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Hedayat Mustaqueem
Happy Holi THIS POEM IS WRITTEN BY ME ON HOLI आओ मिलकार हम सब खेले होली, ले शपथ करने की, सब से मीठी बोली, मिल्कर, बडे, बुढों, बच्चों के साथ, सब पर हम चलाऐं प्रेम की गीली, बुराई, भाराष
बद्रीनाथ✍️
हर दिल कोई धुन गुनगुनाता है, वो छोटा या बड़ा हो बूढ़ा या जवान हो चाहे पंडित या खान हो यहाँ हर उम्र में दिल बहकता है बच्चों से लेकर बुढो तक सबका दिल लहरता है ये बात दिल की है , साहब यहाँ दिल से दिल टकराता है क्योंकि यहाँ हर दिल कोई धुन गुनगुनाता है । #Musicofheart #CTL#mrbadri#mrbnp#nojoto#nojotohindi#poem#dhun वो छोटा या बड़ा हो बूढ़ा या जवान हो चाहे पंडित या खान हो यहाँ हर उम्र में दिल ब
Rajneesh Tripathi
“दीपावली पर अनमोल रचना” आया है दीपों का,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जी लें कुछ दिन और हम , तुम जो दे दो साथ । राह भटक जाए नहीं , चलो पकड़ लो हाथ ।। मरने का अब गम नहीं , जीने की है चाह । थामों मेरी बाह तुम , नई-नई है राह ।। मन चाहे साथी मिले , मन की कह दी बात । जब चाहें आयें चले , सुनो लेकर बरात ।। बड़े-बुढो का आज तुम , आकर लो आशीष । बीत न जाए शुभ-घड़ी , रूठ न जाएं ईश ।। जो कहना था कह दिया , आगे जानो आप । मन से मन की बात थी , फिर क्या पश्चाताप ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जी लें कुछ दिन और हम , तुम जो दे दो साथ । राह भटक जाए नहीं , चलो पकड़ लो हाथ ।। मरने का अब गम नहीं , जीने की है चाह । थामों मेरी
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
===मैं हूँ समय === ( रचना: अंकुर मिश्रा ) मैं हूँ समय अद्भुत मेरी क्षमता,सदा अद्वितीय सर्वदा जागरूक,परिवर्तनशील कर्तव्य में लय मूक साक्षी अतीत का व भविष्य करता हूँ तय वर्तमान मेरा कार्यक्षेत्र ,नहीं किसी से वार्ता विनिमय । अखण्ड राज्य के अधिकारी, प्रभाव असीमित राजा बनता है रंक व बुद्धि करता हूँ भ्रमित कडक मेरा तेवर, रहता हूँ सदा निरपेक्ष व फर्ज में समर्पित अदम्य मेरा साहस, सदा अपराजेय व हर चुनौती स्वीकृत । शक्ति मेरा अपरिमित, लेकिन कर्तव्य मेरा बरकरार मुझे समझना जटिल , हमेशा नया अवतार जो मुझसे करे तिरस्कार,उनको करना होगा इन्तजार जो अनासक्त व निर्भीक, उनसे करता हूँ प्यार । नाम है मेरा विविध प्रकार, परिस्थिति के अनुसार मरीज के लिये आरोग्य, नारी के लिये श्रृंगार छात्रों के लिये प्रेरणा , सैनिक के लिए समर पुजारी के लिये दक्षिणा व संगीत के लिये आसर पति पत्नी के लिये विश्वास ,परिवार के लिये प्यार भिक्षुक के लिये बुरे वक्त , बेरोजगार के लिये इन्तजार राजा के लिये अवसाद, बुढों के लिये अवसर कलाकार के लिये निदर्शन व विद्वान के लिये ज्ञान का भंडार मैं हूँ सबके साथ, शाश्वत और निराकार सदियों से हूँ विद्यमान, हर युग में मेरा असर रहस्यमय मेरी स्थिति, रहता हूँ सर्वदा निर्लिप्त निर्विकार जो किया है मेरा अध्ययन, समाज में सम्मान बरकरार। क्षणस्थायी है हर घटना , जिन्दगी क्षणभंगुर हर पल बीते आनन्द में, स्मृति रहे मधुर ये रास्ते है प्यार के, यात्रा चलते रहे बेफिक्र, यादगार क्योंकि मैं हूँ समय, काल चक्र किसी का नहीं करता इन्तजार । । ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) ===मैं हूँ समय === ( रचना: अंकुर मिश्रा ) मैं हूँ समय अद्भुत मेरी क्षमता,सदा अद्वितीय सर्वदा जागरूक,परिवर्तनशील कर्तव्य में लय म