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Jitender Nath
जमूरे खेल दिखायेगा दिखाएगा! विदेशी कपड़े जलाएगा जलाएगा! नमक का मोल चुकाएगा चुकाएगा! कोई मारे तो मर जाएगा मरजायेगा! दूसरा गाल तू बढ़ाएगा बढ़ाएगा! अहिंसा को अपनाएगा अपनाएगा! देश को अपने बटवायेगा बटवायेगा! ईस पार से उस पार जाएगा जाएगा! अपनो को तू मरवाएगा मरवाएगा! मेरा नारा लगाएगा लगाएगा! हे राम। मान जाएगा मान जाएगा। बच्चों बजाओ ताली जमूरा खेल दिखाएगा! सबको बाप बनाएगा बनाता ही रह जाएगा! #जमूरे1
ajay jain अविराम
विरोध नाम पर दंगा है गद्दार हुआ अब नंगा है गली गली गद्दार घूमते गंगा जमूनी का धंधा है अजय जैन अविराम गंगा जमूनी धंधा है
LOL
कुछ रंग भरे कुछ कोरे-कोरे हैं.. एक ही मदारी के हम सब जमूरे हैं ! #जमूरे #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yq #मदारी #yqdiary
आदित्य रहब़र
जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा तोड़ दी कलमें, छिन ली किताबें गांजे, भांग का भोग लगा सबको पिला रहा नफ़रत का धतूरा सत्य की वो गांधी की लाठी अब दंगाइयों के हाथ है औघड़ बना फिर रहा सब,सियासतदार भी उनके साथ है शिक्षा का व्यापार बना, सरकार मस्त है पीकर सूरा सच बोलने वालों की खैर नहीं झूठे को मिला है मौका पूरा जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा
Jyoti choudhary
क्योंकि किस्मत अनोखी है खिलौने है हम इसके जो ये चाहेगी हम वैसे ही घुमेंगे। #मदारी #जमूरा #yqbaba #yqdidi #nacheez #YourQuoteAndMine Collaborating with Saurabh Bhardwaj #infinitequotes #jyotichoudhary
writer abhay
आखों की पलकें भारी हुई, जुबां पे मृषा की उधारी हुई. ना कुछ ख़रीदा ना ही बेचा, बेवजह सबसे कर्ज़दारी हुई मैं जमूरा हूँ इस जहाँ का, ये दुनिया मेरी मदारी हुई. ख़ुद को दाव पे लगा दिया, मोहब्बत मेरी जुआरी हुई. सच ना बोल दे इस डर से, आइनों से दोस्ती यारी हुई. सुकूँ से सोते देखा मुर्दे को, मौत ज़िन्दगी पे भारी हुई. बहुत ही ख़ुदगर्ज़ हूँ मैं, ख़ुद मे एक कर्ज़ हूँ मैं. अर्थ :- मृषा - झूठ जमूरा - बंदर
writervinayazad
✍️✍️ जमूरे तान कर सीना खड़े हैं मदारी डमरू बजाने लगा है ✍️✍️ बड़ी मुश्किल से दाना सटकती है मन गौरय्या का अकुलाने लगा है ©writervinayazad ✍️✍️ जमूरे तान कर सीना खड़े हैं मदारी डमरू बजाने लगा है ✍️✍️ बड़ी मुश्किल से दाना सटकती है मन गौरय्या का अकुलाने लगा है #writervinayazad
Kunwar arun ¥
तेरी सांस के सुरीले कुछ लकूरे रह गये हैं तेरी जुल्फों के मदहोश सुरूरे रह गये हैं तेरा मेरी कलम से ये मुखालिफत कैसा है तेरे जाने से कुछ गीत अधूरे रह गये है यहां दंगा वहां दंगा सरकारों से क्या पंगा शहर भर मे बेतकल्लुफ बे सबूरे रह गये हैं बस झूठी अजिय्यत है जिन्हें मुल्क के नाम पे उतार फेंकें है शर्म वो जमूरे रह गये हैं छह बज गए दफ्तर के सभी बाबू घर जा चुके कारखाने मे अब भी कुछ मजूरे रह गये हैं गिरती जिंदगी-ए-खिश्त की यह कैफ़ियत कैसी फुर्कतो मे अब भी 'कुंअर ' हुजूरे रह गये हैं कुंअर अरुण Poet&writer lyricits shayar तेरी सांस के सुरीले कुछ लकूरे रह गये हैं तेरी जुल्फों के मदहोश सुरूरे रह गये हैं तेरा मेरी कलम से ये मुखालिफत कैसा है तेरे जाने से
Aamir Qais AnZar
------------------------ अनेकता में एकता, भिन्नता में अभिन्नता हर एक शक्स ऐसे विश्वास को चुनता हैं पर जो कहते हैं, खुद को हमारे सेवक वो तो सिर्फ अपने मन की सुनता है Anekta अनेकता (Diversity) : Ekta एकता (Unity) Bhinta भिन्नता (DIVERSE), : Abhinnta अभिन्नता (Inseperable) हमारे भारत की विशेषता, अनेकता मे