सांसे नही बचा पा रहा हूं जिसके लिये खुद दाँव पर लगा रहा हूं
#covidindia
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vikas yashkirti
जीता था जिसके लिये...
एक छोटी सी कोशिश
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Akshit Royi
अब नींद से कह दो कि....
वो हमसे सुलह कर ले,
क्योंकी अब वो दौर चला गया....
जिसके लिये हम रातभर जगा करते थे।
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Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#BeatMusic वक्त से साथ उन्होने अपने बदल लिये,
जिसके लिये जीते मरते थे,वो सपने बदल लिये,
काम हो गया जब उनको,
वो धीरे से निकल लिये।।
कलमसत्यक #शायरी#कलमसत्यकी