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Anjani Upadhyay

महाभारत के रचनाकार

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Gurudeen Verma

शीर्षक - मेरे वतन मेरे चमन, तुझपे हम कुर्बान है
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मेरे वतन मेरे चमन , तुझपे हम कुर्बान है ।
यह तिरंगा जां से प्यारा , यह हमारी शान है ।।
मेरे वतन मेरे चमन -------------------------।।

कैसे मिली आजादी हमको , यह हमें भी याद है ।
कितने सहे तुमने सितम , यह भी कहानी याद है ।।
जिसने तेरी अस्मत लूटी, लूटा तेरा यह चमन ।
शर्माते है वो देखकर यह , आज हम आबाद है ।।
कम होने नहीं देंगे तेरी आन को , हम कभी ।
चाहे हमें मरना पड़े , हमपे तेरा अहसान है ।।
मेरे वतन मेरे चमन --------------------------।।

मिलकर मनाते है दीवाली, हिंदू और मुस्लिम सदा ।
सबके लबों पे हो हंसी , करते हैं यह दुहा सदा ।।
नहीं पराया कोई भी , रिश्ता है सबसे प्यार का ।
महापुरुषों - वीरों की जननी , तु रहे आबाद सदा ।।
हम सब तेरी सन्तान है , आपस में भाई भाई हैं ।
तु  ही हमारा ख्वाब है , तु ही हमारा ईमान है ।।
मेरे वतन मेरे चमन -------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर - 9571070847

©Gurudeen Verma #रचनाकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - लोग खुश होते हैं तब
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सुनते हैं जब लोग,
दूसरे की तकलीफें और दर्द, 
दूसरों के मुख से, 
या फिर किसी को देखते हैं वो, 
मजबूरी में हाथ जोड़ते हुए किसी को,
लोग खुश होते हैं तब।।

जब मांगता है उनसे मदद, 
उनका कोई परिचित, 
या फिर विपदा में फंसा हुआ कोई,
या फिर चाहता है पनाह उनसे,
चंहुओर से असुरक्षित कोई,
लोग खुश होते हैं तब।।

जब उनको होती है खबर,
कि बर्बाद कोई हो रहा है,
या बदनाम कोई हो रहा है,
और जब मिलती है खबर यह,
कि किसी से उनके अपने ही करते हैं,
बहुत ही नफरत और ईर्ष्या,
लोग खुश होते हैं तब।।

ऐसे लोग मानते हैं सभी खुद को,
पवित्र,बेदाग और बहुत ही समझदार,
जबकि वो खुद खड़े हैं कीचड़ में,
लेकिन कौन देखता है कभी भी,
अपनी गिरेबां में और कॉलर को,
और मरना उनको भी है एक दिन,
लेकिन लोग खुश होते हैं तब--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #रचनाकार

Gurudeen Verma

शीर्षक- नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ
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नहीं तेरे साथ में कोई तो क्या हुआ।
अकेला है गर सफर में तू , तो क्या हुआ।।
शिकायत जिंदगी से कभी नहीं करना।
नहीं है तेरा घर कोई तो क्या हुआ।।
नहीं तेरे साथ में---------------------।।

बहा तू पसीना अपना, चमन तेरा खिलेगा।
 मिलेगी खुशी तुमको, चिराग तेरा जलेगा।।
अभी तो है ख्वाब बहुत, सजाने को जीवन।
टूट गया गर एक, सपना तो क्या हुआ।।
नहीं तेरे साथ में---------------------।।

आते हैं तूफ़ां भी, कभी जिंदगी में भी।
गर्दिश का दौर भी, कभी जिंदगी में भी।।
अपनों ने गर तुमसे, कर लिया किनारा।
टूट गया गर एक रिश्ता तो क्या हुआ।।
नहीं तेरे साथ में---------------------।।

बहुत है ऐसे भी जो, गरीबी में जीते हैं।
शिकवा नहीं करते वो, मस्ती में रहते हैं।।
ऐसे बुरे वक्त में तू , होना नहीं निराश।
करता नहीं प्यार, कोई तो क्या हुआ।।
नहीं तेरे साथ में---------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #रचनाकार

Nikita gaur

रचनाकार

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रचनाकार
अद्भुत मंत्रमुग्ध कर देने वाली,ढलते सूरज सी श्याम यहां
रंग बिरंगे दृश्यों से मोहिनी हरती "पृथ्वी," अंतरिक्ष में है और कहां
तेरी संरचनाओं कि जो कर सकें प्रसंसा, ऐसे शब्द शब्दकोश में हैं कहां
नभ,जल,थल सरवश्व में है, कृति तुम्हारी
हे, त्रिलोकों के स्वामी, तुम ही हो सवश्रेष्ठ रचनाकार यहां

inkygirl रचनाकार

Shubham

मेरे बदलावों का बल मेरे जीवन का आधार बने 
कभी मैं तुमसा बन न सका तुम मेरे रचनाकार बने
चंद समय में तुमको जी कर के यह एहसाश हुआ
तुम रहे पास या दूर रहे पर मुझमे मेरा परिवार बने #रचनाकार

Gurudeen Verma

शीर्षक - हुआ है अच्छा ही , उनके लिए तो
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हुआ है अच्छा ही, उनके लिए तो।
उनसे रहूँ मैं दूर, उनके लिए तो।।
उनको नहीं है वैसे, जरूरत भी मेरी।
कुछ भी हो मेरे साथ, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही ------------------।।

लगता नहीं अच्छा, उनसे मेरा मिलना।
हाल अपने दिल का, उनसे मेरा कहना।।
बताते हैं मुझको वो, अपनी मजबूरियाँ।
रहूँ चाहे मुसीबत में, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही -------------------।।

बन गए नये रिश्तें, उनकी जिंदगी के।
नहीं अब हिस्से हम, उनकी बन्दगी के।।
खलल हमसे होता है, उनकी जिंदगी में।
बुझे चाहे मेरे चिराग, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही -------------------।।

उनकी जैसी नहीं फिर, मेरी भी हस्ती।
मेरी जिंदगी है उनसे, बहुत ही सस्ती।।
नहीं मैं लायक अब, उनकी नजर में।
मिटे चाहे मेरा जीवन, उनके लिए तो।।
हुआ है अच्छा ही--------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #रचनाकार

Gurudeen Verma

Red sands and spectacular sandstone rock formations शीर्षक - हाथों से करके पर्दा निगाहों पर
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हाथों से करके पर्दा निगाहों पर।
 अदा से तुम शर्मा रही हो।।
छुपाकर चेहरा तुम चिलमन से।
 हाल दिल का बता रही हो।।
हाथों से करके------------------।।

एक पल को हमसे नजरें मिलाकर।
मुस्कराती हो तुम, आँचल उड़ाकर।।
देखती हो हमको तुम, चिलमन से।
मस्ती में जुल्फें अपनी लहरा रही हो।।
हाथों से करके------------------।।

फूलों सा महका हुआ, तेरा बदन है।
शीशे की तरहां पवित्र, तेरा मन है।।
गजगामिनी सी इस चाल से तुम।
मदहोश हमको कर रही हो।।
हाथों से करके------------------।।

रोशनी बिखेरता है रूप तुम्हारा।
कमल सा खिलता है चेहरा तुम्हारा।।
उड़ाकर दुपट्टा हमें देख करके।
आवाज दिल को तुम दे रही हो।।
हाथों से करके------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #रचनाकार

Anjani Upadhyay

"ओम जय जगदीश हरे" के रचनाकार का पूरा परिचय। #विचार

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SHAYAR (RK)

रचनाकार... #creativeminds #अनुभव

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ये वो दुनिया है ... ?

ये वो दुनिया है
जो राधा कृष्ण को मानती है !!
पर प्रेम को नहीं ...

ये वो दुनिया है
जहाँ दूसरों की बहन पर गंदे कॉमेंट्स पास करे !!
पर अपनी बहन पर कोई नहीं ...

ये वो दुनिया है
जो अजनबी से विवाह करा दे !!
पर प्रेम से नहीं 

ये वो दुनिया है
जहाँ लड़कियों को अंधेरा होने से पहले घर आना है !!
पर लड़कों को नहीं ...

ये वो दुनिया है 
जहाँ माँ-बाप झुक जाते है !!
बच्चों को खुशी के लिए ,,
पर बच्चे नहीं ...

ये वो दुनिया है 
जहाँ धर्म को मानते है !!
पर इंसानियत को नहीं ...

ये वो दुनिया है 
जहाँ झूठ से सबको नफरत है !!
पर सच कोई बोलता नहीं ...

ये वो दुनिया है 
जहाँ मरने के बाद श्राद्ध तो करते हैं !!
पर जीते जी उसका हाल पूछते नहीं ...

ये वो दुनिया है साहब
जहाँ जिस्म से इश्क़ करने वाले खुश !!
रूह से करने वाले नही …

©SHAYAR (RK) रचनाकार...
#creativeminds
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