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shiv tomer
रस्ता और गाँव आज भी एक रस्ता जाता है मेरे गांव जहां चबूतरे पर बैठे लोग देख रहे है राह अपनो की जो आ गए थे शहर कभी कमाने,मगर लौटे नहीं आज भी एक रस्ता जाता है मेरे गांव जहां थे कभी घर रोशन चहचहाती थी गालियां मकान आज भी है वहां मगर अब रौनक नहीं बसती #रास्ता और गांव
Devkaran Gandas
रस्ता और गाँव वो रस्ता जहां धूल उड़ा करती है पशुओं के आने जाने से । वो रस्ता जहां आज भी लोग रोक लेते हैं आते जाते को बातों के बहाने और मिल बैठकर पीते हैं चाय । वो रास्ता जहां आज भी पनिहारी जाती है पनघट का पानी लाने । वो रस्ता मेरे गांव जाता है । ................✍️देवकरण #रस्ता और गांव
om patil writer
रस्ता और गाँव मेरा गांव एक दिल को अलग ही सुकून आता था कच्ची हो रास्ते होने पर भी उसमें दौड़ के जाना दादी के बाहों से लिपट जाना सुबह-सुबह स्कूल जाना रास्तों पर खेलते जाना रास्ते में लड्डू चलाना दोस्तों को अलग अलग नामों से चिढ़ाना फिर कच्चे रास्ते में दौड़ते जाना फिर स्कूल में बैठ जाना और छुट्टी हो तो घर को आना रास्ते में कुछ खाना फिर दादी को किस्से सुनाना दादी के संग ओ घूमने जाना रास्ते में मम्मी और पापा का इंतजार करना और रास्ते से फिर घर को आना #रास्ते और गांव
Anit kumar kavi
रस्ता और गाँव इस शहर की भागती-दौड़ती जिंदगी में ना समय का पता चलता है और ना रिश्तों का मगर जब याद आता है अपने गांव का रास्ता तब अपनों के बीच रहने का सुखद अहसास होता है और ये मन अपने बचपन की खट्टी-मीठी यादों का सुखद अनुभव करता है । रास्ता और गांव
Roshni keshari
शहर का चकाचौंध ऐसा है कि गांव की मिट्टी को भी भुला देता है पेड़ की ठंडी छांव के नीचे बैठ मिट्टी की सोंधी खुशबू को अंतर्मन में बसाएं शहर की ओर हर लोग चला जाता है गांव की मिट्टी को बस यादों में बसाया रहता है ©Roshni keshari शहर और गांव
Kranti Rana
गांव के हर रास्ते में भले ही कांटे मिलेंगे लेकिन गांव के हर व्यक्ति के मन में फूल खिलते है गांव और रास्ते
Shailendra CK Pal
रस्ता और गाँव ऐ दासतां हैं मेरे गांव की नीम ,पीपल, बरगद और महुआ के छांव की कुछ अंधेरा कहीं उजाला कहीं टिमटिमाते तारे कहीं दियां,कहीं हाथबत्ती,कहीं बल्ब के सहारे किसान जहाँ खेती करता, वहीं फौजी करता रक्षा एक संयंत्र एवं संसाधन बनाता करता दोनों की सुरक्षा ऐ गालियां ऐ चौबारा यहीं होती मेरी राते यहीं होता सबेरा यहीं हैं मन्दिर, यहीं हैं मस्जिद,चर्च यहीं हैं गुरुद्वारा हिंदी हिन्दू ,मुश्लिम ,सिक्ख और ईसाई प्रेम, मिलन और भाईचारे करते हैं दुहाई रास्ता और गांव
Meenakshi Sharma
शायरी अजीब है इस दुनिया के लोग भी, पेड़ काट कर ठंडी छांव की उम्मीद करते हैं, और गांव उजाड़ कर शहर में रहते हैं, और गांव के सुकुन को याद करते हैं। Meenakshi Sharma गांव और शहर