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Shiwalika_SSS
Shiwalika_SSS
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#OpenPoetry “ रक्षाबंधन” स्नेह ,प्रेम,सौहार्द का तर्पण,अखंडित विश्वास का दर्पण, कच्चे धागों का पक्का संगम,ऐसा मनभावन ये रक्षाबंधन।। कृष्ण- द्रौपदी के पवित्र बंधन के किस्से अपार सुने हैं, नारायण और गिरिजा भी तो इसी बंधन में बंधे हैं, जब संकट पड़ा द्रौपदी पर और कोई न रक्षा को आया, तब मीलों दूर से केशव ने ही भ्राता का फर्ज निभाया। नहीं कोई पराकाष्ठा जिसकी,जीवन भर का ऐसा है वचन, ऐसा मनभावन ये रक्षाबंधन..।। ये बंधन ही है जिसने इतिहास में दो धर्मों को जोड़ा था, बुलावे पर कर्णावती के, हुमायूँ रण से दौड़ा था, जब पोरस को रोक्साना ने,भ्राता कह धागा बाँध दिया, तब सिकंदर को परास्त कर भी,पुरुश्रेष्ठ ने जीवनदान दिया। भीषण शत्रुता के मध्य भी जो, प्रेम जगा दे अनुपम, ऐसा मनभावन ये रक्षाबन्धन..।। read full in the caption.... है कथा अनोखी करुणामयी माँ संतोषी के प्रकटोत्सव की, ये बात है श्री गणेश और माँ मनसा के राखी उत्सव की, देख भाई-बहन का प्रेम ,शुभ-लाभ का मन भ
Yashpal singh gusain badal'
"उत्तराखंड" गंगा-यमुना जिसका आँचल है, बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ, हर की पौड़ी सा निश्चछल मन, गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ। महान हिमालय जिसका मस्तक है, ममता का सागर है नैनी, रानीखेत जिसका चंचलपन, रामगंगा है जिसकी वेणी, गंगोत्री-यमुनोत्री जिसके कर्णपट, उन्नत नासिका जिसकी है नंदा, बिन्सर-नीलकंठ जैसे दो पलकेँ, देवप्रयाग माथे पर चंदा। त्र्रिषिकेश पूजा की थाली, मंसूरी-नैन ीताल मुख की लाली, अल्मोड़ा-पौड़ी जिसकी साँसेँ हैँ, हल्दवानी जिसकी है खुशहाली। नयनाभिराम स्थल कसौनी, द्रोणनगरी बिद्या का मंदिर, मुस्कान है फूलोँ की घाटी, स्वाभाव उत्तरकाशी सा सुन्दर, पिथोरागढ सा ह्रदय निर्मल, चमोली सी शालीनता जिसमेँ टिहरी सा अनोखापन, शिवालिक सी कठोरता है जिसमैँ । देशप्रेम मेँ रंगा हुआहै जिसका कण-कण कोना-कोना । वही स्वर्ग सी सुन्दर धरती जिसका हर टुकड़ा है सोना प्रक्रति सिँगार करती है जिसकी, भारत माँ का अँग अखण्ड। पर्वत श्रँखलाओँ से घिरा हुआ, अद्यितीय अनुपम उत्तराखण्ड ।। ले0 यशपाल सिँह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal' #yogaday गंगा-यमुना जिसका आँचल है, बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ, हर की पौड़ी सा निश्चछल मन, गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ। महान हिमालय जिसका म
Shiwalika_SSS
🇮🇳महफ़ूज़ रहो🇮🇳 ऐ मेरे पहरेदार-ए-वतन,महफूज़ रहो, महफूज़ है तुमसे वतन,महफूज़ रहो। तुमसे महकता है चमन,महफूज़ रहो, तुमसे है चैन-ओ-अमन,महफूज़ रहो। ऐ मेरे पहरेदार-ए-वतन,महफूज़ रहो।। read The Caption... तुम बर्फ की चादर ओढ़े सोते हो, तो घरों में अलाव जलते हैं। तुम सुलगती मरूओं पर चलते हो, तो गावों में आँगन सिंचते है
Anamika Nautiyal
शिवालिक श्रेणियों से दूर देखने पर चोटियों में जमा हुआ है शिशिर का हिम उन चोटियों से आती ठंडी-ठंडी हवाएँ सुबह शाम सर्द कर देती हैं इतना कि
अशेष_शून्य
~©Anjali Rai तुम्हारे जाते ही मन के किवाड़ बंद कर लिए मैंने! जो नम स्मृतियों की जंजीरों से जकड़ी हुई है आजतक। कैद हैं वहां
अशेष_शून्य
"प्रेम एक ऐसी प्रतिध्वनि है जिसका तारतम्य अनंत के अंत तक जाकर भी लौट आता है।" ~© Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) "किसी प्रेमिका के माथे पर उसके प्रेमी के अधरों का प्रथम स्पर्श इस सृष्टि का सबसे सुंदर महाकाव्य है ।।" ठीक वैसे ही ; जैसे तुम्हारे स्मरण
अशेष_शून्य
~© Anjali Rai "स्मृतियां" चिटियों के उस झुंड सी होती हैं जो अतीत से एक कतार में चलकर आती हैं और देखते ही देखते पूरे वर्तमान को घेर लेती चूसने लगती हैं