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Praveen Jain "पल्लव"

#Ambitions दौड़ सब अंधी है,बिना सभ्यताओं के #nojotohindi #कविता

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Dr Jayanti Pandey

तमाम उम्र गुज़र गयी जिनकी भेड़ बकरियां चराने में आज वो देश हमें सिखा रहें हैं सभ्यताओं के मायने जागो हे भारत के वीरों, अपनी संस्कृति का फिर #yqbaba #YourQuoteAndMine #yqquotes #scribbles #wrscribblezone #yqwritosphere #jayakikalamse #wswhitebook

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जो इतिहास भूलते हैं अपने,उनका भूगोल बदल जाता है 
धरती उसकी ही होती है, जिसके बाजुओं में बल होता है

कुतर्कियों को समझाने में तुम अपनी ऊर्जा न व्यर्थ करो
अपनी संस्कृति के संरक्षण में लगकर उन्नत सामर्थ्य करो

जो चाहो विश्व से सम्मान,अपनी संस्कृति का सम्मान करो
ज्ञान विज्ञान की विरासतों को खोजो,समझो गुणगान करो

अपने संस्कारों पर गर्व करो, जानो तुम किसके वंशज हो
हर  कर्म तुम्हारा,  भारत माता की सेवा में ही अग्रसर हो

यह राम कृष्ण की धरती ,इसकी तुलना में कोई और नहीं
अद्भुत भाग्य हैं जगे हमारे,जो जन्म पाया और पले यहीं। तमाम उम्र गुज़र गयी जिनकी भेड़ बकरियां चराने में
आज वो देश हमें सिखा रहें हैं सभ्यताओं के मायने
जागो हे भारत के वीरों, अपनी संस्कृति का फिर

Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)

सभी सभ्यताओं के कैलेंडर- हे सरदार पंचांग महाराज, क्या होली की तारीख और आगे नहीं बढ़ सकती है? क्योंकि लगता है कि सर्दी अभी और पड़ सकती है!! सरद #Poetry #Quotes #Humour #Life #Love #story #Funny #Memes #Festival #Truth #Holi #Friendship #Dil #Baat #Aaj #feelings #Shayari #philosophy #2liner #nojotohindi #film #nojotoenglish #oneliner #holiday #Nojotocomedy #शोले #FunnyHindiQuoteStatic #NojotoWODHindiquotestatic #Emotionalhindiquotestatic #EmotionalHindiQuoteGIF #NojotoTopicalHindiQuoteStatic #NojotoCTLHindiQuoteStatic #NojotoWODQuoteStatic #NojotoWodHindiQuoteGIF #FunnyHindiQuoteGIF #BadhaiHoChuttiKi #microtele #inpriation #bil #गब्बरसिंह #फेस्टिवल

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Holi Kab Hai Kab Hai Holi सभी सभ्यताओं के कैलेंडर-
हे सरदार पंचांग महाराज,
क्या होली की तारीख और आगे नहीं बढ़ सकती है?
क्योंकि लगता है कि सर्दी अभी और पड़ सकती है!!
सरदार पंचांग महाराज का जवाब-
अरे ओ शाम्भा सभ्यता के कैलेंडर, क्या कोई मुझे बतायेगा
कि- 👇👇👇                                            








बधाई हो छुट्टी की by                #NojotoQuote सभी सभ्यताओं के कैलेंडर-
हे सरदार पंचांग महाराज,
क्या होली की तारीख और आगे नहीं बढ़ सकती है?
क्योंकि लगता है कि सर्दी अभी और पड़ सकती है!!
सरद

Vipendra Singh

"लिवास बदले तो इंसान भी बदल जाते हैं" hindi #kalakaksh #Nojoto #TST #vipendra ये पश्चिमी सभ्यताओं के ही असर है कि आजकल बृद्धाश्रम ख #nojotohindi

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ये अंधेरे हैं, क्योंकि तुमने अपना कल खो दिया है,
शायद इसी वजह से खुदा भी रो दिया है,
ये हरकतें हैं कि तुम में अब वो बात नहीं,
न है माँ से प्यार और पिता की औकात नहीं,
क्या समझते हो नए जमाने मे जी रहे हो तुम,
अपनो की आत्मीयता खो रहे हो तुम,
रहते हो हर वक़्त पश्चिमी सभ्यता के दीवाने,
क्यों सदियों पुरानी अपनी परंपरा खो रहे हो तुम,
ये अंधेरे तुम्हारी अपनी देन है,
हाँ! इसीलिए रो रहे हो तुम।
 "लिवास बदले तो इंसान भी बदल जाते हैं"  #Nojotohindi #Kalakaksh #Nojoto #TST #Vipendra 
ये पश्चिमी सभ्यताओं के ही असर है कि आजकल बृद्धाश्रम ख

drsharmaofficial

(पक्षियों की चह चहाहट में खोया हुआ एक धुँधला दृश्य...) मुझें याद है तुम्हें लिखना पसंद था पक्षियों की चह-चहाहट में 'बिछोड की चट्टानों में #yqbaba #yqdidi #yqtales #प्रकृति #yqthoughts #जीवाश्म #प्रेमलेखन #किसकीराह

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(पक्षियों की चह चहाहट में 
खोया हुआ एक धुँधला दृश्य...)

मुझें याद है तुम्हें लिखना पसंद था...

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मैं आज भी उत्सुक रहता हूँ 
तुम्हारें लिखें हरेक 
पन्ने को पढ़ने के लिए
जिनमें आज भी छिपे हैं
कई गूढ़ रहस्य... 
प्रेम, प्रकृति और 
ईश्वर के समन्वय में (पक्षियों की चह चहाहट में 
खोया हुआ एक धुँधला दृश्य...)

मुझें याद है
तुम्हें लिखना पसंद था
पक्षियों की चह-चहाहट में

'बिछोड की चट्टानों में

Sunita D Prasad

#जीवित रहने की शर्त है....सृजन..! जब तक हम रचते रहते हैं तब तक हम बचे रहते हैं जीते जी मरने से..! नदियों ने बसाई सभ्यताएँ, एक के बाद दूस #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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जब तक हम रचते रहते हैं 
तब तक हम बचे रहते हैं जीते जी मरने से..!

नदियों ने बसाई सभ्यताएँ, एक के बाद दूसरी
सभ्यताओं के आरंभ और अंत के मध्य
नदी अनवरत रही बहती 
और गढ़ती रही नित-नई सभ्यताएँ
तभी हर सभ्यता की वह जीवंत साक्षी रही..।

बारिशों ने आग से स्वाहा हुए जंगलों में भी
फूँक दिया जीवन और खिला दी राख में भी कोंपल
विनाश और सृजन के मध्य 
बारिश ने जीवित रखीं जीवन की संभावनाएँ..
और स्वयं भी बनी रही सजीव, संग इनके..।

सागर रहकर भी खारा, बाँटता रहा मीठा
वह बिना रुके रचता रहा मेघ
और उसने स्वयं को जीवित रखा 
बारिशों में, नदियों में 
और हिमाद्रियों में..



 
#जीवित रहने की शर्त है....सृजन..!

जब तक हम रचते रहते हैं 
तब तक हम बचे रहते हैं जीते जी मरने से..!

नदियों ने बसाई सभ्यताएँ, एक के बाद दूस
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