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Kiran Maurya

यशोधरा #Poetry

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river_of_thoughts

"सिद्धि-हेतु स्वामी गए, यह गौरव की बात,
पर चोरी-चोरी गए, यही बड़ा व्याघात,
सखि, वे मुझसे कह कर जाते,
कह, तो क्या वे मुझको अपनी पथ-बाधा ही पाते?"

#यशोधरा

©river_of_thoughts #यशोधरा

अभिव्यक्ति और अहसास -राहुल आरेज

यशोधरा #प्रेरक

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Kamayani Joshi

लेखन का वर्णन

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Hema Kushwaha

विचारों का वर्णन

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मैं तो सिर्फ कोरे कागज भरती जाती हूं।
मन मे जो ख्याल ,उसे कोरे कागज पर उतार 
देती हूं।
जिंदगी जीने में जो हलचल और ठोकरे
मिली उसे ही कागज पर उभार देती हूं।
ह्रदय में जो सुख दुख के भाव उत्पन
है उसे ही कोरे कागज पर लिखती रहती हूं।
अपने अरमां को युही व्यक्त किये जाती हूं।
सबकी सुनती हु पर अपनी ही करती हूं।
मैं तो मस्त मौला हु आज़ाद पंखी की तरह 
उड़ती हु।
जिंदगी का कोई भरोसा नही फिर भी हस्ती 
रहती हूं।
मैं तो सिर्फ........ विचारों का वर्णन

करिश्मा ताब

वो करीब इतना है कि 
 करीब  वो दिखता नहीं
जह़ां भी ये नजर जाती है 
सैलाब की तबाही का मंजर
उजड़ी हुई है बस्ती #विरह#मिलन #का

Suraj Gupta Bagi

#OpenPoetryमाँ ममता का वर्णन #कविता

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ये ज़माने के लोग नही कर रहे है कदर,
घर में पत्नी तो बेघर हो रही है मदर,
 उस माँ का ममता का एहसास करो,
जिसने तुमको पाला उसे तो प्यार करो! #OpenPoetryमाँ ममता का वर्णन

Laxmi Tyagi

# शिव आरती का वर्णन #विचार

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श्री प्रकाश तिवारी

अन्तिम यात्रा का वर्णन ।।

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बिमल तिवारी “आत्मबोध”

बुद्ध और यशोधरा #OpenPoetry

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#OpenPoetry बुद्ध तुम घूमते रहे
घर जिम्मेदारी छोड़कर
खोजते रहे दुखों का निवारण
वृक्ष के नीचे बैठकर

पर सोचा होगा कभी भी एक पल
क्या करती होगी यशोधरा
जो लिए निशानी गोद मे तेरी
कैसे बिताई होगी दिन अपना

नही सोचे होंगे एक पल भी
बुद्ध तुम तनिक भी उसके बारे में
तुम्हें पता था ' ओ स्त्री हैं '
नही भागेगी घर से अपने

बख़ूबी निभाएगी जिम्मेदारी अपनी
जो छोड़ आये हो उसके सिर पर
नही चाहती स्त्री कुछ भी
सिवाय पति के वचन निभाती

इसलिए हर स्त्री ब्रह्म हैं
निर्वाण मोक्ष नही उसको चाहिए
पुरुष कर्तब्य विमुख अधम एक जीव हैं
वचन तोड़कर घर छोड़कर ईश्वर से मिलने का उसको 
लीला नाटक करना चाहिए

ना पाया मोक्ष ना मिटाया दुःख ही
पुरुष अपने नौटनकी से
कर्तब्य निभाती स्त्री लगी है 
संसार को  मोक्ष दिलाने में ।। बुद्ध और यशोधरा
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