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New समस्तीपुर जिला में बारिश Quotes, Status, Photo, Video

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Govinda Pandit

जिला समस्तीपुर में हाजिर कर दिया गया

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Rajpal Gautam

महराजगंज जिला में #न्यूज़

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attitude boy sk raj

हमारे बक्सर जिला में

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Ghanshyam Malawat

बारिश में

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मजे लेते हैं #NojotoQuote बारिश में

Madness

बारिश और बारिश में जिस्म

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बारिश और महोबत दोनों ही यादगार होते हे, बारिश में जिस्म भीगता हैं, और महोबत मैं आँखे । बारिश और बारिश में जिस्म

Sushil Meshram

" बारिश में तुम...."

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" बारिश में तुम........."

हाय....! क्या सितम ढ़ाते हो तुम

सजने संवरने का मुक़ाबला हो तो,

आँखों में सिर्फ़ काज़ल लगाते हो तुम

और सरेआम यु शहर में, अब तो क़त्ल होने लगे

जब पहली बारिश में छत पे, जो भिगने आती हो तुम !

                                                   © सुशील मेश्राम " बारिश में तुम...."

Nimesh Shukla

यादों में बारिश

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बारिश कुछ याद आ रहा है ये बरसात देख कर।बहकी हुई हवा भी है बरसात देखकर।मुझे आती है अब हँसी याद कर कर के वो दिन, जब दिल दिया था तुमको कई बार देख कर।नमन यादों में बारिश

BlackShadow03

बारिश में यादें

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गिरती हुई इन बारिश के बूंदों को अपने हाथों  में समेट लो
जितना पानी तुम समेट पाए, उतना याद तुम हमें करते हो,
जितना पानी तुम समेट ना पाई, उतना याद  तुम्हे हम करते हैं।
💕💕💕😜😜😜

©BlackShadow03 बारिश में यादें

Author Harsh Ranjan

बारिश में 2

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कितनी खूबसूरती है
एक योगी के योग में,
कितनी मिठास है
मंदिरों में चढ़े भोग में,
कितना गहरा रंग है भगवा,
किताबों में कौन सा नशा है,
कलम कैसी दवा है?
कैलाश से कन्या कुमारी,
गोमुख से लेकर बंगाल की खाड़ी,
मंगल ग्रह से महामारी,
कलम से लेकर बल्ला,
वंदे मातरम से राम लल्ला,
कितना कुछ था करने को,
कितना था जीने मरने को!
वो उम्र जब रोटी
थाली में ही दिखती है,
मुझे आज भी सड़क पर
गर्दन पकड़कर घसीटती है।
लड़के-लड़कियों को 
जब तक पता नहीं होता कि
रोटी थाली में पहुंचने के पहले
क्या हुआ करती है,
वो तब तक आगे बढ़ते हैं वरना
वो अपने पिता या माता के पीछे
चुपचाप खड़े हो जाते हैं।
 बारिश में 2

Author Harsh Ranjan

बारिश में 2

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कितनी खूबसूरती है
एक योगी के योग में,
कितनी मिठास है
मंदिरों में चढ़े भोग में,
कितना गहरा रंग है भगवा,
किताबों में कौन सा नशा है,
कलम कैसी दवा है?
कैलाश से कन्या कुमारी,
गोमुख से लेकर बंगाल की खाड़ी,
मंगल ग्रह से महामारी,
कलम से लेकर बल्ला,
वंदे मातरम से राम लल्ला,
कितना कुछ था करने को,
कितना था जीने मरने को!
वो उम्र जब रोटी
थाली में ही दिखती है,
मुझे आज भी सड़क पर
गर्दन पकड़कर घसीटती है।
लड़के-लड़कियों को 
जब तक पता नहीं होता कि
रोटी थाली में पहुंचने के पहले
क्या हुआ करती है,
वो तब तक आगे बढ़ते हैं वरना
वो अपने पिता या माता के पीछे
चुपचाप खड़े हो जाते हैं।
 बारिश में 2
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