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Parasram Arora
इस नाटकीय हंसी के प्रदर्शन ने तुम्हारी शक्ल को विजातीय बना दिया हैँ क्योंकि तुम्हारा अब तक अभ्यास और इतिहास रोदन का ही रहा हैँ और नहीं रहा कभी तुम्हारा परिचय हंसी की गली से अगर तुम गलती से भी कभी हँसे होंगे तो तुम्हारी उस हंसी के पाशर्व मे रूदन की छाया अवश्य रही होंगी क्योंकि उस हंसी मे न रही होंगी स्वछंदता कभी क्योंकि तुम्हारी वो हंसी कभी तुम्हारे ह्रदय की गहराइयों से न निकली होंगी नाटकीय हंसी
Adil Ansari
#शायद ज़िन्दगी के दो पहलू होते है - १-पहली में हम खुद को नाटकीय ढंग से खुश दिखाते हैं।।।।।। २-दूसरी में शायद हम उसी झूटी खुशी को सच्चाई में
Srilatha Gugunta
Mehr: I'm so glad you stood for me Arav: I don't like the way he dragged your name in our fight. Ajit: I didn't even bring Mehr in our fight, you are the one who questioned me about my interest in her. Mehr: (Sobbing)..I request you both to not bring my name in your fights. Ajit: Mehr, I'm trying to clarify the misunderstanding here, I didn't want to get into a discussion where I'm projected as the one who's behind you, I mean like.. beyond the friendship level Arav: (Thudd!!!punches the door with his fist and points his middle finger and questions Ajit, Why again and again you are bringing her in between, are you insane? Mehr: Crying..No, Arav what did you do, someone please help, he's bleeding..(cries louder) Ajit: Cool down dude, you are making things worse, "do you have problem in me taking Mehr's name or you have problem in me talking to her"? I don't understand. Mehr: Wiping her eyes, manages to tie a bandage on Arav's hurt and hugs him and cries and says, 'Thank you', I know you care for me. Ajit: Stunned in silence with Mehr's approach towards Arav. Mehr: Seeing Ajit stunned, goes and hugs him and says Thank you Ajit, I know how much you care for me. 'Love triangle goes on' Hello Resties! ❤️ Day 13 of #RzGeDiMo brings to you "Fictional Drama." • You must write a fictional tale by including many characters, lik
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
*मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते खुद से पुछ बैठता हु* मुझे लगता है मेरी कविताएं मेरे एकांत का एकालाप है आजकल मेरे शब्द मुझसे ही उलझ जाते हैं मेरे शब्दों के माया जाल से मैं भ्रमित सा हो जाता हूं जो कहना चाहूं कह ना पाऊं जो लिखना चाहूं लिख ना पाऊं क्या सच में कविता की कोई सीमा है किसी ने खींचे दी है कोई लक्ष्मण रेखा कविताओं के लिए या समाज ने तय करदी हो कोई सीमा क्या हमारी कलम सीमा से बंधी है जिस से बाहर निकलने से तोड़ दी जाएगी हम बुराई को पूरा हुबहु क्यों नहीं कह पाते और सच को इतना श्रृंगार से ढक देते हैं कि उसके मायने ही बदल जाते हैं क्यों नग्न सत्य को कपड़े से ढकना जरूरी हैं क्यों कविता कागज पर उतरते उतरते सच को कहीं खो देती है अपने नाकाफ़ी होने के बोझ से कविता कभी मुक्त नहीं हो पाती है क्या कविता कोशिश भर कर पाती है जिसमें कर्म और आकांक्षा सब मिले-जुले हैं ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) *मेरे अन्सुल्झे सवाल जो लिखते लिखते खुद से पुछ बैठता हु* मुझे लगता है मेरी कविताएं मेरे एकांत का एकालाप है आजकल मेरे शब्द मुझसे ही उलझ ज
Amar Anand
पहचान कौन ? विशेष नीचे कैप्शन में... आप किसी इंसान से आकर्षित होते हो तो सबसे पहले अपने विवेक पर ताला लगा देते हो। याद रहे विवेक को सुलाये बगैर आप किसी से आकर्षित हो ही नही सकते
अज्ञात
पेज-98 सात फेरे हुये और कब दुल्हन दूल्हे के वामांगी बैठी इसे आसन परिवर्तन कहते हैं..पुरोहित जी ने दोनों को दाम्पत्य के सात वचन पढ़कर सुनाये दोनों से वचन निभाने की प्रतिज्ञा ली और उत्तर दिशा में स्थित ध्रुव तारे का महत्व समझाते हुये दूल्हा दुल्हन को ध्रुव दर्शन कराया.. और अब कन्या के माता पिता वर वधु के चरण धोकर अपने सिर माथे सिरोधार्य करेंगे.. इसे पाद प्रच्छालन कहते हैं.. अब आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-98 दूल्हे ने अपनी अर्धांगिनी की मांग में सिंदूर भरा.. मंगलसूत्र उसके गले में पहनाया... और तब दोनों ने अग्निदेव को साक्ष
JALAJ KUMAR RATHOUR
वो खामोश लड़की.. वर्ष 2011 2012,2013,2014,और 2015 का कुछ वक्त हमने साथ में बिताया, एक साथी के रूप में, एक दोस्त के रूप में , और एक दूसरे के मेंटोर के रूप में, इन सालों में हमने जाना एक दूसरे को, जानी एक दूसरे की खामियां, और खूबियां ,पर कहते है ना वक्त बदलता है और फिर सब विपरीत होता है हमारे हालिया हालातों के, कुछ ऐसा ही हुआ उन दोनो लड़कीयो ने ट्यूशन आना बन्द कर दिया था। क्युकी बारहवी के पेपर आने वाले थे। ये बारहवी के पेपर, दोस्ती और सोलह साल वाले प्रेम की तेरहवी जैसे होते है। जिसमे हर सुबह पैठे और दही चीनी खिलाया जाता है व हर उस शक्स को जो इन क्रियाओ में संलिप्त रहता पेपर के बाद हम सब अलग हो गए और एक बात थी जो दर्द देती थी। वो थी हमारे ना मिलने की उम्मीद, पर वक्त आपके लिए आपसे ज्यादा सोच कर रखता है, और यही हुआ जब मैंने B.Sc के पहले ही दिन अपने कॉलेज में उन दोनो को अपने सामने देखा, उनमे से लंबी वाली लडकी पास आकर बोली, बेटा आसानी से तेरा पीछा ना छोड़ेंगे पर छोटी वाले वही लड़की जो खामोश रहकर सब कुछ कह जाती थी। पास खडी थी और मुस्करा रही थी,मुझे उससे प्रेम नही था पर मैं चाहता था की की उससा ही हो मेरी जिंदगी में कोई , जो बस इसी खामोशी से मेरी हर बात को समझ जाए,B.SC. की क्लासो से ज्यादा हम अपनी मजाक की क्लास लेते थे, पेपर के समय वो छोटी सी लड़की मेरे पास बैठी थी और बार- बार मेरे मैं से देखने की कोशिश कर रही थी। पर उस असफलता के सिवा कुछ नही मिल रहा था। मैंने उसकी तत्परता को भांपते हुए। अपनी कॉपी के पन्ने उसकी तरफ कर दिये, वो मुस्करा कर लिखने लगी, मैंने अपने किसी और शैक्षिक कार्य को पूरा करने के लिए पहली साल के बाद BSc और शहर को छोड़ दिया, फिर जब भी कभी अपने शहर जाता तो वो दोनो मिल ही जाती थी,वो छोटी लड़की उसी खामोशी और मुस्कराहट के साथ वो हम सबसे मिलती थी।पर कहते हैं ना कि जिंदगी में हर चीज वैसी नही होती जैसा हम सोचकर रखते है क्युकी हम इस नाटकीय संसार के पात्र है और वो खुदा या ईश्वर इस संपूर्ण नाटक का नाटककार है यह निर्णय वही लेता है कि किस पात्र की अवधि इस रंगमंच पर कितनी होगी। एक दिन जब उस लंबी लड़की से बात हैं कर रहा था तो मैंने पूछा और खामोश बच्ची कहाँ है वो कुछ देर तो चुप रही फिर उसने बताया कि "यार वो नही रही", कुछ चीजे होती है जिन पर हमे ना चाहते हुए भी भरोसा करना पडता है। कुछ ये भी ऐसा ही था मेरे लिए, दिमाग में गूँज रही थी उसकी वो खामोशी और मुस्कराहट जो शायद खो गयी थी इस अनंत आसमान में वापस ना आने वाली उम्मीद के साथ..... ........#जलज 2011 2012,2013, 2014,और 2015 का कुछ वक्त हमने साथ में बिताया, एक साथी के रूप में, एक दोस्त के रूप में , और एक दूसरे के मेंटोर के रूप में, इन
Divyanshu Pathak
दुनिया बदल रही है ये बदलाब हर क्षेत्र में ,हर एक हिस्से में हो रहे है।आर्थिक,राजनैतिक,सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में शक्तियों का बंटवारा नए सिरे से हो रहा है। पिछले पांच सौ बर्षों के दौरान शक्ति के तीन भौगौलिक स्थानांतरण हुये हैं । ताकत बंटवारे के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव अंतरराष्ट्रीय जीवन की शक्ल फिर से तय कर रहे थे। कैप्शन पढ़कर देखिए 💕🙏#सुप्रभातम💕🙏 : राजनीति अर्थशास्त्र और संस्कृति में पहला स्थानांतरण पश्चिमी जगत में उदय हुआ । यह प्रक्रिया 15 वी शताब्दी में प्रारंभ हुई और