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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
आलोचना आलोचना का अभिप्राय स्वयं के लिए है तो अच्छा है, परन्तु दुसरों के लिए किए गए आलोचना का तात्पर्य एक मनोरोग है ©@Pramod Mishra आलोचना करना मनोरोग है #Criticisms
RAVINANDAN Tiwari
#StopAcidAttacks नहीं ! नहीं ! नहीं ! खरोंच से डरते नहीं दर्द से कराहकर पथ बदलते नहीं हाँ रूप मूल्यवान पर गुण से ज्यादा नहीं शैतान के सनक से डर इरादे बदलते नहीं चोट गहरी है मगर दृढ़ संकल्प तजते नहीं # तेजाब हमलावर एक मनोरोगी। # कच्ची सड़क।
Vidhi
यक्ष: क्या सचमुच गीता ने अर्जुन की मदद की? युधिष्ठर: की ही होगी। स्त्रियाँ प्रायः ही उसके पीछे सम्मोहित हो जाती हैं। छिछोरेपन के सारे ही गुण पाए जाते हैं उसमें। यहाँ तक कि द्रौपदी भी.. (आवाज़ में चिढ़न साफ सुनाई दे रही थी) यक्ष: अ.. मैं आप लोगों के व्यक्तिगत मामलों पर प्रश्न नहीं कर रहा। मैंने तो बस उन श्लोकों की बात की, जिसे प्रभु ने स्वयं उसे सुनाई। युधिष्ठिर: सच पूछिए, तो ये हमारी सोची समझी योजना ही थी। आपको क्या लगता है प्रभु इतने सीधे हैं? यक्ष: तो क्या आपका मतलब है कि ये सब ड्रामा था? मोह? प्रवचन? ये सब कुछ? युधिष्ठिर: ओह यस। प्रभु महान हैं, मगर उनमें इतना भी टैलेंट नहीं कि सहवाग को द्रविड़ बना सकें। वो तो बस हमारे कहने से बकलोली कर रहे थे। ताकि तब तक में हम पीछे से व्यूह रचना कर सकें। यक्ष: तो यानी आपने जिस व्यूह की रचना की उसका नाम 'नीतीश' था? युधिष्ठिर: अरे, आपको कैसे पता? यक्ष: संजय की कमेंट्री केवल धृतराष्ट्र ही नहीं सुनते। उसका सीधा प्रसारण स्वर्ग में भी होता है। युधिष्ठिर: हाँ मैं भूल ही गया था अब तो पृथ्वी पे मौजूद सारी सुविधाएँ आधार से जुड़ी हुई हैं। #यक्ष #युधिष्ठिर #संवाद #गीता #मनोरोग #नीतीश #आधार #YQbaba #YQdidi
uvsays
vibrant.writer
बिना समझे आंखें बंद करके किसी विचारधारा के पीछे चलते रहना वैचारिक अंधश्रद्धा है और आज के दौर में यह मनोरोग है । अगर आप अपनी विचारधारा के खिलाफ कुछ भी नहीं सुनना चाहते तो आप मनोरोगी है । कृपया अपना इलाज करना शुरू करें , अपने विचारों को देखना शुरू करें , ध्यान शुरू करें । बिना समझे आंखें बंद करके किसी #विचारधारा के पीछे चलते रहना #वैचारिक_अंधश्रद्धा है और आज के दौर में यह #मनोरोग है । अगर आप अपनी विचारधारा
Vandana
जब प्रेम पूर्ण रूप से प्रति फलित हो जाता है तो वासना तिरोहित हो जाती है अतिकामुक होना प्रेम की अपूर्णता की निशानी है जिसके भी जीवन में प्रेम का अभाव रहा होगा उसे वासना जल्दी पकड़ती हैं। प्रेम की अपूर्णता ही कामुकता बढ़ाती है। जब तुम्हें पूर्ण तरह प्रेम मिल
Anil Malviya
Behya review ©Anil Malviya @bookstagram787 My Review " बेहया " व्यक्तित्व लैटिन भाषा के शब्द "परसोना " जिसका अर्थ होता है "मुखौटा " .. आज कल हम सभी लोग अलग-अलग लोग