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Shivanshu Shukla
सैर कर दुनिया की ग़ाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ जिंदगानी गऱ रही, तो नौजवानी फिर कहाँ..😇 A beautiful line bye indian writer- "राहुल सांकृत्यायन" #indian_poetry #poetrycommunity #lifequotes
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
जन्मदिन मुबारक़- महापंडित राहुल सांकृत्यायन (9 अप्रैल 1893 – 14 अप्रैल 1963) उनका जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गाँव में हुआ। राह
Sankrityayan's Poetry
°°° जिसका नाम-ओ-निसां तक कहीं भी न था, आज देखो वो ताजा ख़बर हो गया। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन" ©Sankrityayan's Poetry °°° जिसका नाम-ओ-निसां तक कहीं भी न था, आज देखो वो ताजा ख़बर हो गया। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन"
Sankrityayan's Poetry
°°° जिसका नाम-ओ-निसां तक कहीं भी न था, आज देखो वो ताजा ख़बर हो गया। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन" ©Sankrityayan's Poetry °°° जिसका नाम-ओ-निसां तक कहीं भी न था, आज देखो वो ताजा ख़बर हो गया। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन"
Sankrityayan's Poetry
मैं उनकी जीत के खातिर उन्हीं से हार जाता हूँ, मेरा अपना तरीका है किसी से इश्क करने का। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन ©Sankrityayan's Poetry मैं उनकी जीत के खातिर उन्हीं से हार जाता हूँ, मेरा अपना तरीका है किसी से इश्क करने का। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन
Sankrityayan's Poetry
मैं उनकी जीत के खातिर उन्हीं से हार जाता हूँ, मेरा अपना तरीका है किसी से इश्क करने का। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन ©Sankrityayan's Poetry मैं उनकी जीत के खातिर उन्हीं से हार जाता हूँ, मेरा अपना तरीका है किसी से इश्क करने का। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन
Sankrityayan's Poetry
मैं उनकी जीत के खातिर उन्हीं से हार जाता हूँ, मेरा अपना तरीका है किसी से इश्क करने का। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन ©Sankrityayan's Poetry मैं उनकी जीत के खातिर उन्हीं से हार जाता हूँ, मेरा अपना तरीका है किसी से इश्क करने का। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन
Sankrityayan's Poetry
°°° "सुनो पंडिताइन" ज्यादा तो पता नहीं पर इतना जरूर पता है, इस नश्वर शरीर के पंच महाभूतों में विलीन होने तक मेरा निष्छल प्रेम केवल आपके लिए रहेगा। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन" ©Sankrityayan's Poetry °°° "सुनो पंडिताइन" ज्यादा तो पता नहीं पर इतना जरूर पता है, इस नश्वर शरीर के पंच महाभूतों में विलीन होने तक मेरा निष्छल प्रेम केवल आपके लिए
Sankrityayan's Poetry
°°° तुम्हारे बिन इन बहारों को क्यों देखें। हिज्र में हम इन नजारों को क्यों करें। जब तुम ही नहीं मिलोगी लाख मन्नतों से, फिर आसमां में टूटते सितारों को क्यों देखें। ~~~ "पुष्कर सांकृत्यायन" ©Sankrityayan's Poetry °°° तुम्हारे बिन इन बहारों को क्यों देखें। हिज्र में हम इन नजारों को क्यों करें। जब तुम ही नहीं मिलोगी लाख मन्नतों से, फिर आसमां में टूट