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mamta Rathore
जब सर पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है तो ख्वाहिशें खुद ब खुद खुदखुशी कर लेती है देवराज #StreetNight
Devaram Devaram bheel
जलने वाले जलते रहेंगे मिलने वाले मिलते रहेंगे बुराई करने वाले बुराई करते रहेंगे किसी का बुरा मत करो अपन किसीका बुरा करेंगे अपना बुरा भगवान करेंगे सोच लेना, जो मैंने लिखा किसी को बुरा मत लगना ©Devaram Devaram bheel देवराज #OneSeason
Axar
Sarita Prashant Gokhale
देवराज प्राक्तनात माझिया नसेल न्याय वाटले त्या भ्रमात चालता अभंग फार गायले कोण मी क्षणैक मीच नाम घेत थांबले माउलीस गातगात पंढरीस गाठले देवराज विठ्ठलास एकदा विचारले संकटात पामरास का असेच टाकले का तुझ्या मनातले असेल प्रेम आटले तू मलाच सांग आज साकड्यात टाकले एक नाम अंतरात मी सदैव जोडले मंदिरात कीर्तनात तेच नाम ऐकले दर्शनात मी समोर एक रूप पाहिले जीवनात मायबाप विठ्ठलास मानले सत्व तोच पाहतो असाच खेळ मांडतो पुण्यवान लेकरास आसपास वाटतो साद घाल विठ्ठलास तोच फक्त ऐकतो पंढरीत एक देव या जगास तारतो ©Sarita Prashant Gokhale देवराज प्राक्तनात माझिया नसेल न्याय वाटले त्या भ्रमात चालता अभंग फार गायले कोण मी क्षणैक मीच नाम घेत थांबले माउलीस गातगात पंढरीस गाठले दे
N S Yadav GoldMine
देवासुर संग्राम में शुची का देवराज इंद्र को रक्षासूत्र बांधना आइये जानते हैं, इंद्र व इंद्राणी की रक्षाबंधन से जुड़ी कथा !! 🔱🔱 देवासुर संग्राम में शुची का रक्षासूत्र बांधना :- 💮 रक्षाबंधन से जुड़ी हुई कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं, किंतु आज मैं आपको उस कथा के बारे में बताऊंगा जब रक्षाबंधन पर्व को बनाने की शुरुआत हुई थी। यह कथा हैं, देवराज इंद्र का अपनी पत्नी शुची/ इंद्राणी के द्वारा रक्षा सूत्र बंधवाना। जी हां, सही सुना आपने आजकल यह पर्व मुख्यतया भाई व बहन के बीच सिमट कर रह गया हैं, किंतु जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब इसे केवल भाई-बहन का नही बल्कि अपने परिचित की रक्षा हेतु राखी बांधने से होता था। आइये जानते हैं, इंद्र व इंद्राणी की रक्षा बंधन से जुड़ी कथा. {Bolo Ji Radhey Radhey} देवराज इंद्र की रक्षाबंधन से जुड़ी कथा :- 💮 एक बार देवासुर संग्राम हो रहा था जिसमें असुर देवताओं पर भारी पड़ रहे थे। उस भयानक युद्ध में देवराज इंद्र तथा उनकी शक्ति क्षीण पड़ती जा रही थी जिससे वे विचलित हो गए थे। कुछ उपाय न सूझता देखकर वे अपने गुरु महर्षि बृहस्पति से सहायता मांगने के लिए गए। 💮 उसी युद्ध में महर्षि दधिची ने अपने हड्डियों का दान किया था जिससे इंद्र को वज्र की प्राप्ति हुई थी। इसके पश्चात इंद्र अपने गुरु बृहस्पति से आशीर्वाद लेने गए। तब इंद्र की व्यथा उनकी पत्नी इंद्राणी भी सुन रही थी। बृहस्पति ने इंद्र की रक्षा तथा युद्ध में उनकी विजय के लिए देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी को आदेश दिया कि वह एक रक्षा सूत्र ले तथा उसे मंत्र से अभिमंत्रित करके इंद्र के हाथों में बांध दे। 💮 गुरु के आदेश पर इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र लिया तथा उसे मंत्रो इत्यादि से अभिमंत्रित किया। इसके पश्चात उसने वह रक्षासूत्र अपने पति इंद्र की कलाई पर बांध दिया। मान्यता हैं कि इसी रक्षा सूत्र की शक्ति के फलस्वरूप इंद्र वह युद्ध जीतने में सफल हुए थे, तथा असुरों का वध हुआ था। 💮 उस घटना के पश्चात ही रक्षाबंधन का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। चूँकि यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन घटित हुई थी इसलिये प्रतिवर्ष इस दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन केवल बहन अपने भाई को ही नही अपितु ब्राह्मण राजाओं को तथा पुरोहित अपने यजमानों को भी राखी बांधते हैं। ©N S Yadav GoldMine #Identity देवासुर संग्राम में शुची का देवराज इंद्र को रक्षासूत्र बांधना आइये जानते हैं, इंद्र व इंद्राणी की रक्षाबंधन से जुड़ी कथा !! 🔱🔱 देवा
Poetry with Avdhesh Kanojia
दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ। युगल चरन में शत नमन, करूँ जगत के नाथ।। चौपाई- जय गिरिधर जय -जय व्रजनंदन। जोरि पानि हम करते वंदन।। तव पद पंकज नावहुँ शीशा आरति हरहु मोर जगदीशा।। परम शक्ति तव राधे रानी। वंदहि देवर्षि: अरु ध्यानी।। देवराज कर मान नसाई। अरु बिरंचि अभिमान हटाई।। पंच शत्रु मोहि घेरे ठाढ़े। अवगुन दोष सकल हैं बाढ़े।। त्राहिमाम प्रभु!शरण तिहारी। हौं प्रसन्न अब पातकहारी।। दोहा- जय माधव रणबाँकुरे!, नमन प्रेम अवतार। कण कण में छवि आपकी, महिमा अमित अपार।। #जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण #कृष्णमेरे #krishna #poem #poetry #lovequote दोहा- श्यामल छबि तन पीत पट, मोर मुकुट प्रभु माथ। युगल चरन