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Shubhendra Jaiswal
रुग्णता! प्रतिरोधक क्षमता के ह्रास से उपजी स्वनिर्मित अवस्था है.. प्रतिरोध के अणुओं को शिथिल करने की कला में पारंगत विषाणु विरोध की मौलिक व्यवस्था में भेद उत्पन्न कर, पारस्परिक संरचनात्मक गठन को प्रभावित करने की वैशिष्ट्यता का दक्षता से प्रयोग, विरोधी गुणधर्म को विखण्डन प्रक्रिया में ढकेल देती है.. तदन्तर.. साम-दाम और दण्डानुरागी, चैत्यनता के बोध से प्राप्त उदण्डात्मक फल निर्विरोध हो जाता है| फलत: रूग्णता की व्यापकता विरोध -प्रतिरोध को आत्मसात कर निर्वीर्य कर देती है| ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी #विरोध #प्रतिरोध #भेद #गुणधर्म
Prateek Chouhan
केवल स्वप्नों के अवशेष शेष हैं क्यों न आँखों को मरुभूमि कह दूँ सपनों का गुणधर्म है केवल कतरा बन अँखियों से बहना ...prateek singh chouhan
अज्ञात
नारी तेरी करुण कहानी.. भर आवे अंखियन में पानी.. कोउ नहि महि तुम्ह सम बलिदानी.. तुम करुणा का हो भंडार.. धन्य धन्य भारत नार... कहीं पिता की आन बचाये.. कहीं पति घर बार सजाये.. ममता का सागर छलकाये.. सब पर तेरा प्यार दुलार.. धन्य धन्य भारत की नार.. सबकी खुशियों का धर ध्यान.. संस्कृति के गुणधर्म निभान.. संयम शील के चरित महान.. बांधे बंधन नार अपार.. धन्य धन्य भारत की नार.. मर्यादा से पाँव बधें हैं.. तनिक भूल भई रार मचे हैं.. तानों के अम्बार लगे हैं.. राहों पर तेरी अंगार.. धन्य धन्य भारत की नार.. कितना करती सब कुछ सहती कंठ भरे पर कुछ ना कहती पावन गंगधार सी बहती नैनों से असुवन जलधार.. धन्य धन्य भारत की नार.. नीलकंठ सा जीवन लीन्हा विष धर कंठ सुधा तज दीन्हा पीर नार की कोउ ना चीन्हा तुम्हें नमन है बारम्बार.. धन्य धन्य भारत की नार.. ©Rakesh Kumar Soni #नारी नारी तेरी करुण कहानी.. भर आवे अंखियन में पानी.. कोउ नहि महि तुम्ह सम बलिदानी.. तुम करुणा का हो भंडार.. धन्य धन्य भारत नार... कह
अल्पु
एक स्त्री की अस्मिता आगे पढ़ें नीचे जब भगवान ने बनाई स्त्री। जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी अधूरी थी। इसलिए देव
Ratan Singh Champawat
सत्य के साथ प्रयोग ✍️✍️✍️✍️✍️ शेष अनु शीर्षक में पढ़े ♦️♦️अनुभूति के आंगन से♦️♦️ 💓 कुछ स्पंदन 💓 जागा था भाव एक दिन मुझ में भी कि जीवन ऊर्जा का उपयोग करूं और मैं भी सत्य के साथ कुछ प्रयोग
AJAY NAYAK
मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तराने होंगे। एक हाथ में कांच का गिलास होगा, एक हाथ में साथी का हाथ होगा, सामने खड़ा एक साकी होगा, जो गिलास को समय पर रंगता होगा। कुछ अच्छी बातें होंगी, तो थोड़ी बहुत नोकझोक होगी, निकलेंगे हम वहां से गरम मिजाज़ में, अगले दिन फिर एक टेबल पर होंगे । कुछ तो बात है इस मदिरा में, जो छलकते ही पूरा पूरा बिखर जाता है पर कभी अपना गुणधर्म नही है छोड़ता तीस मिली में भी कमाल दिखा जाता है । जो जो जाता है इसके साए में वह उसका होकर रह जाता है बस एक घूंट कंठ से उतरते ही दुश्मन भी दोस्त बन जाता है । मैं भी अब सोच रहा हूं थोड़ा लेकर इसे अंदाजू साकी से कहकर भर लूं अपना गिलास। चख लूं दोस्तों के साथ इसका स्वाद देख लूं क्यों है यह दुनिया में विशेष जो भी जाता है इसके आगोश में, वह कैसे? ऊंच नीच, अमीर गरीब का, भूल जाता है भेद । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Wine #मदिरा मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तरा
PRATIK BHALA (pratik writes)
अज्ञात
पेज-31 यहाँ दोनों पक्षों में वार्तालाप के दौरान राकेश ने बताया मानक का घर परिवार में देखने सुनने जैसा कहीं कुछ रह नहीं गया था...क्यूंकि सब कुछ देख परख लिया गया था..! सुकन्या के पिता स्वयं ज्योतिष विद्या जानते थे... अस्तु वर वधू के सारे गुणधर्म मिलान हो चुका था.. गृहमैत्री अतिसुंदर मिलान.. वहीं वर पक्ष ने भी आश्वश्त किया केवल बहू के अतिरिक्त सोने का एक दाना भी नहीं चाहिये...! पर्दे के पीछे मानक की बहनों का सब्र टूटा जा रहा था लेकिन मेहमान नवाजी की मर्यादा उन्हें आगे आकर लड़की की तस्वीर देखने से रोक रही थी.. तब उन्होंने तान्या को अपना दूत बनाकर भेज दिया..तान्या ने सीधे जाकर राकेश से अपनी कोमल बोली में कहा-जी नमस्ते 🙏🙏, क्या हम सब कन्या की तस्वीर देख सकते हैं..! राकेश-ओह्हो पर बेटा अभी तो कन्या आप हो..! राकेश जोर से हंस पड़ा और कहा.. आपका शुभ नाम बताएंगे हमें.. तान्या-आप तो जानते हैं ना भैया.. आप ने ही तो लेकर आये हैं इस कालोनी में..! राकेश-ओह्ह. Sorry sorry.. पर बेटा लड़की तो आज सुबह पूरी कालोनी मे देख लिया है.. मंदिर में ही.. फिर भी आप.. ये लो उनकी तस्वीर..! तान्या तस्वीर लेकर.. एक पल में गायब और अपनी बड़ी बहनों के पास... ज्यों ही पिक पर नज़र पड़ी सबने एक स्वर मे कहा.. बधाइयां...बधाइयां.. बधाइयां... मन की मुराद पूरी हुई....! राकेश-(हाथ जोड़कर) जी, लड़कीवालों को मानक बेहद पसंद है उनकी स्वीकृति लेकर ही मैं मानक और मनीषा के विवाह बंधन के लिये अपनी सहमति देता हूं, अब आप यदि उचित समझें और मेरी बहन आपके परिवार की बधु बनने की योग्यता रखती हो तो शाम को गेस्ट हाउस में हम वधू पक्ष आपकी प्रतीक्षा करेंगे..! अगर आप अपनी रजामंदी दें तो शाम को ही सगाई का शुभ मुहूर्त है..और आज से सातवें दिन शुभ विवाह का उत्तम मुहूर्त है..! फिर जब मन मिले तो शुभस्य शीघ्रं.. वर पक्ष- हमें सब स्वीकार है.. ! आप तो सगाई की तैयारी करें श्रीमान.. राकेश-जी बड़ी खुशी की बात है... अब इजाज़त दीजिये..बहुत सी तैयारियां करनी हैं जय सियाराम.. 🙏🙏💐💐💐💐 आगे पेज-32 . ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-31 यहाँ दोनों पक्षों में वार्तालाप के दौरान राकेश ने बताया मानक का घर परिवार में देखने सुनने जैसा कहीं कुछ रह नहीं गया
yogesh atmaram ambawale
इथेच नाही संपत आपली जबाबदारी, लक्ष ठेवावे लागते,मुलं शाळेत जातात ती कशी जाते सवारी.. ( Caption मधील वाचावे ) आपली ही जबाबदारी.... आज दिनांक ३०/०३/२०२२ नेहमीप्रमाणेच आज सकाळी ६:३० वाजता मी माझ्या मुलीला शाळेत सोडायला निघालो. सकाळची वेळ असल्यामुळे रस्
Vandana
देह की तृष्णा ढूंढती है सहारा मांग करती है प्रेम कि मन स्वतंत्र है प्रेम के लिए आश्रित ना होकर समर्पित है एक बिगड़ेल अहंकारी सा लड़का एक शांत मृदुभाषी सुशील सी लड़की लड़का नदी का इतना तेज वेग है कि कोई बांध उसे रोक नहीं सकता लड़की वो निश्चल निर