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Parasram Arora

पर्यायवाची...... #शायरी

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खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

Pooja Udeshi

मौत का भय

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मौत का भय ऐसा छाया की हाथ
 मिलाने से भी डर लगता है 
इंसान को मरने से डर लगता है 
किसी को मार कर खाने से डर 
लगता तो ये नौबत ना आती 
दिल मे प्यार रखो सब के लिए 
दिल तो सबका धड़कता है 
बिन बुलाये तो मौत भी नहीं आती 
जीओ और जीने दो ये बात सब को 
समझ नहीं आती मौत का भय

Sunil Kumar Maurya Bekhud

# चांद का भय #कविता

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pd

#मौत का भय

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Parasram Arora

प्रलय का भय.....

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प्रलय  आने से  ठीक  एक दिन पहले 
वाली  रात मैं 
जगता  रहा  रात भर 
औऱ  हर लम्हें को  जीवंतता से  जीता रहा 
"जागरण "  की परिभाषा  भी    मैने उसी दिन   समझी थी 
काश   ये  "जागरण "  मेरी  जिन्दगी  में   बहुत    पहले  आ जाता 
तो  
प्रलय   का ये भय  मुझे  इतना  न  सता रहा होता प्रलय   का भय.....

Pushpendra Pankaj

भय का भूत #कविता

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डर डर के कब तक जीना है 
कङवा घूँट कब तक पीना है 
होटों  को कब से सिले है 
कह दे जो शिकवे गिले हैं 
अपनी अनदेखी सह रहा है
मुख से उफ नहीं कह रहा है
यह तो तेरी बुजदिली है
यह विरासत मे ना मिली है 
तेरे अंदर की भय पीङा है
तुझसे ही पैदा तुझमे  पली है
पुष्पेन्द्र "पंकज "

©Pushpendra Pankaj भय  का भूत

Parthajit (Gumnamshayar)

भय : प्रकृति का कहर

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Ashraf Ali

भय का डर,#Anhoni , #ज़िन्दगी

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Kamal bhansali

भय का दरवाजा #togetherforever #कविता

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शीर्षक: भय का दरवाजा

आज कुछ ऐसा नया नहीं, जिसकी चर्चा की जाये
भय का दरवाजा खुला, अच्छा है, चुप ही रहा जाये

कहने को स्वतंत्रता है, पर आम आदमी सहमा सा है
बाते रोशनी की है, पर जलवा तो अंधकार का सा है

क्या करेंगे जानकर, आखिर हमारा अधिकार क्या है 
सोये है, बस दिखाये सपनों के सच होने का इंतजार है 

जीवन को विश्वास न दे पाये, तभी मौत से भाग रहे है
क्या कहें, कभी कभी लगता खुद को योंही खो रहे है

कुछ तो गड़बड़ हो रही है, खून का रंग बदल रहा है
अंदर से सब कुछ टूट रहा, घुटन से दम फूल रहा है

आज हर आदमी हतास है, यही जीने की तस्वीर है
अब किसे क्या कहे, हर आदमी तो यहाँ अब बीमार है

कभी आग थी सीनें में, जो आजादी के लिए जलती
ठंडी हुई मशाल, अब जलाने वाले हाथों को तरसती
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali भय का दरवाजा
#togetherforever

Veena Upadhyay

भय का अंत #IndiaFightsCorona #कविता

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