता के वीर सपूत महान क्रान्तिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की

" तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा " आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक भारत माता के वीर सपूत महान क्रान्तिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की #NetajiSubhashChandraBose

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KK. Ajay

 भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी, जिन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे "माइकल ओ' डायर" क

भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी, जिन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे "माइकल ओ' डायर" क #nojotophoto #विचार #इंक़लाब_भारत

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अनिल रिवाङ गौवत्स

 नक्सलियों के कायरना हमले में शहीदों को अश्रुपुरित श्रंदाजली एवं हम राष्ट्रभक्त यह कसम खाते हैं कि नक्सलियों को क्रान्तिकारी कहने वाली क्रांग

नक्सलियों के कायरना हमले में शहीदों को अश्रुपुरित श्रंदाजली एवं हम राष्ट्रभक्त यह कसम खाते हैं कि नक्सलियों को क्रान्तिकारी कहने वाली क्रांग

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Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)

 कविता को आगे बढ़ाएँ-
#HappyBirthday #SpecialDay #RamPrasadBismil

जब-जब भारत के स्वाधीनता इतिहास में महान क्रांतिकारियों की बात होगी तब-तब भा

कविता को आगे बढ़ाएँ- #happybirthday #specialday #Ramprasadbismil जब-जब भारत के स्वाधीनता इतिहास में महान क्रांतिकारियों की बात होगी तब-तब भा

22 Love

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Divyanshu Pathak

....हमारी अम्मा....

अम्मा कहती थी
शेष गाय की होती है
एक कन्या जाओ
पैर छू लो !

मैं बड़ा हूँ
नही छूने मुझे पैर
जब मैं कहता तो
अम्मा तपाक से 
बोल देती
तू तू तो गधा है ! 🙏☕#शुभरात्री🙏☕🍁😊
:
बिना हाथ पैरों को धोएं घर की मैन गैलरी में प्रवेश करना जैसे राष्ट्रद्रोह कर दिया हो ।
सर्दी हो या गर्मी कोई फ़र्क़ नही पड़ता

🙏☕शुभरात्री🙏☕🍁😊 : बिना हाथ पैरों को धोएं घर की मैन गैलरी में प्रवेश करना जैसे राष्ट्रद्रोह कर दिया हो । सर्दी हो या गर्मी कोई फ़र्क़ नही पड़ता #दादी #पंछी #पाठक #हरे #पाठकपुराण

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Pnkj Dixit

#OpenPoetry 🇮🇳पं• चंद्रशेखर आजाद🇮🇳 🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता

🇮🇳चन्द्रशेखर आजाद 🇮🇳 पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई १९०६ - २७ फ़रवरी १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता

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Priya Kumari Niharika

शीर्षक: आजादी का मोहभंग
15 अगस्त से आप क्या समझते हैं।
रेडियो की आकाशवाणी,
डीडी नेशनल की परेड,
स्कूल की लॉजिस,
या गरमा गरम जलेबी
क्यूँ सही कहा ना 
मुस्कुराईये नहीं...... आप गुलाम है,  यकीन नहीं आ रहा ना , चलिए बताती हूँ......,
जी हाँ ये सच है कि आप गुलाम हैं, उस विचार के..... जिसपर 'क्या कहेंगे लोग' जैसे वाक्य का अधिकार है
जी हाँ आप उस मोहमाया में जी रहे है,जिसकी सत्ता या तो आपके आसपास है या आपकी कल्पना ने उसे ग़ढ़ा है।
और बेशक़ आप समाज के रूढ़िगत नियम, कानून, रीति, परम्परा की ऐसे जंजीर से बंधे है,जिसे तोड़ने की
 छटपटाहट युगों युगों से निरंतर जारी है। और ये कहना  बेशक गलत नहीं होगा,कि आज भी आपका शोषण
यूँही चुटकीयों में हो रहा है,बशर्ते आप उसे समझें। क्यूंकि सामाजिक विषमता, आर्थिक दुर्बलता,
धार्मिक मुठभेड़,उपभोक्तावादी एवं पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव, शासन प्रशासन का सडयंत्र, भ्रष्टाचार, अन्याय,
 समाज के अराजक तत्व,और रूढ़ियों को भी सांस्कृतिक परंपरा के रूप में ढोने की प्रकृति, इतना ही नहीं लोकतंत्र में भी
अपनी बुद्धिमत्ता से मतदान देने के स्थान पर,मतदान चिन्ह और प्रतिनिधि के चेहरे को प्राथमिकता देने की प्रवृति,साथ
 ही असुरक्षा का भय की सल्तनत हर कदम पर आपका शोषण करके आपको लाचार बना कर,आपके विकास
 में बाधा उत्पन्न करते हैं,और तो और,हम अपनी अनैतिकता को नैतिकता के नकाब पहनाने में ऐसे खो गए है,
कि हमारी नैतिकता कितनी प्रतिशत नैतिक है,इस पर भी प्रश्नचिन्ह लगा पाते हैं, खैर....
.क्या हमने ऐसी ही आजादी का स्वप्न देखा था? क्या इसके लिए ही नवजागरण और क्रांति की लहर
 चरम पर थी, या फिर बड़े-बड़े आंदोलन,क्रान्तिकारीयों को फाँसी, या जालियांवाला बाग में लाशों का तख्त, 
या 46 का बंगाल नरसंहार या विभाजन के समय रेल नरसंहार,देश के टुकड़े, विभाजन की त्रासदी,
विस्थापन का संत्रास और भीषण रक्तपात क्या वाकई इसी आजादी के लिए था?
मैं आजकल जब आजादी के विषय में सोचती हूँ,तो पाती हूँ कि वर्षों पहले के आजादी के स्वप्न की वास्तविकता,
 इतनी विकृत,भीषण और दर्दनाक है,कि जिसकी कल्पनामात्र से हम मायूस,हताश और निर्बल हो जाते है।
जहाँ देश की विकास जीडीपी से निर्धारित होती है,वहीं कचड़े के डब्बे से टुकड़ों की तलाश में कुत्तों से
 छिनाझपटी करती है जिन्दगी...जहाँ बारिश में चाय और शेरों शायरी की लुफ्त उठायी जाती है,
 वहीं फूस का आशियाँ गल जाता है, कागज की नाव के समान............. और भींगती,ठिठुरती गुजरती है,जिंदगी....
जिसने शरणागत को भी शरण दिया, वहीं सड़के और प्लेटफार्म पर रहती है जिन्दगी....
जहाँ वस्त्र,आभूषण गरीमा का प्रतीक माने जाते हैं वहीं चिथड़ों को सीलकर सवरती है जिन्दगी...
 जहां बुद्ध,द्रोण, चाणक्य जैसे ज्ञानी हुए,वहाँ शिक्षा व्यावहारिक ज्ञान, व्यक्तित्व एवं कौशल विकास को छोड़कर
अकादमीक डिग्री पर आधारित एक व्यापार बन कर रह गया, इसलिए बेरोजगारी का दंश झेलती है जिन्दगी....
 जहां महामारी के दौरान, संवाददाता के रिपोर्टिंग लाइव से अनगिनत टीआरपी बटोरी जाती है
वहीं साधन,इलाज सुरक्षा के आभाव और महंगाई और कर्फ्यू की चपेट में दम तोड़ती है जिन्दगी.
 जिस लोकतंत्र में समान अधिकार का दावा किया जाता है, वहीं समाज, धर्म,अर्थव्यवस्था और राजनीति
 उसकी हत्या करने से कभी बाज नहीं आते... जहाँ प्रशासन, सशस्त्र बल, सुरक्षा कर्मचारी, सिपाहीयों की
 कोई कमी नहीं, वहीं की जनता स्वयं को असुरक्षित और डरा हुआ पाती है और हर घड़ी शहर,सड़क, गालियारे
से डरती है जिन्दगी,और तो और जहाँ विविधता में एकता के आदर्श है, वहाँ समाज, धर्म, अर्थव्यवस्था,
संस्कृति प्रकृति और प्रवृति के आधार पर टुकड़ों में बटी पड़ी है जिन्दगी.... तो बताइए, जब हमारी
 प्राथमिकताओं पर ही प्रश्न चिन्ह लगा है, तो हम अपनी आशाओं महत्वाकांक्षाओं और लक्ष्य का
 क्या ही ब्यौरा लगाए। तो क्या यही लोकतंत्र है, जहां केवल राजनीतिक विकास होता है,जीवन का विकास नहीं?
 क्या यह वही अधिकार है,जो केवल शक्तिशाली और अमीरों के लिए है, शेष के लिए नहीं?
 क्या यही हमारी आजादी है,जिससे नीति, तंत्र और चेहरे तो बदल गए,मगर शोषण है वही?

©Priya Kumari Niharika #Nojoto #Poetry #story #आजादी का मोहभंग 
शीर्षक: आजादी का मोहभंग
15 अगस्त से आप क्या समझते हैं।
रेडियो की आकाशवाणी,
डीडी नेशनल की परेड,
स्कू

Poetry #story #आजादी का मोहभंग शीर्षक: आजादी का मोहभंग 15 अगस्त से आप क्या समझते हैं। रेडियो की आकाशवाणी, डीडी नेशनल की परेड, स्कू #बाबा #कविता

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आयुष पंचोली

युवा पीढ़ी की क्रान्तिकारी सोच बड़ी ही लाजवाब हैं,
कुछ हुआ गलत तो बदल लिया dp और लगा कर मोमबत्ती,
करते बहुत गजब का चमत्कार हैं।
बातें करते हैं इंसानियत की, 
और करते खुद ही इंसानियत को शर्मसार हैं।
जवाब होता हैं पास इनके हर बात का,
मगर जवाब होता नही खुद के सच्चे होने के सवाल का।
"आयुष पंचोली" 
©ayush_tanharaahi #NojotoQuote युवा पीढ़ी की क्रान्तिकारी सोच बड़ी ही लाजवाब हैं,
कुछ हुआ गलत तो बदल लिया dp और लगा कर मोमबत्ती,
करते बहुत गजब का चमत्कार हैं।
बातें करते हैं

युवा पीढ़ी की क्रान्तिकारी सोच बड़ी ही लाजवाब हैं, कुछ हुआ गलत तो बदल लिया dp और लगा कर मोमबत्ती, करते बहुत गजब का चमत्कार हैं। बातें करते हैं #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan

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Bhera Ram Choudhary

क्रांतिकारी

क्रांतिकारी

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Sarvaiya Dharmesh

हम तो वो है जिसे
 गुलामी में भी
"आजाद"
 कहते थे।
 चंद्रशेखर आजाद
       ...comrade क्रांतिकारी

क्रांतिकारी

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chintu kumar

रात नहीं ख्वाब बदलता है,
मंजिल नहीं कारवाँ बदलता है;
जज्बा रखो जीतने का क्यूंकि,
किस्मत बदले न बदले ,
पर वक्त जरुर बदलता है।
    चिंटू कुमार क्रांतिकारी शायरी

क्रांतिकारी शायरी

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Dinesh kagra (DK)

(लाचार मजदूर)

गरीब,लाचार ,मजदूर हु में,बस मेरा ये कसूर है।
भूखा पैदल चल रहा हूँ, अभी घर मेरा बहुत दूर है।

घर से निकला सोचा ना था,की ऐसा वक्त भी आयेगा।
रोटी के बदले फ़ोटो खीचकर, वो गरीब का मजाक बनाएगा।
पैदल ही घर को चल पड़ा, अपनो से मिलने का शरूर है।
गरीब,लाचार,मजदूर हु में,बस मेरा ये कसूर है।

जो देश छोड़कर निकल लिए,आज उनपे रहमत जारी है।
जिनका खून देश की नींव में है,आज वक्त भी उनपे भारी है।
भूख से दम ना तोडेंगे हम, साथ अपनो के मरणा मंजूर है।
गरीब,लाचार,मजदूर हु में,बस मेरा ये कसूर है।

कोई दे गया झूठी तस्सली, किसी ने अपनी रोटी शेखी है।
एक रोटी पे दो वक्त गुजारे, हमने वो गरीबी देखी है।
गरीब को मरते उसके हाल पर छोड़ा, ये दुनिया का दस्तूर है।
गरीब,लाचार,मजदूर हु में,बस मेरा ये कसूर है।

दो छोटे बच्चे गोद मे है,माँ,बहन के पैर में छाले है।
वो बच्चे भूखे रो रहे है, जो प्यार से हमने पाले है।
मरे के मुँह में घी लगाते, ये दुनिया का उसूल है।
गरीब,लाचार,मजदूर हु में,बस मेरा ये कसूर है।

कुचला पड़ा परिवार किसी का,किसी के भाई ने दम तोड़ा है।
सीना किसी का कटा पड़ा है, किसी से मंजिल ने मुँह मोड़ा है।
हर कोई दर्द को देख रहा है, पर लगता सबको फिजुल है।
गरीब,लाचार ,मजदूर हु में,बस मेरा ये कसूर है।
भूखा पैदल चल रहा हूँ, अभी घर मेरा बहुत दूर है।

                             #DK #लाचार_मजदूर #क्रांतिकारी
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Modern Gyani

इतिहास के पन्नों पर,
क्या 
नवजवानों के लहू का मोल है
जहां 
 रणभूमि में रो रहा सत्य है।
और
विजयी पुरुष के नाम पर
अर्द्ध _ मृत _ से हो रहे आनंद से;
किन्तु
व्यंग्य, पश्चाताप, अंतरदाह का 
अब
विजय _ उपहार भोगो चैन से।

©Modern Gyani
  #क्रांतिकारी #सुभाषचंद्रबोस
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AAP TAK

क्रांतिकारी आंदोलन पार्ट2

क्रांतिकारी आंदोलन पार्ट2 #पौराणिककथा

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motivation

2 Years of Nojoto क्योंकि मैं उस औरत के बारे में जानता हूँ
जो अपने सात बित्ते की देह को एक बित्ते के आंगन में
ता-जिंदगी समोए रही और कभी बाहर झाँका तक नहीं
और जब बाहर निकली तो वह कहीं उसकी लाश निकली
जो खुले में पसर गयी है माँ मेदिनी की तरह
-विद्रोही #विद्रोही
क्रांतिकारी कवि

#विद्रोही क्रांतिकारी कवि

6 Love

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अशोक द्विवेदी "दिव्य"

क्रांतिकारी की दरकार सबको है 
पर खुद के नही पड़ोसी के घर मे। #क्रांतिकारी #घर #पड़ोसी
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