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Anjani Upadhyay
Vikas Dhaundiyal
एक उसके लिये ही तो मैं अर्श से फर्श पर उतरती हूँ आ के उसकी बाँहों में ही तो मैं टूट मोतियों की माला सी बिखरती हूँ मोतियों की माला
Kumar Suraj
वो खाली सी टूटी फूटी सड़क छोड़ आया हूं वो चिड़ियों के चहचहाने की चहक छोड़ आया हूं गांव की मोहब्बत को छोड़ कर इस शहर में बस गया हूं गांव में किसी के गजरे की महक छोड़ आया हूं #NojotoQuote पुराना गांव गजरे की महक
Er Kkg
यह मोतियों की माला क्या मेरी शोभा बढ़ाएगी श्री राम नाम बस जपता जाऊ शायद श्री राम को मेरी याद भी रह जाएंगी। ©Er Kkg मोतियों की माला -Er Kkg
loving heart vijay
#Pehlealfaaz मन तो हार ही जाता है पढ़ाई से दिल कहता है हासिल करके ही मान हार ना मानो
Ajay verman
तुमने सोचा चलू क्रिकेट खेलू और खेलकर आये शाम को , तुमने सोचा टैटू बनवाऊ लिखवाँ कर आये सनम के नाम को, गर सोचें life में कुछ बड़ा करने को तो हार क्यू मान गये क्यू ,तुम कर सकते थे उस काम को, ©ajay verman हार ना मानो
Anita Najrubhai
ए खुदा दुआ माँगू में कीसी केभी बेटा हो या बेटी अपने माँ बाप का साथ छोडे ना कोइ भी बेटा या बेटी माँ बाप के अश्क मोतियों से बिखरे ना माँ बाप के अश्क मे दर्द भी है प्यार भी है फिर भी बेटा या बेटी अपने माँ बाप को आश्रम में छोड देते हैं जो माँ बाप अपने बेटे ओर बेटी का बोझ उठाते हुए उफ् तक नकहा वही बेटा या बेटी आज अपने माँ बाप का साथ छोड़ देते है खुदा दुआ माँगू कोई भी बेटा या बेटी अपने माँ बाप का साथ जीवन भर निभाये ©Anita Najrubhai #RAMADAAN #अश्क से मोतियों बिखरे ना🌟🌟
santosh sharma
किशोरावस्था की पहली दहलीज थी शादी की चर्चाओं की भीड़ थी। --------------------------------- प्रश्न था कौन है, कैसी है, क्या वो मेरे मन की तरंग है, हृदय की उत्कंठा का रंग है। क्यों ना देख लू उसे एक बार, हो जाऊ उससे एतबार। चल दिया एक रोज देखने, रास्ते भर लगा सोचने। कैसे दीदार होगा। जीवन का हार होगा। फिर एक वो वक्त आया, छत परी खड़ी अन्जान थी, खिलखिलाती वो शाम थी। स्वेत वस्त्र प्रकाशित मुख मण्डल सुन्दरता रूपवान थी, प्राण हृदय में आने लगी, हर सांसों में सताने लगी रात्री नींद नही है आती, हर रोज मिलन की योजना बना रहा था खोने का डर सता रहा था। मै अधूरा था, उनकी पहली चिट्ठी में मेरा प्यार पूरा था। बहूत समझायी मुझे, चिट्ठियों की कतार लगायी मुझे। फिर एक शाम चिट्ठी आई , मै किसी और की हो गयी। बादल मन में गरज रहे थे, बिजली जैसे तड़क रहे थे। अन्तरमन झकझोर रहा था, वक्त खुद को तोड़ रहा था। हृदय विदारक मै रोता रहा प्रेम की आग में सोता रहा। तिलांजलि हो गयी शरीर रुपी स्वप्न प्रेम रूपी आत्मा समा गयी, अरसे गुजर जाने के बाद लिखने आ गयी। ------------------------------- । संतोष शर्मा । Dated-01/05/2020 वो गजरे जबाने
Mahesh Kumar
हार के भी कभी हार ना मानों , बार बार प्रयास करो । एक ना एक दिन जीतेंगे हम ,यही तुम खुद से आश करो । नित्य प्रयास करने से तुम , जीवन की मंजिल इक दिन पाओगे । जो कुछ करना चाहते हो तुम ,वो सब करके दिखाओगे । सफलता पाने के लिए जीवन में तुम , खुद पर पूरा विश्वास करो । हार के भी कभी हार ना मानों , बार बार प्रयास करो । हार के भी कभी हार ना मानों ।