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Amit Vashisht
मेरे बहते हुए बेहिसाब ख्यालों को समझने वाले, काश तुम होते। मेरे चेहरे पर आती मुस्कुराहटों पर अपना नाम पढ़ने वाले, काश तुम होते। मेरे घुटन भरे दिनों में आकर मुझे मनाने वाले, काश तुम होते। मेरी हारी हुई हिम्मतों में, मुझे संभालने वाले, काश तुम होते। मेरी मायूस सी, मुरझाई सी, झुकी सी, छुपाई सी, शक्ल को, अपने हाथों उठाने वाले, काश तुम होते। मेरी आंखों में से पिघल कर गिरते आंसुओं को, पोंछ जाने वाले, काश तुम होते। मेरे घबराए दिल को, गले से लगाकर, फिर मिल जाने की उम्मीद देने वाले, काश तुम होते। मेरी बेइंतहां सी चाहतों को, मेरी अधूरी सी कोशिशों में पूरा पढ़ जाने वाले, काश तुम होते। ©Amit Vashisht मेरी शायरियों की तलाशियों में, अपना जिक्र ढूंढ लाने वाले, काश तुम होते।
मधु
मुझसे चाहे तुम जो भी ले लेना प्यार न सही चाहे दोस्ती के नाते ही सही लेकिन तुमसे सिर्फ इतनी सी इल्तिज़ा है मेरे यार कि मुझे तुम्हारी उन प्यारी शायरियों की कालिमा से दूर मत करना जिन्हें मैं हर रोज़ देखती व सुनती हूँ उन अल्फाज़ों की मीठी धुनो को जो मेरे रूह को अक्सर छू जाती है... 🙏bh.. ✍madhu❤ रूह को अक्सर छू जाती है तुम्हारी शायरियों की ऐ कालिमा... ✍ @bharat nawrange
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
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'कलम से' की अगले कड़ी के कलाकार हैं- जॉन एलिया पूरे विश्व में अदब के साथ पढ़े जाने वाले एक महान शायर हैं जॉन एलिया । आठ साल की उम्र से शायरियो
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ALOK Sharma
काश तुम मुझे तब मिल जाते जब मैं मिलना चाहता था तो वहीं पकड़ के तुमको.. दो-चार .. कविता सुना देते । उससे भी न मानते अगर, वहीं जकड़ के तुमपर चार- पाँच शायरियों की लाइने मार देते। दिमाग़ चकरा न जाता तो कहते वहीं अकड़ के सामने तुम्हारे एक बड़ी..सी गज़लों की चादर बिछा देते। और... उस चादर पे तुम्हे बिठा कर सारी बीती मुजबानी सुना देते। वहीं उखाड़ के परत दर परत, एक एक करके सारे पर्दे उठा देते।। हट जाता सारा दिमाग से जो जाला पड़ा था। तुम भी याद करते किस कवि से पाला पड़ा था। , ©ALOK Sharma...✍️ काश तुम मुझे तब मिल जाते जब मैं मिलना चाहता था तो वहीं पकड़ के तुमको.. दो-चार .. कविता सुना देते । उससे भी न मानते अगर, वहीं जकड़ के तुमपर च
xyz
.... //अटल// °°°°°°°° जिनका व्यक्तित्व था अचल, थे धैर्यवान कभी हुए न विकल, दृढ़-निश्चयी थे गुणों में शक्तिमान, दिया सभी मुश्क़िलों को कुचल, अपार मे