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पहला_चरण_रिमझिम कविता शीर्षक _रिमझिम बरसे फुहार (कविता) #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता collabwithकोराका #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #tarunasharma0004

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रिमझिम बरसे फुहार 
चल पड़ी बयार ठंडी छाई घटा अंबर पर ऐसे 
लो सावन की रिमझिम फुहार संग ले आई,

लहलहा रही फसलें बयार में चहक रहे पंछी 
मोर नृत्य करते पंख फैलाये वातावरण की
शुद्धिकरण हुई,

मन भी हुआ हर्षित ऐसा मानों थोड़ा ही सही
जीवन का कुछ तो ग़म इस बौछार में कम 
हुआ,

भूल गये हम कुछ वक्त के जीवन के संघर्षों
 को नवचेतन मन में ऐसा जाग्रत हुआ,
भीगे हम भीगे सारे ग़म कुछ तो मन का 
बोझ कम है हुआ,

अबके लगी बरसात कुछ ऐसी पहली दफा 
हमने अपने मन को खुश है किया, पहला_चरण_रिमझिम कविता
शीर्षक _रिमझिम बरसे फुहार (कविता)
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Tarot Card Reader Neha Mathur

आज उनकी शोख अदाओं की बरसात हो रही है
एहसास-ए-बूंदों की आसमां-ए-आरज़ू से मुलाकात हो रही है,

संदल ख्वाहिश बाहों मे आने की राज-ए-बात हो रही है
हिज्र में रूह-ए-तन्हाई की तासीर घात हो रही है,

साकी की अदाओं से मयखाने में करामात हो रही है
हुस्न की आशिकी पर नज़राना-ए-इनायात हो रही है,

सुर्ख गुल की गुलशन-ए-बहार से खुशनुमा नग़्मात हो रही है
मेरे शोख लबों की तेरी आंखों से सवालात हो रही है,

दिल-ओ-ज़हन पर तेरी दिवानगी की असर की बात हो रही है
तेरी मोहब्बत-ए-इबादत की मुझपर टूटकर बरसात हो रही है। दूसरा चरण:- रिमझिम गज़ल

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DR. SANJU TRIPATHI

प्रेम कहानी
वो नदी का किनारा वो बारिश का पानी,
हमें याद आती है हमारी गुजरी जवानी।

तू तो था मेरा राजा और मैं थी तेरी रानी,
मिलकर बनानी थी हमको प्रेम कहानी।

वादे भी किए थे और खाई थी कसमें भी,
जाने क्यों तेरे बगैर बीत रही जिंदगानी।

इश्क की राहों में हमें संग संग चलना था,
फिर क्यों हैं हम आज अंजाना व अंजानी।

हमें अपने ख्वाबों को हकीकत बनाना था,
जाने क्यों जिंदगी में आई वो रात तूफानी।

जिंदगी को दोनों को प्यार से सजाना था,
फिर क्यों न सजी जब प्यार भी था नूरानी।

मेरी आँखें आज भी बरखा सी बरसती हैं,
पर हमको पड़ती है हर एक बात छुपानी।

"संजू" की सोची हुई हर बात गलत निकली,
सब खत्म हो गया अधूरी रह गई प्रेम कहानी। #रिमझिम
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Dr Upama Singh

              बरसात की ख्वाहिश

बरसात का मौसम
कहांँ हम कहांँ तुम
रिमझिम बरसते बादल
पुकारता तुझे मेरा आँचल 
अब तो लौट आओ सजन
दिल में जगी है प्रेम अगन 
बारिश की बूंँद बन बरस जा मुझ पर
समंदर बन समेट लूंँ हर बूंँद को
बारिश के बहाने दिल के तराने
ढूंँढें दिल तुझसे मिलने के बहाने
बस तेरे संग भीग लूंँ यही ख्वाहिश है
आज भी हमें उस बारिश की तलाश है #कोराकाग़ज़ 
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DR. SANJU TRIPATHI


कभी जो बरसती है बरखा 

कभी जो बरसती है बरखा तो हम भी रोकर अश्कों को छुपा लिया करते हैं।
दिल में तन्हाई पलती है पर फिर भी लबों पर मुस्कान सजा लिया करते हैं।

जिंदगी में जिम्मेदारियांँ व फर्ज निभाने में कई ख्वाहिशें अधूरी ही रह गई हैं,
हृदय की बंजर जमीन पर कल्पनाओं के फूल खिला खुश हो लिया करते हैं।

प्रियतम तुम बिन जीवन मेरा पतझड़ के जैसा उजड़ा-उजड़ा सा लगता है,
विरह के गीतों की तुरपाई से ही विरह के घावों को हम भर लिया करते हैं।

एक दूसरे के दिल की धड़कन बनकर एक दूजे के दिल में ही हम रहते हैं।
मिट जाएगी एक दिन सदियों की दूरी इसी आस में रोज जी लिया करते हैं।

तुम बिन मुरझा गया है मेरे प्रेम का पुष्प, जानता हूंँ फिर से ना खिल पाएगा,
तू है सांँसो में मन में जुगनू सा जलकर रातों में ख्वाबों में मिल लिया करते हैं।

प्रेम के दीपों के संग गमों का समंदर दिल में लिए हम जीवन जिए जा रहे हैं,
हाल-ए-दिल छुपाकर अपनी मुस्कुराहट से महफिलों को सजा लिया करते हैं।
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Krish Vj

1) कविता :-रिमझिम 
बिन तेरे तपन को बढ़ाती है यह बारिश की बूँदें
मन को मेरे,  तिल तिल जलाती बारिश की बूँदें

सावन  अधूरा तुम बिन, आँखों में ये नमी सी है
भीगता सिर्फ़ यह तन,  मन  सुखाती है यह बूँदें

मिट्टी की महक याद दिलाती, सोंधी खुशबु तेरी
प्यासा हूँ, सावन में भी, बरसती बारिश की बूँदें

यादों का सावन निराला, ताकती पलकें मेरी ये
यार कहाँ मिलने वाला, 'तड़पाती'  मुझे यह बूँदें

रिमझिम बरसती घटायें, ये ख़्वाब तोड़ जाती है
मिलन होगा  सावन में, पर रह जाती है यह बूँदें  #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमकविता #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिम
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