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adakaar priyanshu sahu
मैने पूछा उससे क्या धूप में बारिश होती है ये सुनकर ओ हंसने लगी हंसते हंसते रोने लगी और तभी बारिश होने लगी ©adakaar priyanshu sahu जेकेएल #SunSet
HÈÄR† ßÈĆ
कभी बिना कुछ सोचे समझे दिल दे दिया था किसी को की वो जिंदगी भर खेलेगा और वो चार दिन नहीं खेल पाया और हम खिलाड़ी बन गए। ©HÈÄR† ßÈĆ #जेडीएस #Ja #पेट #Lo #लव #es #Photography
Shree Singh
सत्ता पलटी मार रही है फिर से कर्नाटक में , देखो सेंध लग चुकी है कांग्रेस के फाटक में , अदला बदली इस्तीफे की साजिस रची जा रही , कुर्सी हथियाने के इस राजनीतिक नाटक में ।। #NojotoQuote #राजनीति #politics #कर्नाटक || #कोंग्रेस || #भाजपा || #जेडीएस || #nojoto #nojotohindi
Sunil itawadiya
"कैसी विपदा है आई" ना नाई ना बाई🤗 ना कमाई ना घुमाई🤗 ना मिठाई ना शहनाई🤗 झेलो घर में बैठी लुगाई बाहर निकलो तो ठुकाई 🤣यह पोस्ट मेरे #राजेश भाई आरबीएल को समर्पित है शादीशुदा लोगों सुन लो ध्यान 🤣🤣🤣🤣🤣
Waheed shayri guru
Sunil itawadiya
दिल के अरमां आंसुओं में बह गए वो बेचारे तंहा रह गए भगवान उन को दुख सहन करने की शक्ति दें जिनके मन में शादी के लड्डू फूट रहे थे और वो रुक गई😝
Deepa Sikarwar
बढ़ती उमर के साथ हम माता-पिता से थोड़ा दूर हो जाते हैं उनकी हर बात गलत लगती है और हर बात पर चिल्ला देते हैं यार मम्मी पापा आप नहीं समझोगे फ़िर बातें छुपाने से सीक्रेट बनाने की शुरुआत होती हैं हमें लगता है कि वो हमे समझ नहीं सकते क्यूकी जनरेशन गैप भी थो हम ही बनाते हैं कुछ दिनों की दोस्ती को जान बना लेते हैं अनजान को खास बना लेते हैं और माता-पिता को पीछे छोड़ देते है फिर जब बाहर वाले साथ छोड ते हैं दिल तोड़ते है तो सबसे पहले याद आती है माँ जो तुम्हारी बात सुनने हमेशा तैयार रहती है क्यूकी जनरेशन गैप भी थो हम ही बनाते हैं हम भूल जाते हैं कि कोई है जिसे बार-बार याद नहीं दिलाना पड़ता कि क्या हो तुम मेरे लिए हम भूल जाते हैं पहली बार इन्हीं के सामने रोये थे पहला राज़ इन्हीं को बताया था पहली इच्छा इन्हीं ने पूरी की थी आज उन्ही से बात करने को कई बार सोचना पड़ता है क्यूकी जनरेशन गैप भी थो हम ही बनाते हैं ©Deepa Sikarwar #boat बढ़ती उमर के साथ हम माता-पिता से थोड़ा दूर हो जाते हैं उनकी हर बात गलत लगती है या हर बात पर चिल्ला देते हैं यार मम्मी पापा आप नहीं समझ
अज्ञात
पेज-27 कृपया कैप्शन में पढ़ें ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज-27 उत्तर पता नहीं... कुछ हो गया होगा तभी तो सब दौड़ रहे हैं.. तुम भी दौड़ो... वहाँ से आयशा ने देखा.. वह भी डर बोली -मम्मी
अज्ञात
पेज-21 एक ओर जहाँ शुभ सगुन दिखाई देने लगे थे लड़की के पिता का मन पूरी तरह से संतुष्टि के अंतिम शिखर को पा चुका था, अब कोई जिज्ञासा नहीं केवल इसके की जल्द से जल्द अपनी बिटिया का ब्याह होते देखे... वहीं दूसरी ओर कथाकार की दृष्टि रत्नाकर कालोनी में दो नये सदस्यों के आगमन पर पड़ी.. कहते हैं निःस्वार्थ भाव से किये गये कर्मो का फल भी परमानंदित करने वाला होता है, कालोनी का संगठित सकारात्मक प्रभाव और सभी रचनाकारों का एक दूजे के प्रति समर्पित प्रेम सम्मान और विनम्र स्वभाव ने सबका मन मोह लिया कालोनी भी नित नव अपनों को पाकर धन्य धन्य हो रही थी...ईश्वरीय कृपा से इस कालोनी का भाग्योदय होने लगा.. जिन दो सदस्यों को कथाकार अपनी कालोनी का हिस्सा बनते देख रहा है वह नोजोटो ऐप में अपनी रचनाओं कलाओं के दम पर इतिहास रचते हैं... ऐसे ही रचनाकारों में जाना माना नाम "चंद्रमुखी मौर्य जी", और "प्राजू उर्फ़ प्राजक्ता जी " इनके बारे में कथाकार ने मन बनाया सभी नवागंतुक रचनाकारों को उनके रचनात्मक परिचय से नवीन रचनाओं के माध्यम से कालोनी को विस्तार से बताएगा फ़िलहाल दोनों सहज स्वभाव मिलनसार रचनाकारों का रत्नाकर कालोनी भव्य स्वागत कर कथाकार अपनी कथा आगे बढ़ाता है.. संध्या बेला में राकेश गेस्टहॉउस पहुंचा जहाँ एक पिता राकेश से कुछ चर्चा करने को बड़े ही बेसब्र दिखाई दे रहे थे, राकेश ने उन्हें प्रणाम किया और पूछा- राकेश-जी, आदेश करें आदरणीय.. क्या बात है जो इतने आतुर भाव से याद किया..!🙏🙏 जे एल जी- महानुभाव.., मेरे पास शब्द ही नहीं बचे कुछ कह पाऊं...! मानो मुझे वो जमाता मिल गया हो जिसकी केवल में कल्पना ही करता था..! अब आप उचित परामर्श दें कैसे हम अपनी बात उन तक पहुंचायें..! राकेश-जी ये बड़ी खुशी की बात है कि मानक आपको पसंद आ गया उसका घर परिवार आपको भा गया, आपकी तरफ से एक जिज्ञासा और थी..! जे एल जी- जी कहिये ना.. ! राकेश-अपनी बेटी से और पूछ लीजिये क्या उसे लड़का पसंद आया है...! जे.एल जी-अर्रे रे रे.. अभी लीजिये... बेटा मनीषा.. !जरा इधर आओ.. और आप भी आओ हमारी धर्मपत्नी जी.. ! [पिता के पुकारते ही दोनों आकर राकेश को अभिवादन करते हैं..और पिता के पास बैठ जाते हैं.. ] राकेश-जी, बेटी की माता जी को पसंद है मानक.. ! माता जी- जी जिस कालोनी में इतने प्यारे प्यारे सतकर्मी सज्जनों का डेरा है वहाँ के बारे में भला किसे संदेह होगा.. मेरा मन तो पहली बार में ही यहाँ बेटी ब्याहने का हो गया था पर, ये पिता हैं ना.. ! जब तक ये पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते तब तक हम आगे कैसे बढ़ सकते थे.. ! राकेश-जी बिलकुल सही कहा आपने, मनीषा जी क्या आपने मानक की तस्वीर देखी है... मेरा भाई लाखों में एक है... बड़ा भाई मानता है मुझे.. !कहता है आप जो निर्णय लोगे मुझे सिरोधार्य होगा.. आज के समय में जहाँ सगे भाइयों में जंग देखने को मिलती है वहाँ सोशल मीडिया में ऐसे भाई मिलना असम्भव नहीं तो दुष्कर जरूर है... अरेरे रे... आपकी आँखें नम क्यूँ हो गईं... क्या मैं कुछ गलत कह गया... प्लीज... आप ऐसे रोइये नहीं.. ! अब आगे पेज-22 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी एक ओर जहाँ शुभ सगुन दिखाई देने लगे थे लड़की के पिता का मन पूरी तरह से संतुष्टि के अंतिम शिखर को पा चुका था, अब कोई जिज्ञास